Ali Saifuddin Mosque: ब्रुनेई में जिस मस्जिद को देखने पहुंचे पीएम मोदी उसकी क्या है खासियत, अली सैफुद्दीन मस्जिद दुनियाभर में है मशहूर
Ali Saifuddin Mosque: ब्रुनेई की यात्रा पर पहुंचे पीएम मोदी उमर अली सैफुद्दीन मस्जिद पहुंचे. इस दौरान उन्होंने मस्जिद के बारे में जानकारी ली. साथ ही भारतीय समुदाय और वहां के निवासियों से मुलाकात की.
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Ali Saifuddin Mosque: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी दो दिवसीय ब्रुनेई यात्रा पर हैं, मंगलवार को पीएम ब्रुनेई की राजधानी बंदर सेरी बागवान पहुंचे. पीएम मोदी का ब्रुनेई दौरा काफी खास बताया जा रहा है कि क्योंकि किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री का यह पहला ब्रुनेई दौरा है. दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध के 40 साल पूरे होने पर पीएम मोदी ने ब्रुनेई में भारतीय हाई कमीशन के नए परिसर का उद्घाटन किया. पीएम ने हाई कमीशन को दोनों देशों के बीच मजबूत रिश्तों का प्रतीक बताया. उन्होंने कहा कि यह प्रवासी भारतीयों की सेवा करेगा. कोटा पत्थरों से बनी हाई कमीशन की इमारत भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दिखाती है. पीएम मोदी इसके बाद राजधानी में स्थित उमर अली सैफुद्दीन मस्जिद पहुंचे.
उमर अली सैफुद्दीन मस्जिद ब्रुनेई की दो राष्ट्रीय मस्जिदों में से एक है. इसके साथ ही यह ब्रुनेई का राष्ट्रीय चिन्ह स्थल भी है. यह मस्जिद देश की सबसे बड़ी और सबसे पुरानी मस्जिदों में भी है. मस्जिद का नाम उमर अली सैफुद्दीन तृतीय (1914-1986) के नाम पर है जो ब्रुनेई के 28वें सुल्तान और मौजूदा सम्राट सुल्तान हसनल बोल्किया के पिता थे. यह मस्जिद देश में इस्लामी आस्था का प्रतीक है.
उमर अली सैफुद्दीन मस्जिद का कब हुआ निर्माण
मस्जिद में पहुंचने के बाद पीएम मोदी ने खुद वहां की तस्वीरें साझा की हैं. बताया जाता है कि मस्जिद का निर्माण 4 फरवरी 1954 को शुरू हुआ था और यह मस्जिद लगभग 5 साल में बनकर तैयार हुई थी. उस समय इस मस्जिद के निर्माण में 11 करोड़ से अधिक की लागत आई थी. मस्जिद का निर्माण मलेशिया की आर्किटेक्चुअल फर्म बूटी एडवर्ड्स एंड पार्टनर्स ने की थी. मस्जिद के निर्माण में 700 टन स्टील और 1500 टन कंक्रीट का प्रयोग किया गया है. मस्जिद के नींव की गहराई 80-120 फीट है.
सोने से ढका है मस्जिद का गुंबद
ब्रुनेई की जिस मस्जिद में पीएम मोदी पहुंचे इसका उद्घाटन सुल्तान उमर अली सैफुद्दीन तृतीय के 42वें जन्मदिन समारोह के दौरान साल 1958 में किया गया था. इस मस्जिद की वास्तुकला भारतीय मुगल साम्राज्य से मिलती-जुलती है. मस्जिद को देखने के लिए लाखों पर्यटक हर साल आते हैं. मस्जिद के आकार की बात करें तो यह 69X24 मीटर की है. मस्जिद में एक साथ 3 हजार श्रद्धालु बैठ सकते हैं. मस्जिद की अधिकतम ऊंचाई 171 फीट है और गुंबद सोने से ढका है.
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