Peru River: नदी का रंग कैसा होता है? अगर आपसे ये सवाल पूछा जाए, तो आप जवाब होगा- नीला, मटमैला और अगर प्रदूषित नदी है, तो रंग काला भी हो सकता है. हालांकि, क्या आपको मालूम है, दुनिया में एक ऐसी नदी भी है, जिसमें लाल रंग का पानी बहता है. यही वजह है कि कुछ लोग इसे 'खून की नदी' भी कहते हैं. आइए जानते हैं कि आखिर ये नदी कहां है और इसका रंग लाल होने की वजह क्या है?
डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, लाल रंग के पानी वाली इस नदी का नाम कुस्को है, जो पेरू में बहती है. कुस्को नदी साल के कई महीनों तक लाल पानी के साथ बहती है. ये नदी पेरू के कैंचिस प्रांत में विलकानोटा पर्वत श्रृंखला के माध्यम से बहती हुई दिखाई देती है. इन दिनों कुस्को नदी का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. लोग कह रहे हैं कि उन्हें यकीन नहीं हो रहा है कि नदी का रंग ऐसा भी हो सकता है.
क्यों नदी में बहता है 'खून'?
अब यहां सवाल उठता है कि आखिर किस वजह से नदी का रंग लाल है? वो क्या कारण है, जिसके चलते नीले पानी से लबालब रहने वाली नदी, साल के कुछ महीनों में अपना रंग बदल लेती है. दरअसल, इन सवालों का राज छिपा है, कुस्को नदी की लोकेशन में. जिस जगह कुस्को नदी बहती है, वो इलाका अपने बलुआ पत्थरों की वजह से पहचाना जाता है. इन पत्थरों में लौह ऑक्सइड भरा हुआ है.
जब इस इलाके में बारिश होती है तो लौह ऑक्साइड से भरीं चट्टानें नदी के तल में बहने लगती हैं. इस वजह से पानी का रंग लाल या गुलाबी हो जाता है. जिस समय ज्यादा बारिश होती है, उस वक्त नदी का रंग लाल होता जाता है. हल्की बारिश में इसका रंग गुलाबी बना रहता है. पेरू में बहने वाली ये नदी पर्यटकों के बीच खासा पॉपुलर है. इस वजह से कुस्को नदी को देखने के लिए दुनियाभर से लोग पहुंचते हैं.
कब बहती है 'खून की नदी'?
स्थानीय टूर ऑपरेटर कल्पा ट्रैवल का कहना है अगर कोई इस खूनी नदी को देखने आना चाहता है तो उसके लिए सबसे बेहतरीन वक्त बरसात का मौसम है. पेरू में बरसात का मौसम नवंबर से अप्रैल तक चलता है. बारिश की वजह से बहाव बढ़ जाता है और नदी में बहता लाल पानी आसानी से दिखाई पड़ता है. लेकिन जैसे ही बरसात का मौसम खत्म होता है, वैसे ही नदी का पानी मटमैला हो जाता है.
हालांकि, नदी का पानी सिर्फ 5 किलोमीटर तक ही लाल रंग का होता है. कुस्को नदी अपने स्रोत से निकलने के बाद अर्कोइरिस पालकोयो पर्वत की घाटी तक ही लाल रंग के पानी के साथ बहती है. आगे चलकर कुस्को में कई छोटी नदियां और नहरें मिल जाती हैं, जिसकी वजह से इसका रंग मटमैला होने लगता है.
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