India-China Border: जून 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद से चीन ने भारत के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर अपनी पर्याप्त सैन्य उपस्थिति बनाए रखी है. कुछ क्षेत्रों में कुछ सैन्य टुकड़ियों के पीछे हटने के बावजूद, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने अपनी स्थिति या संख्या में कोई कमी नहीं की है. इस बात का खुलासा पेंटागन की रिपोर्ट में हुआ है.
रिपोर्ट में कहा गया है, "PLA ने 2020 की झड़प के बाद से अपनी स्थिति या सैन्य संख्या में कोई कमी नहीं की है और LAC पर कई ब्रिगेड की तैनाती बनाए रखने के लिए बुनियादी ढांचे और सहायता सुविधाओं का निर्माण किया है."
एलएसी पर एक लाख से ज्यादा सैनिक तैनात
पेंटागन के सालाना आकलन से पता चलता है कि चीन ने लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक फैली 3,488 किलोमीटर लंबी एलएसी पर लगभग 120,000 सैनिकों को तैनात रखा है. सैनिकों के अलावा, पीएलए ने टैंक, हॉवित्जर, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों और अन्य उन्नत सैन्य उपकरणों सहित भारी हथियार प्रणालियों को तैनात किया है. रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि एलएसी के पश्चिमी, मध्य और पूर्वी क्षेत्रों में 20 से अधिक संयुक्त हथियार ब्रिगेड (सीएबी) अग्रिम स्थानों पर बने हुए हैं.
एलएसी पर मजबूती के साथ जमा हुआ है चीन
पेंटागन की रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि चीन की पश्चिमी थिएटर कमान, जो भारत के साथ सीमा की निगरानी करती है, भारत के साथ अपनी सीमा की सुरक्षा को प्राथमिकता दे रही है. रिपोर्ट में कहा गया है, "हाल के वर्षों में, सीमा सीमांकन के बारे में भारत और चीन के बीच अलग-अलग धारणाओं ने कई झड़पों, सैन्य बलों के जमावड़े और सैन्य बुनियादी ढांचे के निर्माण को बढ़ावा दिया है." सूत्र ने कहा कि कुछ सीएबी के बेस पर वापस लौटने के बावजूद, "अधिकांश सैनिक वहीं बने हुए हैं", जो दर्शाता है कि चीन इस क्षेत्र में मजबूती से जमा हुआ है.
600 से ज्यादा परमाणु हथियारों से लैस हुआ चीन
पेंटागन की रिपोर्ट चीन के अपने परमाणु बलों के आधुनिकीकरण के लिए किए जा रहे प्रयासों को रेखांकित करती है. 2024 के मध्य तक, चीन के पास 600 से अधिक ऑपरेशनल परमाणु हथियार हैं, जिनकी संख्या 2030 तक 1,000 से अधिक होने की उम्मीद है. रिपोर्ट में चीन के परमाणु शस्त्रागार के विविधीकरण पर प्रकाश डाला गया है, जिसमें कम-क्षमता वाली सटीक स्ट्राइक मिसाइलों से लेकर मल्टी-मेगाटन अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों (ICBM) तक के हथियार शामिल हैं. पेंटागन की रिपोर्ट में कहा गया है, "पीएलए कम-क्षमता से लेकर कई तरह की प्रणालियों की एक बड़ी और अधिक विविध परमाणु शक्ति चाहता है, ताकि उसे वृद्धि की सीढ़ी पर कई विकल्प मिल सकें."
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