चुनावी परीक्षा से पहले नंबर बनाने में जुटे ट्रंप ने चलाई H1B समेत वीजा व्यवस्था पर कैंची
अमेरिका में उच्च कुशल भारतीय पेशेवर H1B और संबंधित गैर-आप्रवासी वीजा व्यवस्था के रास्ते अमेरिका में काम करने पहुंचते हैं. इससे न केवल उन्हें बेहतर अवसर हासिल होते हैं, बल्कि अमेरिकी कंपनियों को तकनीकी और प्रतिस्पर्धी बढ़त हासिल करने में मदद मिलती है.
नई दिल्ली: अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव की परीक्षा जैसे जैसे पास आ रही है डोनाल्ड ट्रम्प की चिंताएं भी बढ़ रही हैं. लिहाज़ा इस इम्तिहान से पहले अपने नम्बर बनाने में जुटे ट्रम्प ने अमेरिकी वीजा व्यवस्था पर पाबंदियों की कैंची चलाई है. राष्ट्रपति ट्रंप ने एच1बी, एच2बी, जे और एल श्रेणी समेत अनेक वीजाओं में बड़ी कटौती करने का एलान किया है.
राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि कोरोना संकट के दौरान कई अमेरिकी लोगों की नौकरियां गई हैं. ऐसे में जरूरी है कि उनके रोजगार को बचाने के उपाय किए जाएं. इसीलिए नए इमीग्रेंट वीजा पर फिलहाल पाबंदियां लगाने का फैसला किया गया है.
अमेरिका में व्हाइट हाउस की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि हमारी नैतिक जिम्मेदारी अपने लोगों के जीवन और रोजगार के सुरक्षा की है. इसके तहत फिलहाल एक साल के लिए नए इमिग्रेंट वीजा पर रोक लगाने का फैसला किया गया है. ताकि कोरोना वायरस संकट से अर्थव्यवस्था को उबारने में अमेरिकी नागरिकों की मदद की जा सके.
हालांकि अमेरिका के लिए दुनिया का बेहतरीन टैलेंट बटोरने वाले इस दरवाज़े पर ताला लगाने की राष्ट्रपति ट्रम्प की कोशिशों पर अब बड़े अमेरिकी कारोबारी और सीईओ ही सवाल उठा रहे हैं. चुनावों से पहले विदेशी पेशेवरों को दिए जाने वाले एच1बी वीज़ा की संख्या में कटौती के फैसले पर टेक्नोलॉजी महा कम्पनी गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई, कार कम्पनी टेस्ला के संस्थापक एलन मस्क समेत कई लोगों ने सवाल उठाए हैं. अनेक राजनेताओं ने भी इस बाबत राष्ट्रपति ट्रम्प के फैसले की आलोचना की है.
बीते माह तक अमेरिकी विदेश विभाग में दक्षिण और मध्य एशिया मामलों की प्रभारी रही राजनयिक एलिस जे वेल्स ने भी एच1बी वीजा में कटौती किए जाने को गलत फैसला बताया. महत्वपूर्ण है कि ट्रम्प प्रशासन के एच1बी वीज़ा में कटौती के किसी भी निर्णय से भारत पर काफी असर होगा, क्योंकि इस सुविधा का अधिकतम लाभ उठाने वाले पेशेवर भारत के रहे हैं. आंकड़े बताते हैं कि हर साल जारी होने वाले करीब 85 हजार एच1बी वीजा में से 70 फीसद का लाभ भारतीय नागरिक उठाते रहे हैं.
बीते दिनों नास्कॉम के एक कार्यक्रम में विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला ने कहा था कि भारत ने हमेशा इस बात पर जोर दिया है कि पारस्परिक रूप से लाभदायक इस साझेदारी को बनाए रखने की जरूरत है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी राष्ट्रपति ट्रम्प की भारत यात्रा के दौरान इस मुद्दे को उठाया था. पीएम ने कहा था कि भारत और अमेरिका के बीच इस विशेष मित्रता की सबसे महत्वपूर्ण नींव हमारे लोगों से लोगों के बीच के संबंध हैं. चाहे वह पेशेवर हों या छात्र हों, अमरीका में भारतीय डायस्पोरा का सबसे बड़ा योगदान रहा है.
अमेरिका में उच्च कुशल भारतीय पेशेवर H1B और संबंधित गैर-आप्रवासी वीजा व्यवस्था के रास्ते अमेरिका में काम करने पहुंचते हैं. इससे न केवल उन्हें बेहतर अवसर हासिल होते हैं, बल्कि अमेरिकी कंपनियों को तकनीकी और प्रतिस्पर्धी बढ़त हासिल करने में मदद मिलती है.
हालांकि यह पहला मौका नहीं है, जब राष्ट्रपति ट्रम्प ने एच1बी वीजा व्यवस्था में कटौता का मुद्दा उठाया. राष्ट्रपति पद के लिए अपने पहले चुनाव में भी ट्रंप इस मामले को उठाते रहे हैं. हालांकि उनकी सरकार ने एच1बी वीजा पर कोई बड़ी रोक नहीं लगाई. लेकिन अब ट्रंप इस बाबत कार्यकारी आदेश पर दस्तखत की तैयारी कर रहे हैं, जिसमें एच1बी समेत कामकाज के लिए दिए जाने वाले अस्थाई वीजा की संख्या कम की जानी है.
एच-1बी, एच2बी, जे और एल श्रेणी के अमेरिकी वीजा में किए जा रहे निलंबन अमेरिका में बाहर से आने वाले पेशेवर को बड़ा झटका दे सकता है. प्रस्तावित निलंबन 1 अक्टूबर से शुरू होने वाले सरकार के नए वित्तीय वर्ष में बढ़ सकता है. इस दौरान कई नए वीजा जारी किए जाते हैं. हालांकि इससे वो लोग प्रभावित नहीं होंगे, जिनके पास पहले से वीजा हैं.
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