प्रेगनेन्ट महिलाओं पर कोविड-19 वैक्सीन के असर को जांचने के लिए मानव परीक्षण होनेवाला है. गुरुवार को दवा निर्माता कंपनी फाइजर और बायोएनटेक ने इस सिलसिले में एलान किया. इसके लिए 4 हजार स्वस्थ वॉलेंटियर को शामिल किया जाएगा. फाइजर के क्लीनिकल रिसर्च एंड डेवलपमेंट विभाग के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉक्टर विलियम ग्रूबर ने एक इंटरव्यू में बताया कि मानव परीक्षण के नतीजे 2021 की चौथी तिमाही तक जारी हो सकते हैं.


प्रेगनेन्ट महिलाओं पर कोविड-19 वैक्सीन का परीक्षण होगा 


उन्होंने कहा कि डेटा से अब तक संकेत मिला है कि कोविड-19 से पीड़ित प्रेगनेन्ट महिलाओं में बीमारी की गंभीरता दर ज्यादा होती है. उन्हें गर्भावस्था की जटिलता जैसे वक्त से पहले जन्म, स्वस्थ प्रेगनेन्ट महिलाओं के मुकाबले भी अधिक करना पड़ता है. मानव परीक्षण में अमेरिका, कनाडा, ब्राजील, चिली, अर्जेन्टीना, दक्षिण अफ्रीका, ब्रिटेन और स्पेन की 18 या उससे ज्यादा उम्र की प्रेगनेन्ट महिलाओं पर वैक्सीन के प्रभाव का पता लगाया जाएगा.


महिलाओं को प्रेगनेन्सी के 24-34वें सप्ताह में वैक्सीन का दो डोज 21 दिन छोड़कर लगाया जाएगा. दवा निर्माता कंपनियों की तरफ से कहा गया कि जन्म देने के कुछ समय बाद, प्लेसेबो ग्रुप में शामिल वॉलेंटियर को वास्तविक वैक्सीन मिलेगी. मानव परीक्षण के दौरान ये भी मुआयना किया जाएगा कि क्या वैक्सीन इस्तेमाल करनेवाली प्रेगनेन्ट महिलाएं अपने बच्चों तक वायरस से सुरक्षा देनेवाली एंटीबॉडीज ट्रांसफर करती हैं.


फाइजर और बायोएनटेक अपनी वैक्सीन का असर जांचेंगी


दवा निर्माता कंपनियों का कहना है कि उन्हें पहले सुनिश्चित करने की जरूरत है कि वैक्सीन आम तौर पर अधिक सुरक्षित और प्रभावी हैं. स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने महामारी की वैक्सीन के लिए होनेवाले मानव परीक्षण की शुरुआत में ही प्रेगनेन्ट महिलाओं को शामिल करने की वकालत की है. उनका तर्क है कि कामयाब वैक्सीन के सामने आने के बाद महिलाओं को लंबे समय तक इंतजार करने की जरूरत नहीं पड़ेगी.


दवा निर्माता कंपनियों को प्रेगनेन्ट महिलाओं पर वैक्सीन का परीक्षण से पहले प्रेगनेन्ट पशुओं पर सुरक्षा की जांच करना जरूरी होता है. जिससे कि पता चले कि वैक्सीन भ्रूण को नुकसान न पहुंचाए या मिसकैरेज का खतरा न हो. दवा कंपनियों ने कहा है कि उन रिसर्च से खुलासा हुआ है कि कोई नया खतरा नहीं है.


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