PM Modi In Egyp: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना अमेरिका दौरा समाप्त कर 24 जून को मिस्त्र के लिए रवाना होंगे. यह वर्ष 1997 के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली मिस्त्र यात्रा होगी. इतना ही नहीं, पीएम मोदी की भी यह पहली मिस्त्र यात्रा है. इस दौरे पर वे 11वीं सदी की प्रसिद्ध अल-हाकिम मस्जिद भी जाएंगे. विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने इस बात की पुष्टि की है. 


बता दें कि अल-हाकिम मस्जिद का पुर्निमाण 1980 में बोहरा मुस्लिम समुदाय ने कराया था. खास बात ये है कि पीएम नरेंद्र मोदी का यह ऐसा छठवां विदेशी दौरा होगा जहां वे मस्जिद में जाएंगे. यहां वे धर्मगुरुओं से मुलाकात भी कर सकते हैं. गौरतलब है कि पिछले सात वर्षों में मिस्त्र के राष्ट्रपति अब्दुल फतह अल-सिसी तीन बार भारत की यात्रा पर आ चुके हैं. ऐसे में पीएम मोदी की यह यात्रा बेहद ही महत्वपूर्ण मानी जा रही है. 


सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे पीएम 


जानकारी के मुताबिक, अपने मिस्र दौरे पर पीएम मोदी काहिरा में हेलियोपोलिस कॉमनवेल्थ वॉर ग्रेव कब्रिस्तान भी जाएंगे, जहां प्रथम विश्व युद्ध के दौरान मारे गए भारतीय सेना के लगभग 4,000 सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे. भारत के प्रधानमंत्री की इस यात्रा को लेकर विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने कहा है कि हमें इस बात की उम्मीद है कि पीएम मोदी की मिस्र की यात्रा न केवल दोनों देशों के बीच संबंधों को गति प्रदान करना जारी रखेगी, बल्कि कारोबार और आर्थिक सम्पर्क के नए क्षेत्रों में भी सहयोग को विस्तार देगी.’


अल-हाकिम मस्जिद के बारे में खास बातें 


अल-हाकिम मस्जिद मिस्र की राजधानी ओल्ड काइरो में स्थित बाब अल-फ़ुतुह के बगल में स्थित है. साल 990 में फातिमी ख़लीफ़ा अल-अज़ीज़ बी-इलाह निज़ार ने इसकी नींव रखी और साल 1013 में उनके बेटे अल-हकीम के शासनकाल के दौरान पूरा किया गया था. इसे मिस्र में सबसे पुराने इस्लामी स्मारकों में से एक माना जाता है. साथ ही इसको तैयार कराने वाले अल-हाकिम, मिस्र पर शासन करने वाले सबसे प्रसिद्ध खलीफाओं में से एक थे. 


भूकंप में तबाह हो गई थी मस्जिद 


साल 1302 में मिस्र में आये भीषण भूकंप के कारण यह मस्जिद बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई थी. मीनारों के कई मेहराब, आंतरिक खंभे, छत और ऊपरी हिस्से ढह गए थे. फिर बाद में ल्तान कलावुन द्वारा इसका जीर्णोद्धार किया गया. हालांकि, तब से मस्जिद का इस्तेमाल जेल, अस्तबल, किले और भंडारगृह के रूप में किया जाने लगा. फ्रांसीसी अभियान के दौरान भी मस्जिद का जेल के रूप में इस्तेमाल होता रहा है. माना जाता है कि अल-हाकिम मिस्र का चौथा सबसे धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण मस्जिद है.


इसकी मीनारों को वॉच-टावर के रूप में उपयोग किया जाता था. इसके क़िबला आर्केड का उपयोग इस्लामिक कला के संग्रहालय के रूप में किया जाता था, जिसे हाउस ऑफ़ द अरब एंटीक्विटीज़ कहा जाता था. 


बेहद खूबसूरत और आकर्षक है यह मस्जिद 


अल-हाकिम मस्जिद की इमारत ईटों से बनी हुई है, जिसमें चार इवानों से घिरे दो आंगन हैं. आयताकार रूप से बने इस मस्जिद का आकार 120.78 मीटर x 113.01 मीटर है. मस्जिद के चारों ओर बने दीवार इसे बेहद आकर्षक और खूबसूरत बनाते हैं. इतना ही नहीं, मस्जिद के मीनारों के शाफ़्ट और मेहराब के अंदरूनी हिस्सों को कूफ़ीक लिपि से लिख कर सजाया गया है.


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