PM Modi US Visit: भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार सुबह यानी आज अपने 3 दिन के अमेरिका (USA) दौरे पर रवाना हो गए हैं. यह उनकी पहली स्टेट विजिट है. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) ने उन्हें स्टेट विजिट के लिए आमंत्रित किया है. मोदी की यह विजिट दोनों देशों के चुनावों से पहले हो रही है. अगले वर्ष अमेरिका में जहां राष्‍ट्रपति चुनाव होंगे, वहीं भारत में लोकसभा चुनाव होंगे, जो प्रधानमंत्री पद के दावेदार की हार-जीत तय करते हैं. इस तरह सियासत के जानकार मोदी की अमेरिका विजिट को मोदी और बाइडेन दोनों के लिए समर्थन जुटाने की कोशिश के रूप में भी देख रहे हैं.


अमेरिका में भारतीय मूल के लगभग 50 लाख लोग रहते हैं, लेकिन उनका वहां के चुनावों पर खासा प्रभाव रहता है. भारतीय-अमेरिकियों के पास धन वहां के अन्‍य तबके की तुलना में अधिक होता है, और राजनीति में भी उनकी काफी दिलचस्‍पी होती है. ऐसे में चाहे ट्रंप के अगुवाई वाले डेमोक्रेट पार्टी हो या अभी सत्‍ता में काबिज बाइडेन वाली रिपब्लिकन पार्टी, ये दोनों दल भारतीय-अमेरिकियों का समर्थन हासिल करने की कोशिश में होते हैं. पीएम मोदी की वाशिंगटन यात्रा हमें भारतीय-अमेरिकी मतदाताओं के 'चुनावी रूख' को समझाने में मदद करेगी. क्‍योंकि, भारतीय-अमेरिकी तबका वहां पीएम मोदी को देखने के लिए एकत्रित होता है, और जब मोदी वहां ट्रंप या बाइडेन की बड़ाई करते हैं तो लोगों को भी उन्‍हीं में से किसी एक के प्रति समर्थन झलकने लगता है. 




2005 में लगाया था बैन, फिर PM बने तो बिछाया रेड कार्पेट 
2005 में, नरेंद्र मोदी पर अमेरिका जाने से रोक लगा दी गई थी, तब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे, हालांकि,कई सालों बाद 2014 में जब मोदी भारत के प्रधानमंत्री बने तो अमेरिकी सरकार ने उनका अपने यहां भव्‍य स्‍वागत किया. अब परसों यानी कि 22 जून को, अमेरिका में मोदी के लिए फिर रेड कार्पेट बिछाया जाएगा, इसके साथ ही वो राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा स्‍टेट विजिट और डिनर पर आमंत्रित किए जाने वाले दुनिया के तीसरे नेता बन जाएंगे. 


स्‍टेट डिनर पाने वाले मोदी दुनिया के तीसरे नेता होंगे
बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति स्‍टेट विजिट और स्‍टेट डिनर का न्‍यौता केवल अपने निकटतम सहयोगियों के लिए ही देते हैं, मोदी से पहले ये सम्‍मान फ्रांस के राष्‍ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन और दक्षिण कोरिया के यून सुक येओल का दिया गया था. व्हाइट हाउस ने एक बयान में कहा कि बाइडेन ने मोदी को इस तरह से चुना है जो उनके दोनों देशों के बीच "गहरी और करीबी साझेदारी" का संकेत है, विशेष रूप से विदेश नीति के मामलों पर. लेकिन यह शायद भारतीय अमेरिकी समुदाय की बढ़ती दृश्यता और चुनावी ताकत का भी प्रतीक है.




अमेरिका में 50 लाख हैं भारतीय मूल के लोग
पोमोना कॉलेज में राजनीति की सहायक प्रोफेसर और एएपीआई डेटा की एक वरिष्ठ शोधकर्ता सारा साधवानी कहती हैं, "अमेरिका में रहने वाले भारतीय मूल की अमेरिकी कम्‍यूनिटी के लोग प्रमुख निर्वाचन क्षेत्र हैं और कई स्विंग स्टेट्स में उनके वोट महत्वपूर्ण हैं." इन लोगों की आबादी लगभग 50 लाख है, और ये अब अमेरिका में दूसरा सबसे बड़ा अप्रवासी समूह और सबसे तेजी से बढ़ने वाला वोटिंग ब्लॉक है. उनका प्रभाव चुनावों में स्पष्ट झलकता है, जहां भारतीय अमेरिकियों ने 2020 के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान रिकॉर्ड संख्या में मतदान किया था.


अमेरिकी चुनाव में भारतीयों की सक्रियता
सत्ता के गलियारों में भी, यूएस सीनेट (कांग्रेस) से (जहां वर्तमान में 5 भारतीय अमेरिकी सांसद सेवारत हैं, और केवल एक दशक के भीतर बने) व्हाइट हाउस तक (कमला हैरिस, भारतीय मूल की पहली उपराष्ट्रपति) यह स्पष्ट हो गया. 2016 के बाद से हर राष्ट्रपति चुनाव में कम से कम एक भारतीय अमेरिकी उम्मीदवार शामिल हुआ है, और 2024 में तो भारतीय मूल के कम से कम दो उम्मीदवारों के चुनावी दौड़ में शामिल होने की संभावना है. जिनमें एक पंजाब के सिख प्रवासियों की बेटी निक्की हेले और दूसरे विवेक रामास्वामी हैं, जिनके माता-पिता केरल से हैं.


प्रवासी भारतीयों के बीच लोकप्रियता अधिक
भारतीय अमेरिकी समुदाय का सियासी-आकर्षण मोदी पर कम नहीं हुआ है, जिन्होंने बार-बार अपने प्रभाव का लाभ उठाया है. जब प्रधानमंत्री के रूप में मोदी पहली बार 2014 में सत्ता में आए, तो अमेरिका की पांच दिवसीय यात्रा के दौरान न्यूयॉर्क के मैडिसन स्क्वायर गार्डन में 20,000 दर्शकों ने उनका स्वागत किया. जहां बेतहाशा उत्साही भीड़ के सामने मोदी ने घोषणा की थी,"यह भारत की सदी है,". उसके बाद 2019 में, एक बार फिर ह्यूस्टन में "हाउडी मोदी" कार्यक्रम में लगभग 50,000 दर्शकों ने मोदी का शानदार स्वागत किया.




मोदी के कारण बढ़ रही भारत की हैसियत 
2020 में कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस और YouGov द्वारा भारतीय अमेरिकी दृष्टिकोण पर किए गए एक सर्वे में पाया गया कि भारतीय अमेरिकियों ने प्रधानमंत्री के रूप में मोदी की परफोर्मेंस का लोहा माना, और उनके बारे में मोटे तौर पर अनुकूल विचार रखे. दक्षिण एशिया कार्यक्रम के निदेशक मिलन वैष्णव का कहना है कि ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि भारतीय प्रवासी मोदी को "वैश्विक परिदृश्य पर भारत की सही स्थिति को पुनः प्राप्त करने" के रूप में देखते हैं.



वैष्णव कहते हैं, "भारत को अब भू-राजनीति के लिए बड़ा और महत्वपूर्ण दोनों माना जाता है." चाहे वह G-20 की मेजबानी करना हो, राष्ट्रपति बाइडेन द्वारा स्‍टेट डिनर पर बुलाना हो, या यहां तक कि व्लादिमीर पुतिन के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखना हो, वे कहते हैं कि “कई भारतीय प्रवासी सदस्य इसे एक संकेत के रूप में देखते हैं कि भारत अपने 'विश्‍वगुरु' वाले ओहदे में वापस आ रहा है और पुनरुत्थान का भी अनुभव कर रहा है.”




समर्थन किसे, रिपब्लिकन या डेमोक्रेट्स को?
टाइम मैगजीन की रिपोर्ट में बताया गया कि अमेरिका में मोदी के लिए समर्थन इस तथ्य के बीच उमड़ता है कि भारतीय अमेरिकी शायद ही मोनोलिथ हैं. और, वे रिपब्लिकन के बजाय डेमोक्रेट्स को वोट अधिक देते हैं, जो मोदी की दक्षिणपंथी भारतीय जनता पार्टी के साथ अधिक करीबी रखते हैं. वहीं, एएपीआई डेटा 2022 के सर्वेक्षण के अनुसार, डोनाल्ड ट्रंप का समर्थन करने वाले केवल 15% की तुलना में, 74% भारतीय अमेरिकी मतदाताओं ने 2020 में जो बाइडेन का समर्थन किया. हालांकि, बाइडेन द्वारा मोदी का स्वागत वाशिंगटन के नई दिल्ली के साथ रक्षा सौदे करने की उम्मीद के संदर्भ में व्यापक रूप से देखा जा रहा है.


चीन के कारण भी अहम है पीएम की यह यात्रा
कई विश्लेषकों का मानना है कि मोदी की इस अमेरिकी यात्रा की बड़ी वजह चीन का अमेरिका के रास्‍ते में आना है, और चीनी आक्रामकता को रोकने के लिए अमेरिका को भारत को साथ चाहिए है, वहीं, दूसरी ओर भारत का भी चीन से लंबे से सीमा विवाद है, जहां चीन हाल के वर्षों में आक्रामकता से पेश आया है. ऐसे में मोदी की यह यात्रा काफी अहम साबित हो सकती है. और, एक प्रमुख अमेरिकी वोटिंग ब्लॉक के बीच मोदी की लोकप्रियता को वहां के सियासी चेहरे अपने समर्थन के लिए भुनाना चाहते हैं. 


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