Pro-Khalistan Rally: कनाडा में खालिस्तानियों की शर्मनाक हरकत, झांकी निकालकर बेअंत सिंह के हत्यारे को दी श्रद्धांजलि
Canada: वैंकूवर में भारतीय वाणिज्य दूतावास तक निकाली गई झांकियों में खून से सनी एक बम से क्षतिग्रस्त कार में हत्या को दर्शाया गया था और साथ में सीएम की तस्वीरें भी थीं.
Pro-Khalistan Rally In Canada: कनाडा में खालिस्तान समर्थक कट्टरपंथी समूहों ने बीते दिन शनिवार (31 अगस्त) को एक और हत्यारे के समर्थन में झांकी निकाली. इस बार 1995 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के लिए जिम्मेदार आत्मघाती हमलावर को “श्रद्धांजलि” दी गई.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, वैंकूवर स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास तक निकाली गई झांकियों में एक बम से क्षतिग्रस्त कार में खून से लथपथ हत्या को दर्शाया गया था, साथ ही मृत मुख्यमंत्री की तस्वीरें भी थीं. झांकी पर लिखा था, "बेअंत को बम से उड़ाकर मार डाला गया." इस दौरान उनके हत्यारे दिलावर सिंह बब्बर को श्रद्धांजलि भी दी गई. दिलावर सिंह आत्मघाती हमलावर था. यह हत्या 29 साल पहले 31 अगस्त 1995 को हुई थी.
टोरंटो में भी निकाली गई रैली
वहीं, टोरंटो में भी इसी तरह की एक रैली निकाली गई, जिसका नेतृत्व इंद्रजीत सिंह गोसल ने किया. इंद्रजीत सिंह ने तथाकथित खालिस्तान जनमत संग्रह के प्रचारकों को दिलावर सिंह की संतान बताया. गोसल जनमत संग्रह के मुख्य आयोजकों में से एक है. उसे सिख फॉर जस्टिस के महाधिवक्ता गुरपतवंत पन्नून के सहयोगी भी बताया जाता है.
अगस्त की शुरुआत में कनाडाई कानून प्रवर्तन से उसकी जान का खतरे की चेतावनी भी मिली थी. यह चेतावनी ओंटारियो प्रांतीय पुलिस और रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस या आरसीएमपी दोनों की ओर से दी गई थी. गोसल हरदीप सिंह निज्जर का भी करीबी था, जिसकी पिछले साल 18 जून को ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में हत्या कर दी गई थी.
इंदिरा गांधी के हत्यारे के समर्थन में भी निकाली थी रैली
9 जून को ग्रेटर टोरंटो एरिया या जीटीए के ब्रैम्पटन में एक परेड में एक झांकी शामिल थी जिसमें इंदिरा गांधी का पुतला दिखाया गया था, जबकि उनके अंगरक्षक उन पर गोलियां चला रहे थे. इसमें पोस्टर भी शामिल थे, जिसमें कहा गया था कि उनकी “सजा” 31 अक्टूबर, 1984 को “दी गई” थी, जो कि हत्या की तारीख थी. परेड में ऑपरेशन ब्लूस्टार की 40वीं वर्षगांठ मनाई गई, जब भारतीय सेना ने खालिस्तानी चरमपंथियों को खदेड़ने के लिए अमृतसर में स्वर्ण मंदिर परिसर को घेर लिया था.
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