Pope Francis: पोप फ्रांसिस ने कैथोलिक चर्च में यौन शोषण के आरोपी पादरियों पर चुप्पी तोड़ी है. बेल्जियम के स्पोर्ट्स स्टेडियम में करीब 30 हजार लोगों के समक्ष पोप फ्रांसिस ने आरोपी पादरियों का जिक्र किया. स्पोर्ट्स स्टेडियम में पोप फ्रांसिस ने यौन शोषण के दोषियों को कड़ी सजा और पीड़ितों को न्याय दिलाने की बात कही. पोप फ्रांसिस बेल्जियम की यात्रा पर गए थे.


पोप फ्रांसिस ने सख्त लहजे में कहा कि बिशपों को पादरियों के अपराधों पर किसी भी तरह से पर्दा नहीं डालना चाहिए और बुराइयों को सार्वजनिक करने की जरुरत है. पोप फ्रांसिस ने कहा, 'समाज में दुर्व्यवहार के लिए कोई भी स्थान नहीं है. बुराइयों को छिपाना नहीं चाहिए बल्कि उनसे पर्दा हटाना चाहिए.'


पीड़ितों से की थी मुलाकात


पोप फ्रांसिस ने यौन शोषण के 17 पीड़ितों से भी शुक्रवार (27 सितंबर) को मुलाकात की. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यौन शोषण के पीड़ितों ने मुलाकात के दौरान पोप फ्रांसिस को उन्हें पहुंचे मानसिक आघात की भी जानकारी दी. पीड़ितों ने पोप फ्रांसिस को इन अपराधों पर चर्च के उदासीन रवैये से भी अवगत कराया था. 


पोप फ्रांसिस पर किसने बनाया दबाव?


पोप फ्रांसिस पर बेल्जियम के प्रधानमंत्री अलेक्जेंडर डी क्रू ने कैथोलिक चर्च में यौन शोषण के मुद्दे पर दबाव बनाने के साथ ही उन पर निशाना भी साधा था. चर्च में यौन शोषण की घटनाओं को छिपाने के लिए बेल्जियम के प्रधानमंत्री अलेक्जेंडर डी क्रू काफी गुस्से में थे. बेल्जियम के प्रधानमंत्री अलेक्जेंडर डी क्रू ने कहा था कि यौन शोषण के पीड़ितों के हितों को हर हाल में प्राथमिकता दी जानी चाहिए. बेल्जियम के राजा फिलिप (Philippe) ने भी इस मुद्दे पर पोप फ्रांसिस के लिए काफी कड़े शब्दों का इस्तेमाल करते हुए चर्च से प्रायश्चित करने की मांग कर दी थी. 


क्या है मामला? 


मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो बेल्जियम के चर्च में यौन शोषण के मामले करीब 25 साल से सामने आ रहे हैं. इसी क्रम में साल 2010 में ब्रुगेस बिशप रोजर वांगेलुवे पर एक गंभीर आरोप लगा. बताया गया कि बिशप रोजर वांगेलुवे ने 13 साल तक अपनी भतीजे का यौन शोषण किया. हालांकि, बाद में उन्होंने अपना अपराध स्वीकार कर लिया था.