अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चुनाव में जो बाइडेन में सामने शिकस्त खाने के बावजूद ईरान पर हमला करने वाले थे. उसकी वजह थी ईरान की तरफ से परमाणु सामग्री में कई गुणा बढ़ोत्तरी करना. न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप ने पिछले हफ्ते व्हाइट हाउस के सलाहकारों से ईरान के न्यूक्लियर भंडार पर हमला करने के बारे में पूछा था.


ट्रंप ने पिछले गुरुवार को ओवल ऑफिस में इस बारे में बताया था लेकिन उनके प्रशासन के सीनियर अधिकारियों ने उन्हें ऐसा करने से मना कर दिया. डोनाल्ड ट्रंप से अमेरिकी उपराष्ट्रपति माइक पेंस, विदेश मंत्री माइक पोम्पियो और अन्य नेताओं ने कहा कि आखिरी के उनके राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान बचे कुछ हफ्तों में ऐसा करने पर दोनों देशों के बीच बड़ा युद्ध छिड़ जाएगा.


ट्रंप की तरफ से हमले का विचार उस वक्त किया गया जब अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) ने यह बताया कि ईरान ने भारी मात्रा में परमाणु सामग्रियों का भंडार कर लिया है. इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी ने पिछले बुधवार को यह खबर दी थी कि 2018 में परमाणु समझौते के तहत ईरान का यूरेनियम भंडार परमाणु समझौते के तहत अनुमति से 12 गुना बड़ा हो गया।


न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, इसके बाद ट्रंप ने अपने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार से पूछा था कि इसके जवाब में उनके पास क्या विकल्प है. उसके बाद राष्ट्रपति ट्रंप को सैन्य कार्रवाई के खतरे के बारे में बताया गया. इस बैठक के बारे में जानकारी रखने वाले अधिकारी ने बताया कि डोनाल्ड ट्रंप अब भी ईरान की अन्य संपत्तियों या सहयोगियों पर कार्रवाई कर सकते हैं. हालांकि, न्यूयॉर्क टाइम्स की इस रिपोर्ट पर व्हाइट हाउस ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.


गौरतलब है कि अमेरिका और ईरान के बीच काफी तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है. इससे पहले, अमेरिका ने इराक की राजधानी बगदाद में  एक हवाई हमले के दौरान उसके टॉप मेजर जनरल और ईरान की कुर्द फोर्स के प्रमुख कासिम सुलेमानी को मार गिराया था. इसके बाद ईरान में अमेरिका के खिलाफ काफी गुस्सा देखा गया था और उससे बदला लेने की मांग उठ रही थी।


गौरतलब है कि बराक ओबामा के अमेरिकी राष्ट्रपति रहते समय अमेरिकी और ईरान के बीच संबंध थोड़े सुधरने शुरू हुए। ईरान के साथ परमाणु समझौता हुआ, जिसमें ईरान ने परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने की बात की। इसके बदले उस पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों में थोड़ी ढील दी गई थी। लेकिन डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के बाद इस समझौता रद्द कर दिया और उसके बाद फिर से दोनों देशों के बीच दुश्मनी फिर शुरू हो गई।