इस्लामाबाद: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पाकिस्तान पर अमेरिका को ‘झूठ और धोखे’ के सिवा कुछ भी नहीं देने का आरोप लगाने के बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी से मुलाकात की. जियो टीवी ने अपने सूत्रों के हवाले से बताया, ‘‘बैठक में ट्रंप के बयान की एक विस्तृत समीक्षा की गई.’’
रिपोर्ट में कहा गया कि दोनों नेताओं ने देश की विदेश नीति पर चर्चा की. आसिफ ने ट्वीट किया, ‘‘हम अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के ट्वीट पर इंशाअल्लाह जल्द जवाब देंगे...हम विश्व को सच्चाई बताएंगे....तथ्यों और गढ़ी कहानी का अंतर बताएंगे.’’ मंत्री ने कहा, ‘‘हम अमेरिका के लिए कुछ और करने की बात से इनकार कर चुके हैं. हमने ट्रंप प्रशासन को बता दिया है कि हम उसके लिए कुछ और नहीं करेंगे और करने का कोई महत्व नहीं है."
उन्होंने कहा, ‘‘पाकिस्तान को पिछले 15 सालों में अमेरिका से जो सहायता मिली है उसकी हर जानकारी पब्लिक करने को तैयार है.’’ इस बीच पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की सीनेटर शेरी रहमान ने ट्वीट किया, ‘‘गठबंधन सहायता राशि को पाकिस्तान में कभी भी सहायता के तौर पर नहीं गिना गया. ना ही इसे सहायता के तौर पर देखा जाएगा. वह सीमा पर संयुक्त कार्रवाई पर होने वाले खर्च की भरपाई थी. हमें बाकी ‘सहायता’ के बारे में बात करनी चाहिए क्योंकि पाकिस्तान ने नाटो की आवाजाही के लिए कभी पैसे नहीं लिए.’’
साल के पहले ट्वीट में ट्रंप ने पाकिस्तान को किया तार-तार
ट्रंप ने पाकिस्तान पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि पिछले 15 सालों में 33 अरब डॉलर की सहायता के बदले पाकिस्तान ने अमेरिका को ‘झूठ और धोखे’ के सिवा कुछ भी नहीं दिया है. ट्रंप ने साथ ही यह भी कहा कि पाकिस्तान ने आतंकवादियों को ‘सुरक्षित पनाहगाह’ मुहैया करायी. ट्रंप ने कड़े शब्दों वाले ट्वीट में कहा, ‘‘अमेरिका ने मूर्खतापूर्ण तरीके से पाकिस्तान को पिछेल 15 सालों में 33 अरब डॉलर से अधिक की सहायता दी और उन्होंने हमारे नेताओं को मूर्ख समझते हुए हमें ‘झूठ और धोखे’ के अलावा कुछ भी नहीं दिया.’’
उन्होंने साल 2018 के अपने पहले ट्वीट में कहा, ‘‘उन्होंने उन आतंकवादियों को सुरक्षित पनाहगाह मुहैया करायी जिनके खिलाफ हम बहुत कम मदद के बावजूद अफगानिस्तान में कार्रवाई करते हैं. अब और नहीं.’’
यह अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की ओर से किया गया सबसे कड़ा हमला है. उनकी टिप्पणी न्यूयॉर्क टाइम्स की उस ख़बर के कुछ दिन बाद आयी है जिसमें कहा गया था कि अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में पाकिस्तान की अनिच्छा के प्रति अपना असंतोष व्यक्त करते हुए उसे दी जाने वाली 22.5 करोड़ डॉलर सहायता रोकने पर विचार कर रहा है.