PM Modi के जापान दौरे के बीच QUAD सम्मेलन से पहले चीन को लगी मिर्ची, कहा- 'हिंद-प्रशांत रणनीति का विफल होना तय'
अमेरिका, जापान, भारत और आस्ट्रेलिया का समूह क्वाड मुक्त एवं खुले हिंद-प्रशांत पर बल देता है, जबकि बीजिंग ने इसकी तुलना 'एशियाई नाटो' से की, जिसका उद्देश्य इसके उदय को रोकना था.
PM Modi Japan Visit: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दो दिवसीय दौरे पर जापान पहुंचे. वे वहां पर मंगलवार को क्वाड सम्मेलन में शिरकत करेंगे. इधर, पीएम मोदी के जापान दौरे और क्वाड सम्मेलन से ठीक पहले चीन को मिर्ची लगी है. चीन ने जापान में क्वाड नेताओं के सम्मेलन से पूर्व चीन ने अमेरिका की हिंद-प्रशांत रणनीति पर यह कहते हुए निशाना साधा कि इसका ‘ विफल होना तय ’ है क्योंकि इसे अमेरिका ने उसे (चीन को) ‘काबू’ में रखने के लिए आगे बढ़ाया है.
चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने दक्षिणी चीनी शहर गुआंगझाऊ में पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में हिंद-प्रशांत रणनीति के बारे में पूछे जाने पर कहा कि यह ‘हिंद प्रशांत रणनीति’ अंतरराष्ट्रीय समुदाय, खासकर एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अधिकाधिक सतर्कता एवं चिंता पैदा कर रही है.
विदेश मंत्री बनने के बाद बिलावल भुट्टो की यह पहली चीन यात्रा है. पिछले महीने इमरान खान सरकार के गिर जाने के बाद पाकिस्तान में नयी सरकार बनी थी. वांग यी ने कहा कि अमेरिका की ‘हिंद-प्रशांत रणनीति’ विफल रणनीति ही बनने जा रही है. चीन के विदेश मंत्री की यह टिप्पणी चीन के विदेश मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर डाली है. उनकी यह टिप्पणी 24 मई को तोक्यो में होने वाले क्वाड सम्मेलन से पूर्व आयी है. इस सम्मेलन में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान एवं आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री हिस्सा लेंगे.
चीन उस क्षेत्र को एशिया-प्रशांत क्षेत्र कहता है और वह हिंद-प्रशांत रणनीतिक अवधारणा के विरूद्ध है जिसे अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दौरान अहमियत मिली और अब उसे उनके उत्तराधिकारी जो बाइडन जोरदार ढंग से आगे बढ़ा रहे हैं. वांग ने कहा कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र को भू-राजनीतिक मंच के बजाय शांतिपूर्ण विकास की भूमि होना चाहिए था. उन्होंने कहा कि एशिया-प्रशांत को किसी ब्लॉक, ‘नाटो या शीत युद्ध’ में तब्दील करने की कोशिश कभी सफल नहीं होगी.
अमेरिका, जापान, भारत और आस्ट्रेलिया का समूह क्वाड मुक्त एवं खुले हिंद-प्रशांत पर बल देता है, जबकि बीजिंग ने इसकी तुलना 'एशियाई नाटो' से की, जिसका उद्देश्य इसके उदय को रोकना था. अमेरिका, भारत एवं कई अन्य वैश्विक शक्तियां संसाधन समृद्ध इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य उपस्थिति के मद्देनजर मुक्त एवं खुला हिंद-प्रशांत की जरूरत की चर्चा कर रही हैं. चीन करीब-करीब संपूर्ण विवादित दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है, जबकि ताईवान, फिलीपिन, ब्रूनेई, मलेशिया एवं वियतनाम उसके कुछ- कुछ हिस्सों पर दावा करते हैं. चीन ने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप एवं सैन्य प्रतिष्ठान बनाये हैं. चीन का पूर्वी चीन सागर में जापान के साथ भी विवाद है.
वांग ने कहा कि ‘आजादी’ एवं ‘खुलापन’ के नाम पर अमेरिका द्वारा ‘तैयार की गयी’ हिंद-प्रशांत रणनीति ‘गिरोह’ बनाने की ओर उन्मुख है. चीन का दावा है कि इस समूह की मंशा ‘चीन के आसपास के माहौल को बदलना’ और चीन पर ‘काबू’ रखना तथा एशिया-प्रशांत देशों को अमेरिकी वर्चस्व का ‘मोहरा’ बनाना है.
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