काठमांडू: नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा ने बुधवार को नेपाल के 40वें प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली. राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने काठमांडू में एक समारोह में नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. माओवादी नेता पुष्प कमल दहल प्रचंड की जगह 70 साल के देउबा चौथी बार प्रधानमंत्री बने हैं. सत्ता बंटवारा समझौते के तहत नौ महीने बाद प्रचंड ने इस्तीफा देते हुए देउबा का नाम प्रस्तावित किया था.


देउबा ने चौथी बार संभाली देश के प्रधानमंत्री पद की कमान


 नेपाली कांग्रेस के दिग्गज राजनीतिज्ञ शेर बहादुर देउबा को आज राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने देश के नए प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई. देउबा के शपथ लेने के बाद सात नए मंत्रियों, नेपाली कांग्रेस के तीन, सीपीएन (माओवादी सेंटर) के तीन और नेपाल लोकतांत्रिक फोरम के एक ने शपथ ली. देउबा ने चौथी बार देश के प्रधानमंत्री पद की कमान संभाली है. 12 साल पहले नेपाल के राजा ज्ञानेंद्र बीर बिक्रम शाह देव ने उन्हें पद से हटा दिया था.


3 उपप्रधानमंत्री और 4 मंत्रियों के साथ 8 सदस्यीय मंत्रिमंडल का गठन


नेपाल की सबसे पुरानी पार्टी-नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष देउबा को कल देश का 40वां प्रधानमंत्री चुना गया. नेपाली कांग्रेस अध्यक्ष के पक्ष में संसद के 593 वोटों में से 388 वोट पड़े. प्रधानमंत्री के निर्वाचन के दौरान 558 सांसदों ने मतदान किया. देउबा इस पद के एकमात्र उम्मीदवार थे. प्रधानमंत्री देउबा ने तीन उपप्रधानमंत्री और चार मंत्रियों के साथ आठ सदस्यीय मंत्रिमंडल का गठन किया है.


प्रभु साह को नहीं दिया गया कोई विभाग


नेपाली कांग्रेस के गोपाल मान श्रेष्ठ को उप प्रधानमंत्री और शिक्षा मंत्री नियुक्त किया गया. नेपाली कांग्रेस के ही ज्ञानेंद्र बहादुर कार्की और फरमुल्लाह मंसूर को क्रमश: वित्त मंत्री और श्रम व रोजगार मंत्री नियुक्त किया गया. तो वहीं सीपीएन (माओवादी सेंटर) के कृष्ण बहादुर महारा को उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री नियुक्त किया गया. इसी तरह, सीपीएन (एमसी) के नेता जनार्दन शर्मा को गृह मंत्री और इसी पार्टी के प्रभु साह को भी मंत्री बनाया गया है, लेकिन अभी उन्हें कोई विभाग नहीं दिया गया है.


तीन सूत्री समझौते के बाद देउबा के पक्ष में मतदान


नेपाल लोकतांत्रिक फोरम के अध्यक्ष बिजय कुमार गछादर को उप प्रधानमंत्री और संघीय मामले व स्थानीय विकास मंत्री नियुक्त किया गया है. पुष्प कमल दहल प्रचंड की पार्टी सीपीएन (माओवादी सेंटर), राष्ट्रीय प्रजातांत्रिक पार्टी, राष्ट्रीय जनता पार्टी-नेपाल(आरजेपी-एन), संघीय समाजवादी फोरम-नेपाल, नेपाल लोकतांत्रिक फोरम और सीपीएन (संयुक्त) ने देउबा के पक्ष में मतदान किया. संसद में 25 सीटों वाले आरजेपी-एन ने तीन सूत्री समझौते के बाद देउबा के पक्ष में मतदान किया. समझौते के मुताबिक, नई सरकार को आंदोलनकारी पार्टी की संविधान में संशोधन की मांग का समाधान करना होगा.


देउबा को JNU से दी गई थी मानद डॉक्टरेट डिग्री


देउबा को 2016 में नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से मानद डॉक्टरेट डिग्री प्रदान की गयी थी. भारत के प्रमुख नेताओं से उनके अच्छे संबंध हैं जिससे उन्हें मधेसियों और पहाड़ के लोगों के बीच नाराजगी को दूर करने में मदद मिलेगी.


नेपाली संविधान में संशोधन करने में अहम भूमिका


देउबा ने मधेस आधारित पार्टियों की मांगों को पूरा करने के लिए सितंबर 2015 में लागू किए गए नेपाली संविधान में संशोधन करने में अहम भूमिका निभाई थी. उन्होंने स्थानीय स्तर के चुनावों के दूसरे चरण में भागीदारी के लिए मधेसी पार्टियों को रजामंद करने में भी प्रमुख भूमिका निभाई. सुदूरवर्ती दादेलधुरा जिले से संसद के लिए निर्वाचित देउबा ने मधेसी लोगों की मांगों को पूरा करने के लिए नये संविधान में संशोधन का वादा किया है.


देउबा के राजनीतिक सफर में कई उतार चढाव


साल 1996 में प्रधानमंत्री के तौर पर देउबा के पूर्व के कार्यकाल में नेपाल और भारत ने नदी जल के साझा इस्तेमाल के लिए ऐतिहासिक महाकाली संधि पर हस्ताक्षर किया था. वह 1995 से 1997, 2001 से 2002 और 2004 और 2005 तक प्रधानमंत्री रहे. इस अवधि में उनके राजनीतिक सफर में कई उतार चढाव आए.


भ्रष्टाचार के आरोप पर हुई थी जेल की सजा


नेपाल के तत्कालीन राजा ज्ञानेंद्र शाह ने 2002 में तख्तापलट से सत्ता हथिया ली थी और देउबा को प्रधानमंत्री पद से हटा दिया था लेकिन लगातार विरोध प्रदर्शनों के बाद 2004 में नरेश को उन्हें फिर से पद पर नियुक्त करना पड़ा. साल 2005 में नरेश ने उन्हें एक बार फिर सत्ता से हटा दिया और भ्रष्टाचार के आरोप पर उन्हें जेल की सजा भी हुयी.


गिरिजा प्रसाद कोइराला और देउबा के बीच विवाद के बाद 2002 में नेपाली कांग्रेस में विभाजन हो गया और देउबा के नेतृत्व में नेपाली कांग्रेस-डेमोक्रेटिक का गठन हुआ. वर्ष 2007 में कोइराला और देउबा के बीच समझौता होने के बाद नयी पार्टी का मूल पार्टी में विलय हो गया.