नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने इजरायल दौरे के दौरान हाइफा शहर गए थे और वहां भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि भी दी. भारत से इस शहर का क्या कनेक्शन है ये हम आपको बता रहे हैं. इस शहर से भारत का बहुत पुराना रिश्ता है. प्रथम विश्व युद्ध (साल 1918) में भारतीय सैनिकों ने हाइफा को तुर्कों के कब्जे से मुक्त करवाया. हालांकि तब हाइफा फिलीस्तीन का हिस्सा हुआ करता था.


1948 में ये इजरायल का हिस्सा बना. भारतीय सैनिकों ने उस वक़्त फिलिस्तीन के हाइफा पर 400 साल पुराने राज को खत्म कर दिया था जिसमें कई जवानों की जान भी गई थी. इस लड़ाई में भारतीय सैनिकों की शहादत के सम्मान में हाइफा में एक स्मारक बना है. हाइफा इजरायल का तीसरा बड़ा शहर है. समुद्र के किनारे बसे होने के कारण इसका खासा महत्व है.


हाइफा शहर को भारतीय सैनिकों ने जीता
23 सितंबर 1918 को जोधपुर, हैदराबाद और मैसूर रियासत के सैनिकों ने हाइफा शहर को तुर्कियों के कब्जे से छुड़वाया. इस युद्ध में एक तरफ तलवार और भालों के साथ घोड़ों पर सवार भारतीय रियासतों के सैनिक थे औऱ दूसरी तरफ मशीनगन और बंदूकों से लैस तुर्क थे. इसके बावजूद भारतीय सैनिकों ने न सिर्फ तुर्कों का मुकाबला किया बल्कि हाइफा को उनके कब्जे से आजाद करवाया. इसी युद्ध में कई भारतीय सैनिक शहीद भी हुए थे. आज भी 23 सितंबर को इन सैनिकों को श्रद्धांजलि दी जाती है.


दिल्ली के तीन मूर्ति चौक का इजरायल कनेक्शन
तीन मूर्ति चौक का नाता इजरायल के हाइफा शहर से है. जहां पहले विश्वयुद्ध के दौरान भारत के 3 राज्यों जोधपुर, हैदराबाद और मैसूर से भेजे गए सैनिकों ने तुक्र साम्राज्य के खिलाफ युद्ध लड़ा था. यही कारण है कि इन 3 राज्यों के चलते इस मार्ग पर 3 प्रतीकात्मक मूर्तियां बनाई गई हैं जिसमें भारतीय सैनिकों के हाथ मे भाला है.