Pakistan Violence: पाकिस्तान के लिए खतरे की घंटी बनी PoK में भड़की हिंसा, जानें क्या हैं प्रदर्शनकारियों की मांग
PoK Protest: जम्मू कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर शोर मचाने वाला पाकिस्तान अब PoK में ही प्रदर्शनकारियों के विरोध को बल पूर्वक दबाने के चलते सुर्खियों में है.
Pakistan occupied Kashmir: जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में साल 1996 के बाद 2024 लोकसभा के लिए सबसे ज्यादा मतदान प्रतिशत दर्ज किया गया. जबकि, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में कश्मीरी बीते 9 मई से इस्लामाबाद के सौतेले व्यवहार के खिलाफ आवाज बुलंद करते नजर आ रहे हैं. जहां राजधानी मुजफ्फराबाद में बिजली और आटे के बढ़ते दामों को लेकर हजारों की संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए हैं.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की राजधानी मुजफ्फराबाद समते कई शहरों में प्रदर्शन के दौरान हिंसा, आगजनी की घटनाएं सामने आ रही हैं. हालांकि, पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के लिए 6.8 करोड़ डॉलर के राहत पैकेज की घोषणा की थी, इस पैकेज की घोषणा के बाद से ही हिंसक विरोध प्रदर्शन बंद हो गया, मगर, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में बढ़ती महंगाई के चलते हो रहा आंदोलन इस्लामाबाद के लिए एक खतरे का सिग्नल बन गया है.
जानिए POK में प्रदर्शनकारियों की क्या हैं मांगे?
प्रदर्शनकारी कई मांगे उठा रहे हैं, जिसमें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को गिलगित-बाल्टिस्तान के बराबर गेहूं सब्सिडी मिलने और इलेक्ट्रिसिटी बिल मंगला बांध परियोजना से पैदा होने वाली लागत पर होने की मांग प्रमुख हैं. वहीं, सरकारी अधिकारियों के अनावश्यक भत्ते और विशेषाधिकार पूरी तरह से खत्म करने की मांग भी PoK के लोग उठा रहे हैं. छात्र संघों पर लगे प्रतिबंध हटाने और चुनाव कराए जाने की भी मांग है. PoK में जम्मू और कश्मीर बैंक को एक अनुसूचित बैंक बनाए जाने को लेकर भी प्रदर्शन किया जा रहा है.
इसके साथ ही नगर निगम प्रतिनिधियों को धन एवं अधिकार दिये जाएं. सेलुलर कंपनियों और इंटरनेट सेवाओं की दरें मानक के हिसाब से ही तय की गई हों. इसके अलावा संपत्ति के ट्रांसफर के टैक्स को कम किया जाए. साथ ही सबसे जरूरी PoK में पेड़ काटने पर सख्ती से प्रतिबंध लगना चाहिए.
PoK में पश्चिमी मीडिया में नहीं मिली कवरेज
वहीं, पाकिस्तान सरकार और पश्चिमी मीडिया ने PoK में फैली अराजकता को उतनी कवरेज नहीं दी. मगर, समाहमी, सेहंसा, मीरपुर, दादियाल, रावलकोट, खुईरत्ता, तत्तापानी और हट्टियन बाला में स्थानीय लोगों की ओर से जमकर विरोध प्रदर्शन किए गए. बता दें कि, इसके बाद से ही पुलिस ने करीब जम्मू-कश्मीर जॉइंट अवामी एक्शन कमेटी के 70 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया था.
इसके कारण पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई. जिसमें एक पुलिस अधिकारी की मौत हो गई और 100 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हो गए. इनमें कई पुलिसकर्मी भी शामिल हैं.
क्या है PoK में विरोध प्रदर्शन का कारण?
दरअसल, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में जम्मू-कश्मीर जॉइंट अवामी एक्शन कमेटी एक सामाजिक-राजनीतिक संगठन है, जिसमें व्यापारी, ट्रांसपोर्टर और वकील शामिल हैं. जो PoK में बिजली, पेट्रोल और आटे की बढ़ती कीमतों के कारण विरोध प्रदर्शन में सबसे आगे रहा है. इस दौरान जेएएसी ने 11 मई को मुजफ्फराबाद में 'लॉन्ग मार्च' का आह्वान किया था, जिसे पाकिस्तान सरकार ने 8-9 मई को छापेमारी और कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी से रोक दिया था.
हालांकि, हिंसक विरोध प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तान रेंजर्स के तीन वाहनों को आग लगा दी थी. इसके साथ ही प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तान विरोधी और स्वतंत्रता समर्थक नारे लगाए, बता दें कि, पिछले सप्ताह से पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में इंटरनेट बंद था. साथ ही स्कूल और व्यापारिक प्रतिष्ठान भी बंद थे.
प्रदर्शनकारियों की मांगों के सामने झुकी पाकिस्तान सरकार
इस दौरान पाकिस्तानी अर्धसैनिक बलों ने मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाने वाले कार्यकर्ताओं के विरोध प्रदर्शन को दबाने के लिए बल का प्रयोग किया. बताया जा रहा है कि विरोध प्रदर्शन इतना हिंसक था कि पीएम शरीफ को प्रदर्शनकारियों से शांति का आह्वान करना पड़ा. आखिर में पाकिस्तानी सरकार को सब्सिडी वाली बिजली और ईंधन से जुड़ी प्रदर्शनकारियों की मांगों के सामने झुकना पड़ा. विरोध प्रदर्शन के बाद से ही इस्लामाबाद ने पुलिस के अलावा सेना और पाकिस्तान रेंजर्स की तीन बटालियन तैनात कर दी हैं.
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