Modi US Visit: PM मोदी कितनी बार जा चुके अमेरिका, 21 जून को पहली राजकीय यात्रा, क्या हैं इसके मायने?
PM Modi US Visit: नरेंद्र मोदी इसी महीने अमेरिका में अपनी पहली राजकीय यात्रा पर जाएंगे. भारत और अमेरिका दुनिया के सबसे बड़े और पुराने लोकतांत्रिक देश हैं. मोदी की इस यात्रा से दोनों देश और करीब आएंगे.
Narendra Modi US visit: भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) इस महीने एक बार फिर अमेरिका (US) की यात्रा पर जाएंगे. अब तक मोदी कुल 7 बार अमेरिका जा चुके हैं, लेकिन 21 से 24 जून के दरम्यान वो अमेरिका में अपनी पहली राजकीय यात्रा पर रहेंगे. इसलिए, इस यात्रा के चर्चे काफी दिनों पहले ही शुरू हो गए.
पीएमओ के पोर्टल के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी अपने कार्यकाल के 9 साल में 8वीं बार अमेरिका जाने वाले हैं, और ये उनकी पहली राजकीय यात्रा होगी. इस दौरान मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और फर्स्ट लेडी जिल बाइडन के चीफ गेस्ट होंगे. अमेरिका ने ये सम्मान मोदी से पहले 2009 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को दिया था. विदेश मामलों के जानकारों का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी का आगामी अमेरिका दौरा बहुत ही खास होने वाले है, क्योंकि उस दौरान दोनों देशों में कई तरह के महत्वपूर्ण सौदे किए जा सकते हैं. अमेरिका और भारत के बीच आपसी सहयोग बढ़ाने वाले नए समझौते भी हो सकते हैं.
अमेरिका में मोदी की राजकीय यात्रा क्यों खास?
बता दें कि अमेरिका में राजकीय यात्रा करने वाले किसी देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति या राजा को 'स्टेट डिनर' दिया जाता है. प्रधानमंत्री मोदी उन गिने चुने नेताओं में से एक हैं, जिन्हें इस साल अमेरिकी राष्ट्रपति के निमंत्रण पर अमेरिकी 'स्टेट डिनर' दिया जाएगा. 'स्टेट डिनर' को राजकीय भोज कहा जा सकता है. जब किसी देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति या राजा द्वारा किसी दूसरे देश का आधिकारिक दौरा करता है तो उसे राजकीय यात्रा कहते हैं. हालांकि, भारत के लिए गर्व की बात ये है कि अमेरिकी राष्ट्रपति के 4 साल के कार्यकाल के दौरान सिर्फ एक नेता को ही ऐसा निमंत्रण मिल सकता है, जो प्रधानमंत्री मोदी को मिला है.
अमेरिकी सरकार प्रधानमंत्री मोदी की मेजबानी करेगी, और जैसा कि राजकीय यात्रा का सारा खर्च मेजबान देश उठाता है, तो इस दौरान अमेरिका ही पैसा खर्च करेगा. वहां प्रधानमंत्री मोदी को 21 तोपों की सलामी दी जा सकती है. मिलिट्री बैंड द्वारा दोनों देशों का राष्ट्र गान बजाया जाएगा. दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्ष के बीच उपहारों का आदान-प्रदान होगा.
50 सालों तक याद की जाती रहेगी ये यात्रा
प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा को यादगार बनाने के लिए, भारत और अमेरिका दोनों देशों के विदेश एवं रक्षा मंत्रालयों की टीमें जुटी हैं. उनकी कोशिश यह है कि सामरिक नजरिए से प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा अगले 5 दशकों तक याद रखी जाए. यानी ये यात्रा 50 साल तक याद की जाती रहेगी. इसके लिए कई तरह के व्यापारिक, रक्षा और अंतरिक्ष कार्यक्रमों से जुडे़ समझौते होने के आसार हैं.
350 लड़ाकू विमानों के लिए इंजन बनाए जाएंगे
प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा के दौरान भारतीय लड़ाकू विमान ‘तेजस’ में लगने वाले अमेरिकी जेट इंजनों के भारत में ही निर्माण करने का बड़ा सौदा परवान चढ़ सकता है. इस सौदे पर अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक (GE) और हिंदुस्तान एयरोनोटिक्स के बीच साइन हो सकते हैं.
22 हजार करोड़ रुपये के आर्म्ड ड्रोन्स की डील
अमेरिका और भारत के बीच 30 MQ-9 B आर्म्ड ड्रोन खरीदने की डील भी हो सकती है. एक अंदाजा है कि ये डील 22 हजार करोड़ रुपये की होगी. जो ड्रोन आएंगे, उनमें से 10 ड्रोन भारत की तीनों सेनाओं को मिलेंगे. चीन और पाक में मिलिट्री ऑपरेशन के लिए उन ड्रोन की जरूरत पड़ेगी.
आइडिया समिट का भारत में होगा आयोजन
भारत और अमेरिका में अंतरिक्ष, ऊर्जा और व्यापारिक मामलों में सहयोग बढ़ाने के लिए अमेरिका-इंडिया बिजनेस काउंसिल 'आइडिया' समिट करेंगी, ये समिट दिल्ली में आयोजित की जाएगी. इसमें दोनों देशों की कंपनियों के शीर्ष प्रतिनिधि शामिल होंगे.
दोनों देशों के बीच डिफेंस पार्टनरशिप मजबूत होगी
प्रधानमंत्री मोदी के अमेरिका दौरे से पहले अमेरिका के डिफेंस सेक्रेटरी लॉयड ऑस्टिन भारत आए. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और बाइडेन की मुलाकात के दौरान होने वाली बातचीत का खाका खींचा. लॉयड ऑस्टिन ने बताया कि दोनों देशों के बीच डिफेंस पार्टनरशिप को मजबूत करने के लिए एक नई पहल होगी. इसे INDUS-X कहा गया है. इसकी शुरुआत अमेरिका दौरे के वक्त प्रधानमंत्री मोदी करेंगे.
भारत-अमेरिका के रिश्तों में गर्माहट लाने वाले समझौते
प्रधानमंत्री मोदी के अमेरिका दौरे भारत-अमेरिका के रिश्तों में गर्माहट लाने वाले नए समझौते होंगे. 2016 में भारत-अमेरिका के बीच LEMOA (लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट) साइन हुआ था. उसके बाद 2018 में COMCASA (कम्युनिकेशन्स कंपैटिबिलिटी एंड सिक्योरिटी एग्रीमेंट) हुआ था. जिसके तहत दोनों देशों की सेनाएं एक-दूसरे को टेक्नोलॉजी बेच सकती हैं. 2020 में दोनों देशों के बीच BECA (बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट) हुआ था. अब दोनों देशों के बीच मिलिट्री टेक्नोलॉजी, लॉजिस्टिक्स और मैप साझा करने वाला समझौता होने के आसार हैं.
आज जो भरोसा और विश्वास है, वो एक दशक पहले नहीं था
प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा के कई मायने हैं. पहला- अब अमेरिका भारत का लोहा मानता है और उसे बखूबी ये अहसास हो गया है कि बिना भारत को साथ लिए वो दुनिया का नेतृत्व करने में सक्षम नहीं है. चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए उसे भारत को साथ लेना ही पड़ेगा. अब दोनों देश एक-दूजे के और करीब आ रहे हैं. दोनों में कई और समझौते होने वाले हैं. इसलिए, बाइडेन प्रशासन के शीर्ष अधिकारी कर्ट कैंपबेल का कहना है कि दोनों देशों में आज जो भरोसा और विश्वास है, वह एक दशक पहले नहीं था. कर्ट कैंपबेल जो कि इंडो-पैसिफिक रीजन के मामलों की पकड़ रखते हैं, वो ये मानते हैं कि भारत वैश्विक स्तर पर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.
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