PPP vs Government: पाकिस्तान में सिंधु नदी पर नहरों के निर्माण को लेकर एक बार फिर विवाद बढ़ गया है. पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने 25 मार्च को सिंध प्रांत के सभी जिलों में विरोध रैलियां आयोजित करने की घोषणा की है. ये विरोध प्रदर्शन संघीय सरकार की नहर निर्माण योजना के खिलाफ किया जाएगा जिसे पार्टी ने 'तानाशाही' करार दिया है. पीपीपी ने आरोप लगाया कि संघीय सरकार बिना किसी संवैधानिक मंजूरी के सिंधु नदी से जुड़े अहम जल स्रोतों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रही है.
स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार पीपीपी-सिंध के अध्यक्ष निसार अहमद खुहरो ने शुक्रवार (21 मार्च) को सिंध विधानसभा परिसर में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस विरोध का ऐलान किया. खुहरो ने संघीय सरकार की निंदा करते हुए कहा कि ये कदम संविधान और लोकतांत्रिक सिद्धांतों के खिलाफ है. उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि अगर इन नहर परियोजनाओं को नहीं रोका गया तो पीपीपी के विरोध प्रदर्शन के परिणामस्वरूप सरकार को इस योजना को छोड़ने पर मजबूर होना पड़ेगा. खुहरो ने कहा 'हमारे विरोध प्रदर्शन का उद्देश्य सरकार को इस विवादास्पद योजना से पीछे हटने के लिए मजबूर करना है.'
पीपीपी का नहरों के खिलाफ विरोध
खुहरो ने ये भी कहा कि सिंध के लोग और सभी राजनीतिक दलों को नहर प्रोजेक्ट के खिलाफ संघर्ष में शामिल होना चाहिए. उन्होंने कहा 'सिंध के लोगों की एकजुट आवाज इस मुद्दे पर प्रभाव डालेगी.' पीपीपी ने ये भी साफ किया कि वे सिंधु नदी पर नहरों के खिलाफ हैं, लेकिन वे निष्पक्ष और न्यायपूर्ण परिसीमन के पक्ष में हैं. उनका कहना है कि अगर इन परियोजनाओं को लागू किया गया तो सिंध प्रांत को हमेशा के लिए पानी की सप्लाई से वंचित किया जा सकता है क्योंकि सिंध का अस्तित्व सीधे सिंधु नदी से जुड़ा हुआ है.
पीपीपी ने चोलिस्तान नहर को तानाशाही कदम बताया
पीपीपी नेता ने कहा कि संघीय सरकार ने बिना किसी संवैधानिक मंच की मंजूरी के चोलिस्तान नहर का निर्माण शुरू कर दिया है जो एक तानाशाही कदम है. पाकिस्तान के प्रमुख अखबार डॉन के मुताबिक पीपीपी ने पहले ही सिंधु नदी पर छह नई नहरें बनाने की संघीय सरकार की योजना को खारिज कर दिया था. इसके बाद इस सप्ताह की शुरुआत में सिंध में कई रैलियां आयोजित की गई जिसमें प्रदर्शनकारियों ने इस प्रोजेक्ट का विरोध करते हुए चेतावनी दी कि इस कदम से सिंध के पानी पर गंभीर असर पड़ेगा.