डोकलाम से व्यापार असंतुलन और BRI से बॉर्डर तक ये है भारत-चीन के बीच के बड़े विवाद
नई दिल्ली: डोकलाम विवाद और कड़वे रिश्तों के बीच पीएम नरेंद्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति और सर्वोच्च नेता शी जिनपिंग की मुलाकात हुई. इस मुलाकात के दौरान भारत और चीन की दोस्ती का नया अंदाज़ देखने को मिल रहा है. चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग से पहली बार कोई मेहमान इस तरह से मिल रहे हैं. मोदी और जिनपिंग के बीच मुलाकातों का सिलसिला हुबेई प्रोविंशियल म्यूजियम से शुरू हुआ.
आज से कल तक पीएम मोदी और जिनपिंग करीब 6 बार मिलेंगे. वहीं, किसी भी मुलाकात के बाद कोई साझा बयान नहीं आएगा. इस मुलाकात के बड़े मायने इसलिए हैं कि बीते साल डोकलाम विवाद को लेकर दोनों देशों के बीच रिश्ते काफी खराब हो गए थे और सीमा विवाद को लेकर भी लगातार काफी तनातनी रही है.
दरअसल, भारत और चीन न सिर्फ पड़ोसी देश हैं, बल्कि दोनों देश प्रतिद्वंदियों में भी शुमार किए जाते हैं, इसलिए इन दोनों देशों के बड़े नेताओं की मुलाकात और उससे छनकर आनी वाली खबरें न सिर्फ चीन और भारत के लिए अहम होती हैं. इस मुलाकात पर दक्षिण एशिया के साथ-साथ पूरे विश्व की नजरें हैं. आइए, आपको बताते हैं उन पांच बड़े मुद्दों के बारे में जिन्हें लेकर भारत और चीन के बीच विवाद रहा है-
1. डोकलाम विवाद
- भारत, भूटान और चीन के दरम्यान डोकलाम एक ट्राई-ज़ंक्शन (जहां तीनों देशों आकर मिलते हों) है.
- ये एक विवादित पहाड़ी इलाका रहा है जिस पर भूटान और चीन दोनों ही अपना दावा ठोकते आए हैं.
- भारत ने डोकलाम पर हमेशा से भूटान के दावे का समर्थन किया है.
- विवाद तब शुरू हुआ जब अपने दावे के तहत चीन ने 2017 की जून में यहां सड़क बनाना शुरू कर दिया.
- तब इस निर्माण कार्य को भारतीय सैनिकों ने रोक दिया.
- भारत के इस कदम का जब चीन ने विरोध किया तब दोनों देशों के बीच विवाद की शुरुआत हुई.
- भारत की इसे लेकर दलील ये रही है कि चीन डोकलाम में जहां सड़क बनाना चाहता वो भारत की सुरक्षा के लिहाज़ से ख़तरनाक है.
- ये डर भी जताया जा चुका है कि अगर भविष्य में युद्ध होता है चीनी सैनिक इसका इस्तेमाल भारत के सिलिगुड़ी पर कब्ज़े के लिए कर सकता है.
- भारत के नक़्शे में सिलिगुड़ी किसी मुर्गी के गर्दन जैसा हिस्सा है और इसलिए इसे 'चिकन नेक' कहकर बुलाते हैं.
- आपको बता दें कि अगर इस 'चिकन नेक' से भारत को अलग कर दिया जाय तो नॉर्थ ईस्ट के राज्यों से संपर्क कट जाएगा.
- दो महीनों से ज़्यादा तक चले डोकलमा विवाद के बाद भारत और चीन के सैनिक आपसी सहमति से पीछ हट गए थे.
- लेकिन बाद में फिर से ऐसी ख़बरें आईं कि चीन एक बार फिर वहां सड़क निमार्ण की कोशिश कर रहा है जिसकी वजह से दोनों देश एक बार फिर से आमने सामने आ गए.
- ऐसी ख़बरें भी आई थीं कि चीन ने उस इलाके में एक हेलीपैड भी बना लिया है.
2. सीमा विवाद
- 1962 में हुए भारत-चीन युद्ध की वजहों में सीमा विवाद भी एक वजह थी.
- दरअसल भारत और चीन 3,488 किलोमीटर लंबा बॉर्डर शेयर करते हैं.
- इतनी लंबी सीमा में कई ऐसे भी हिस्से हैं जहां ये तय नहीं है कि भारत कहां से शुरू और कहां पर खत्म होता है.
- वहीं कई हिस्सों में चीन कहां से शुरू और कहां पर खत्म होता है ये भी साफ नहीं है.
- इस वजह से पेट्रोलिंग के दौरान कई बार दोनों देशों की फौज आमने-सामने आ जाती है.
- कई बार ऐसा हुआ है कि चीन ने भारतीय सीमा में टेंट गाड़ दिये हों और बाद में पीछे हटा हो.
- ऐसा ही दावा चीन की ओर से भी किया जाता रहा है कि भारती सैनिक उसके इलाके में आ गए हैं.
- आपको ये भी बता दें कि चीन अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा मानता है और इसे दक्षिण तिब्बत बुलाता है, जबकि ये भारत का हिस्सा है.
- दोनों देशों के बीच अक्सर इसे लेकर मतभेद होते रहे हैं.
- दलाई लामा के पिछले अरुणालच दौरे पर चीन ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी.
- सीमा विवाद को सुलझाने के लिए भारत और चीन के बीच अभी तक कई राउंड्स की बातचीत हो चुकी है.
- 3,488 किलोमीटर लंबी इस लाइन ऑफ ऐक्चुअल कंट्रोल पर शांति बनाए रखने के लिए कई कदम उठाए गए हैं.
- दोनों देशों के बीच बॉर्डर का डिमार्केशन एक बड़ा पेचीदा मुद्दा है.
3. व्यापार संतुलन
- ताज़ा आंकड़ों के अनुसार भारत-चीन द्विपक्षीय व्यापार साल 2017 में 84.44 अरब डॉलर का रहा.
- 2017 में भारत ने चीन को 16.34 अरब डॉलर का एक्सपोर्ट किया.
- वहीं, चीन से भारत ने 68.10 अरब डॉलर का इंपोर्ट किया.
- ऐसे में साल 2017 में द्विपक्षीय व्यापार में भारत का व्यापार घाटा 51.76 अरब डॉलर रहा.
- आपको बता दें कि दोनों देशों के बीच व्यापार का संतुलन एक बड़ा मुद्दा है.
- आपको ये भी बता दें कि भारत इकलौता देश नहीं है. चीन ने दुनिया के लगभग सभी देशों से व्यापार का ऐसा ही असंतुलन बना रखा है.
4. बीआरआई (बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव)
- बीआरआई के जरिए चीन अमेरिका की जगह लेने की फिराक में है.
- बीआरआई के तहत चीन ने भारत के कई पड़ोसी देशों सहित अफ्रीका से लेकर मीडिल ईस्ट तक में भारी निवेश किया है.
- बीआरआई को लेकर भारत का पुरज़ोर विरोध रहा है.
- इसके तहत चीन पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर में भी निर्माण करने की फिराक में है.
- पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर पर भारत का ऐतिहासिक दावा रहा है.
- ये एक बड़ी वजह है जिसने भारत को बीआरआई के विरोध में लाकर खड़ा किया.
- वहीं, विश्व शक्ति बनने की फिराक में लगा चीन इसके सहारे भारत को लगभग घेर चुका है.
- बीआरआई पर एक चीनी थिंक टैंक ने भारत को सबसे अहम माना है.
- उसका कहना है कि भारत के सहयोग के बिना बीआरआई का विकास मुश्किल है
5. पाकिस्तान के साथ चीन के संबंध
- बीआरआई के तहत बन रहा चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा दोनों देशों के रिश्तों को एक नई ऊंचाई पर ले गया है.
- ये भारत के लिए गले की फांस साबित होगा क्योंकि बीआरआई के तहत होने वाले निर्माण में अगर चीनी सैनिकों की पाकिस्तान में मौजूदगी होती है, तो चीन भारत को पाकिस्तान के साथ मिलकर घेर लेगा.
- जैश-ए-मोहम्मद के मसूद अजहर पर भारत ने संयुक्त राष्ट्र में जब-जब बैन लगवाने की कोशिशें की हैं तब-तब चीन ने अडंगा लगाया है.
- हाल ही में चीन ने पीएम मोदी के लंदन में पाकिस्तान के खिलाफ दिए गए बयान के बाद एक बयान दिया था.
- इसमें वो पाकिस्तान के साथ खड़ा नज़र आया और अपील की कि पाकिस्तान को आतंक के चंगुल से छुड़ाने की दरकार है.
- भारत में पकड़े या मारे जाने वाले पाकिस्तानी आतंकियों के पास से चीनी हथियार मिलते रहे हैं.
- भारत के खिलाफ चीन ने पाकिस्तान की प्रत्यक्ष-अप्रत्क्ष तौर पर लगातार मदद की है.
- दोनों देशों के रिश्तों को आप ऐसे समझ सकते हैं कि चीन को पाकिस्तान का 'ऑल वेदर फ्रेंड' यानी हर मौसम में साथ देने वाला दोस्त कहकर बुलाया जाता है.
इसके अलावा चीन UNSC (संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद) से लेकर NSG (परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह) तक में भारत की सदस्यता का विरोध करता रहा है. चीन ने शी को आजीवन के लिए अपने देश का राष्ट्रपति बना दिया है. आर्थिक और सैन्य ताकत में तेज़ी से मज़बूत होते इस देश का पीएम मोदी का ये दौरा इसलिए भी अहम है, क्योंकि चीन के उठाए गए ज़्यादातर कदमों का भारत पर सीधा असर पड़ता है. ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि पीएम मोदी के इस चीन दौरे से दोनों देशों के रिश्तों के भविष्य के लिए क्या निकलकर आता है.