ऑनलाइन एजुकेशन के क्षेत्र में काम करने वाली कंपनी पीयर्सन द्वारा की गई एक स्टडी के अनुसार कोरोनावायरस महामारी और उसके कारण लागू लॉकडाउन का दौर बीतने के बाद स्कूल और कालेजों को स्थायी तकनीकी इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश करना होगा जिसमें टीचरों का प्रशिक्षण डिजिटल वातावरण में काम करने के कौशल पर केंद्रित होगा और उच्च शिक्षण संस्थानों में परीक्षा पारंपरिक तरीकों की बजाय ऑनलाइन माध्यम से कराई जाएगी.


लंदन स्थित पीयर्सन एजुकेशनल पब्लिकेशन और एग्जामिनेशन के क्षेत्र में स्कूलों और छात्रों को वैश्विक स्तर पर सेवा देने वाली अग्रणी कंपनी है.


कोविड-19 का दौर बीतने के बाद शिक्षा के क्षेत्र में उभरने वाले आयामों पर की गई स्टडी में कहा गया, “कोविड-19 महामारी के कारण डिजिटल माध्यम से ज्यादा लोग पढ़ाई कर रहे हैं और कम अवधि वाले कोर्स भी लोकप्रिय हो रहे हैं. इन बदलावों से कठिनाई तो हो रही है लेकिन इनसे शिक्षा के क्षेत्र में इनोवेशन के उदाहरण भी सामने आ रहे हैं. इससे यह संकेत मिलता है कि एजुकेशन की दुनिया में डिजिटल माध्यम का प्रभाव लंबे समय तक रहने वाला है.”


व्हाट्सएप्प, जूम, टीम जैसे ऐप और ईमेल का इस्तेमाल बढ़ेगा


इस स्टडी में कहा गया, “स्कूल और कॉलेजों में पढ़ाई करने के लिए डिजिटल माध्यम का प्रयोग और अधिक किया जाएगा. एजुकेशनल टारगेट को हासिल करने के लिए व्हाट्सएप्प, जूम, टीम जैसे ऐप और ईमेल का प्रयोग बढ़ेगा. अकादमिक संस्थान ऐसे इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास करेंगे जिसमें टीचर और छात्र अकादमिक परिसर से बाहर रहते हुए भी पढाई कर सकेंगे. संस्थान ऐसे स्थायी तकनीकी ढ़ांचे में निवेश करेंगे जिसके जरिए गुणवत्तापूर्ण ऑनलाइन शिक्षा दी जा सकेगी.”


विभिन्न देशों में अपनाए जा रहे तरीकों के आधार पर किए गए अध्ययन के अनुसार उच्च शिक्षण संस्थान परीक्षा के पारंपरिक तरीकों की बजाय ऑनलाइन माध्यम से छात्रों का मूल्यांकन करेंगे.


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