Pegasus Spyware: इसराइली साइबर सुरक्षा कंपनी एनएसओ ग्रुप टेक्नॉलॉजीज़ द्वारा बनाए गए एक सॉफ्टवेयर पेगासस ने पूरी दुनिया में हंगामा खड़ा कर दिया था. यह एक ऐसा प्रोग्राम है जिसे एक बार किसी के स्मार्टफोन में डाल दिए जाए तो हैकर्स उस फोन का माइक्रोफ़ोन, कैमरा, ऑडियो और टेक्सट मेसेज, ईमेल और लोकेशन तक की जानकारी हासिल कर सकता है.


भारत में भी दावा किया गया है कि इस स्पाइवेयर की मदद से सैंकड़ों नेताओं, पत्रकारों, एक्टिविस्टों और कारोबारियों की कथित तौर पर जासूसी की गई थी. पेगासस को लेकर केंद्र पर कई गंभीर सवाल उठाए गए थे. लेकिन क्या आपको पता है कि इतना शातिर स्पाइवेयर आखिरकार सबसे पहले पकड़ में कैसे आया था. दरअसल इस बात का खुलासा हुआ है कि पेगासस सबसे पहले सऊदी अरब की महिला लोजैन अल-हथलोल ( Loujain al-Hathloul) के आईफोन में मिली एक फोटो फाइल के जरिए पकड़ में आया था. 


सऊदी अरब में महिलाओं के हक और अधिकारों के लिए आवाज उठाने वाली महिला लोजौन अल-हथलोल एक बड़ा नाम है. उन्होंने देश में महिलाओं को ड्राइव करने का हक दिलाने के साथ कई बड़ी लड़ाईयों में अहम भूमिका निभाई है. वहीं उनके आईफोन से जानकारी ली जा रही है इस बात की भनक तब लगी जब पिछले साल फरवरी में जेल से उनकी रिहाई हुई. दुनिया का सबसे सुरक्षित फोन होने का दावा करने वाले आईफोन को हैक होना कोई आम बात नहीं थी. हथलोल ने शक होने पर अपने फोन में हुई हैकिंग का पता लगाने के लिए कनाडा की संस्था सिटिजन लैब को अपना फोन सौंप दिया. 


6 महीने में पूरा हुआ था जांच


रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, निजता के अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था सिटीजन लैब के साइंटिस्टों ने इस फोन की बारिकी से जांच की जिसमें पूरे 6 महीने लग गए. हालांकि उनकी यह खोज ऐतिहासिक थी. दरअसल इजरायली जासूसी सॉफ्टवेयर हैकिंग के दौरान एक भी सुराग नहीं छोड़ता था यही कारण है कि इसका पता लगाना नामुमकिन माना जाता था. लेकिन एक्टिविस्ट के फोन में मिली इमेज फाइल ने पेगासस और एनएसओ के खिलाफ ठोस सबूत दे दिया था. इसके बाद दुनियाभर में इस साफ्टवेयर के शिकार बने लोगों का खुलासा होने लगा. वहीं ऐपल कंपनी ने साल 2021 में एनएसओ पर कोर्ट में मुकदमा कर दिया. 


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