Pope Francis Apologizes: पोप फ्रांसिस ने एलजीबीटी समुदाय के लिए कथित तौर पर अपमानजनक शब्द का प्रयोग करने के मामले में माफी मांग लिया है. उन्होंने इटली में बिशपों के साथ एक निजी बैठक के दौरान समलैंगिक लोगों के लिए अपमानजनक शब्द का प्रयोग किया था. पोप की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है कि उनका होमोफोबिक भाषा के प्रयोग का कोई इरादा नहीं था. वेटिकन के प्रवक्ता माटेओ ब्रूनी ने कहा, 'पोप का कभी भी समलैंगिक विरोधी शब्दों से अपमानित करने का इरादा नहीं था, वह उन लोगों से माफी मांगते हैं जो दूसरे लोगों की तरफ से बताई गई बातों से आहत हुए हैं.'


दरअसल, पोप फ्रांसिस ने इटली में बिशपों के साथ बंद कमरे में एक निजी बैठकी की थी, जिस दौरान उन्होंने कथित तौर पर एलजीबीटी समुदाय के लिए अपमानजनक टिप्पणी की थी. इस टिप्पणी को इटली की मीडिया ने अपने रिपोर्ट में प्रमुखतौर पर प्रकाशित किया था. इटालियन मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, बैठक के दौरान पोप फ्रांसिस ने इटालियन शब्द 'फ्रोसियागिन' का इस्तेमाल किया था. इसका मोटे तौर पर अनुवाद 'फगोटनेस' या 'फगोट्री' है. वेटिकन के प्रवक्ता ने इस बात पर जोर दिया कि पोप इटालियन मीडिया की रिपोर्टों से वाकिफ हैं. वे एक समावेशी और स्वागत करने योग्य चर्च को बढ़ावा देने के लिए समर्पित हैं.


एलजीबीटी समुदाय को लेकर पोप फ्रांसिस पहले भी दे चुके हैं बयान
वेटिकन के प्रवक्ता माटेओ ब्रूनी ने इस बात को दोहराया कि 'कोई भी बेकार नहीं है, कोई भी जरूरत से ज्यादा नहीं है. पोप के पास सबके लिए जगह है.' 87 वर्षीय पोप फ्रांसिस को उनके 11 साल के कार्यकाल के दौरान एलजीबीटी समुदाय तक पहुंच के लिए जाना जाता है. साल 2013 में पोप फ्रांसिस ने कहा था कि 'यदि कोई शख्स समलैंगिक है और ईश्वर को पाना चाहता है, उसके विचार अच्छे हैं तो मैं निर्णय करने वाला कौन होता हूं.'


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