संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष ने कहा, मैंने भारत में बनी कोविशील्ड वैक्सीन ली
76वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद ने कहा कि दुनिया के बड़े हिस्से में दी गई भारत में बनी कोविशिल्ड वैक्सीन की दो खुराक मैंने ली हैं.
भारत की कोविड-19 वैक्सीन को ब्रिटेन द्वारा मान्यता न देने पर, भारत और ब्रिटेन में जंग जारी है. ब्रिटेन ने भारत की कोविशील्ड को मान्यता नहीं दी है और इस वैक्सीन को लेने वाले लोगों को अपने देश में 10 दिन क्वारंटीन और आने के साथ एयरपोर्ट पर आरटी-पीसीआर टेस्ट कराने का निर्देश जारी किया है. वहीं भारत ने भी ब्रिटेन को जवाब देते हुए कहा कि 4 अक्टूबर से ब्रिटेन से आए यात्रियों को 10 दिन क्वारंटीन रहना होगा और उनका आरटी-पीसीआर टेस्ट भी किया जाएगा.
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने दिया भारत का साथ
कोविशील्ड पर छिड़े विवाद पर अब भारत को संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद का साथ मिला है. 76वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद ने कहा कि दुनिया के बड़े हिस्से में दी गई भारत में बनी कोविशिल्ड वैक्सीन की दो खुराक मैंने ली हैं. कोविशील्ड वैक्सीन, जिसे ब्रिटिश-स्वीडिश दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित किया गया है, भारत में पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित है.
उन्होंने कहा मैंने भारत में निर्मित कोविशील्ड वैक्सीन की दो खुराक ली हैं. मुझे इस बात की जानकारी नहीं है कि कितने देश में कोविशील्ड वैक्सीन कितने देश देश में स्वीकार्य है या नहीं, लेकिन दुनिया के बड़े हिस्से में यह वैक्सीन मिली है.
भारत ने अनुदान, वाणिज्यिक शिपमेंट और COVAX सुविधा के माध्यम से लगभग 100 देशों को 66 मिलियन से अधिक वैक्सीन खुराक का निर्यात किया है. संयुक्त राष्ट्र महासभा का का गृह देश मालदीव में जनवरी में भारत निर्मित टीके प्राप्त करने वाले पहले देशों में से एक था, जब कोविशील्ड की 100,000 खुराक माले को भेजी गई थी. कुल मिलाकर, मालदीव को अनुदान, वाणिज्यिक शिपमेंट और COVAX सुविधा के माध्यम से मेड-इन-इंडिया कोविड टीकों की कुल 3.12 लाख खुराक मिली है.
जनवरी में हो सकती है महासभा की उच्च स्तरीय बैठक
वैश्विक टीकाकरण प्रयास और समानता का जायजा लेने के लिए जनवरी में महासभा की एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाने की योजना बना रहे शाहिद ने कहा कि आम बहस में दुनिया के नेताओं को सुनने के दौरान उन्हें अब तक टीकों पर जो संदेश मिले हैं, “ संयुक्त राज्य अमेरिका से, चीन से, भारत से, दुनिया के कई कोनों से, स्वयं वैक्सीन उत्पादकों से सबसे सकारात्मक रहा है”.
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