(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Partition of India: विभाजन के दौरान फौज का भी हुआ था बंटवारा, कितने पाकिस्तान और कितने भारत को मिले
Partition of India: इतिहासकार लिखते हैं भारतीय सेना को गर्व था कि उसे सांप्रदायिकता छू तक नहीं सकी, लेकिन दुर्भाग्य देखिए 'आज भारतीय फौज इसी सांप्रदायिकता के आधार पर बंटने वाली थी.'
India Partition 1947: साल 1947 में भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय सेना का भी विभाजन किया गया. माना जाता है कि तत्कालीन वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन सेना के बंटवारे के खिलाफ थे. उनका कहना था कि एक ही अंग्रेज सेना प्रमुख बनाया जाएगा, जो भारत-पाकिस्तान दोनों देशों की सुरक्षा का जिम्मा उठाएगा. लेकिन जिन्ना इस बात से सहमत नहीं हुए और सेना के बंटवारे को लेकर अड़ गए.
इतिहासकार डोमिनिक लापियर और लैरी कॉलिन्स ने अपनी किताब 'फ्रीडम एट मिडनाइट' में लिखा कि जह लॉर्ड माउंटबेटन ने एक ही सेना प्रमुख होने की बात कही तो जिन्ना ने कहा 'किसी भी राष्ट्र के लिए उसकी सार्वभौम सत्ता के लिए सेना उसकी अभिन्न अंग है, यह मुझे कतई बर्दास्त नहीं हैं.' जिन्ना ने कहा कि 15 से पहले ही पाकिस्तान में पाकिस्तान की सेना उनको चाहिए, जिसके बाद सेना का बंटवारा करना पड़ा. इस बंटवारे में दो तिहाई सैनिक भारत को और एक तिहाई सैनिक पाकिस्तान को दिए गए.
किस तरीके से हुआ भारतीय फौज का बंटवारा
डोमिनिक लापियर और लैरी कॉलिन्स लिखते हैं कि साल 1945 में भारतीय फौज की संख्या 25 लाख थी. अंग्रेजी हुकूमत के दौरान यह सेना इटली से लेकर वर्मा तक बहादुरी के साथ युद्ध लड़ चुकी थी. इस दौरान भारतीय सेना को गर्व था कि उसे सांप्रदायिकता छू तक नहीं सकी, लेकिन दुर्भाग्य देखिए 'आज भारतीय फौज इसी सांप्रदायिकता के आधार पर बंटने वाली है.' जुलाई महीने मे हर सैनिक को एक फॉर्म दिया गया, जिसमें यह पूछा गया कि वह भारत में सेवा करना चाहेगा या पाकिस्तान में, इसी आधार पर सेना का बंटवारा किया गया.
मुस्लिम सैनिकों के सामने आई समस्या
इतिहासकार लिखते हैं कि हिंदू और सिख सैनिकों के सामने भारत-पाकिस्तान का कोई विषय ही नहीं था, क्योंकि जिन्ना खुद इनको पाकिस्तान की सेना में नहीं रखना चाहते थे. लेकिन उन भारतीय मुस्लिम सैनिकों के सामने बड़ी समस्या आ गई, जो भारत में प्रतिष्ठित परिवार से थे. उनका जीवन अंधकारमय दिखने लगा, क्योंकि उनके लिए सबकुछ छोड़कर पाकिस्तान जाना इतना आसान नहीं था.
इतिहासकार डोमिनिक लापियर और लैरी कॉलिन्स ने अपनी किताब में लिखा कि भारतीय फौज के बंटवारे के साथ चल संपत्तियों का भी बंटवारा हुआ. इसमें यह तय हुआ कि 80 फीसदी चल संपत्ति भारत और 20 फीसदी पाकिस्तान को दी जाएगी. इस दौरान दोनों सेनाओं में खूब लड़ाई झगड़े भी हुए, क्योंकि सेना का हर अधिकारी नए सामान लेना चाहता था. ऐसे में नए सामान छुपाए जाने लगे पुराने सामान लाकर रखे जाने लगे. इस दौरान कुर्सी, मेज, पंखा, गाड़ी, आलमारी समेत हर सामान का बंटवारा हुआ.
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