म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद लगातार स्थिति खराब होती जा रही है. लोग सेना के तख्तापलट और निर्वाचित नेता आंग सान सू ची को निष्कासित किए जाने के खिलाफ रोज प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं प्रदर्शनकारियों को काबू करने या उन्हें तितर-बितर करने के लिए सुरक्षा बल भी गोलियां चला रही है. रविवार को भी जारी बवाल के दौरान 30 लोगों की मौत हो गई. वहीं म्यांमार में तख्तापल्ट का असर भारत में भी दिखे लगा है. दरअसल म्यांमार के कई पुलिस अधिकारी भागकर भारत आ गए थे. जिसके बाद गृह मंत्रालय ने भी चार राज्यों को घुसपैठ का अलर्ट जारी कर दिया है. साथ ही घुसपैठ होने पर कानून के मुताबिक कार्रवाई के आदेश भी दिए हैं.


म्यांमार के 116 नागरिक मिजोरम के फारक्वान गांव पहुंचे


वहीं म्यांमार से भागकर भारत आने वाले लोगों का दावा है कि वे म्यांमार पुलिस और फायर ब्रिगेड में काम करते थे. भागने की वजह बताते हुए इन्होंने कहा कि म्यांमार की सेना उन्हें निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाने को मजबूर कर रही थी . खबर के मुताबिक करीब म्यांमार के 116 नागरिक तियाऊ नदी पारकर मिजोरम के फारक्वान गांव पहुंचे हैं. इनमें बच्चे और औरतें भी शामिल हैं . वहीं पुलिस ने म्यांमार के करीब 7 पुलिस अफसरों को गिरफ्तार किया है. बता दें कि इस महीने की शुरुआत में म्यांमार ने भारत से सीमा पार करने वाले अपने पुलिस अफसरों को वापस मांगा था.


भारतीय गृह मंत्रालय ने अपने चार राज्यों को जारी किया घुसपैठ का अलर्ट


वहीं पड़ोसी देश म्यांमार में तख्तापलट के बाद भारतीय गृह मंत्रालय ने भी अपने चार सीमावर्ती राज्यों को घुसपैठ को लेकर अलर्ट जारी किया था .गृह मंत्रालय ने मिजोरम, मणिपुर, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश से रिफ्यूजी के प्रवेश को रोकने को कहा था. गृह मंत्रालय ने कहा था कि मानवीय आधार पर ही किसी रिफ्यूजी को प्रवेश करने दिया जाए.


म्यांमार से रिफ्यूजी आने का खतरा बढ़ा


गृह मंत्रालय के मुताबिक म्यांमार से आए किसी व्यक्ति को रिफ्यूजी का दर्जा देने का अधिकार राज्यों को नहीं है क्योंकि भारत 1951 के संयुक्त राष्ट्र रिफ्यूजी समझौते में शामिल नहीं है. ना ही 1967 के उसके प्रोटोकाल को मानने का बाध्य है. गौरतलब है कि म्यांमार के साथ भारत की 1643 किमी की सीमा लगती है, इसलिए म्यामांर से रिफ्यूजियों के आने का खतरा बढ़ा है .


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