नई दिल्ली: क्या प्लास्टिक हमारी खुराक का हिस्सा बन रहा है? क्या हम प्लास्टिक ना चाहते हुए भी गटक रहे हैं? जी हां, ये बात सही है. प्लास्टिक हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है. बात चाहे खरीदारी की हो या फिर खानपान की. अब आप सोच रहे होंगे भला प्लास्टिक का खुराक से क्या वास्ता ?
प्लास्टिक कैसे बन रहा हमारी खुराक का हिस्सा ?
प्लास्टिक को लेकर हाल ही में नया खुलासा हुआ है. ऑस्ट्रेलिया यूनिवर्सिटी की शोध के मुताबिक, हम सात दिन में एक एटीएम कार्ड के बरार प्लास्टिक हजम कर रहे हैं. जिसका वजन पांच ग्राम बनता है. प्रतिदिन के हिसाब से हफ्ते में कुल वजन सौ ग्राम के 20वें हिस्से तक पहुंच जाता है. यानी हमारे पेट में कुल सात दिन में औसत प्लास्टिक के 2 हजार कण जा रहे हैं.
अब आपको हम समझाते हैं कैसे प्लास्टिक हमारी खुराक का हिस्सा बन गया है. कुछ कंपनियों के टूथपेस्ट, कोल्ड ड्रिंक्स, अल्कोहल, समुद्री नमक, कपड़ों में प्लास्टिक का हिस्सा होता है. जिसे हम अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में धड़ल्ले से इस्तेमाल करते हैं. इसके अलावा वातावरण से भी प्लास्टिक हमारी खुराक में शामिल हो रहा है. समुंदर और अन्य जलीय स्रोत में फेंका जानेवाला प्लास्टिक मछलियों और समुद्री जीवों का निवाला बनता है. जिसे बाद में उन जीवों को इंसान इस्तेमाल करता है. अब जो लोग समुद्री जीवों को खा रहे हैं तो इसका मतलब ये हुआ कि उनके साथ प्लास्टिक को भी खाना.
अंतर्राष्ट्रीय संस्था ने उपायों के ढूंढने पर जोर दिया
पारिस्थितिक तंत्र और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए काम करनेवाली अंतरर्राष्ट्रीय संस्था वर्ल्ड वाइड फंड (डब्ल्यू डब्ल्यू एफ) ने एक शोध प्रकाशित किया. उसका नाम रखा है 'प्लास्टिक के बिना प्राकृतिक माहौल'. इस शोध का मकसद ये पता लगाना था कि प्लास्टिक का संबंध इंसान और पर्यावरण से कैसे है ? पर्यावरण से किस तरह प्लास्टिक इंसानी खुराक का हिस्सा बन रहा है ?
संस्था ने अपनी शोध में बताया कि इंसान हफ्ते में औसत 1769 कणों को सिर्फ पानी के जरिए अपने शरीर का हिस्सा बना रहा है. हालांकि इसका हिसाब देशों के लिहाज से कम या ज्यादा हो सकता है. एक अन्य प्रकाशित शोध में ये भी दावा किया गया कि अमेरिका में लोग सालाना 74 हजार से एक लाख 21 हजार के बीच प्लास्टिक के कण खुराक, हवा-पानी के साथ अपने शरीर के अंदर ले जाते हैं. शोध में बताया गया कि बोतल का पानी इस्तेमाल करनेवाले लोग एक साल में करीब 90 हजार कण अपने पेट में दाखिल करते हैं.
अंत में, डब्ल्यू डब्ल्यू एफ ने चेताया है कि हमें उन उपायों के बारे में हंगामी तौर पर विचार करना चाहिए जिससे हमारी खुराक बिना प्लास्टिक के हो.