37 CRPF जवानों की शहादत: भारत के साथ मज़बूती से खड़े हुए रूस के राष्ट्रपति राष्ट्रपति पुतिन
भारत का सबसे पुराना मित्र रूस बातों में तो भारत के साथ खड़ा नज़र आता है. लेकिन इसने पाकिस्तान में निवेश से लेकर उसके डिफेंस हार्डवेयर बेचने के जो फैसले लिए हैं वो भारतीय हितों के ख़िलाफ़ हैं. ऐसे में देखने वाली बात होगी कि तेज़ी से पाकिस्तानी की ओर छिटकते इस मित्र की बातें सिर्फ बातें ही हैं या इनके एक्शन में भी उन बातों की झलक नज़र आएगी.
नई दिल्ली: जब पूरी दुनिया कल प्यार का जश्न मना रही थी तब पाकिस्तान स्थित आतंकी मसूद अजहर ने भारत के ख़िलाफ़ नफरत का ऐसा ज़हर उगला की देश हिलकर रह गया. इस आतंकी सरगना के एक प्यादे ने एक हमले में 37 CRPF जवानों की जान ले ली. इस हमले से देश में बेहद गुस्सा है और देश इस इंतज़ार में है कि सरकार इस पर क्या प्रतिक्रिया देने वाली है. इस दौरान पूरी दुनिया से मिल रहे समर्थन के बीच रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि हमले के दोषियों को कठोर सज़ा मिलनी चाहिए.
जम्मु-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले को लेकर राष्ट्रपति पुतिन ने पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से ये बातें कही हैं. उन्होंने कहा, "कृपा कर तले दिल से जताई जा रही मेरी संवेदनाओं को स्वीकार करें. हम इस घिनौने अपराध की कड़ी निंदा करते है." पुतिन ने कहा कि इस हमले के अपराधियों और प्रायोजकों को निश्चित रूप से कठोर सज़ा दी जानी चाहिए.
Russian President Vladimir Putin to President of India Ram Nath Kovind & PM Narendra Modi on #PulwamaAttack: Please accept the most sincere condolences. We strongly condemn this brutal crime. The perpetrators & sponsors of this attack, undoubtedly, should be duly punished. pic.twitter.com/nhHEwC9k51
— ANI (@ANI) February 15, 2019
आपको बता दें कि रक्षा मामले में रूस भारत का सबसे मज़बूत साथी रहा है. लेकिन भारत की अमेरिका से बढ़ती नज़दीकियों की वजह से बीते दिनों में रूस काफी हद तक पाकिस्तान के करीब गया है. इसके तहत बीते सालों में पहली बार रूस पाकिस्तान को अपना मिलिट्री हार्डवेयर बेचने को तैयार हुआ है. आपको बता दें कि भारत का ये सबसे बड़ा मित्र देश पाक में भारी निवेश भी करने वाला है. नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान में ऊर्जा क्षेत्र में रूस 14 अरब डॉलर (9,99,39,00,00,000 रुपए) का एकमुश्त निवेश करने वाला है.
‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की एक ख़बर के मुताबिक गैजप्रोम मैनेजमेंट कमिटी के डिप्टी चेयरमैन विटली ए. मार्कलोव की अध्यक्षता में रूस के एक प्रतिनिधिमंडल ने पाकिस्तान के हालिया दौरे में इस निवेश की प्रतिबद्धता जाहिर की. ख़बर के मुताबिक रूस की कंपनी पंजाब प्रांत की जरूरतों को पूरा करने के लिये कराची से लाहौर तक एक गैस पाइपलाइन बिछाएगी. कुल 14 अरब डॉलर के निवेश में से करीब 10 अरब डॉलर ऑफशोर गैस पाइपलाइन में, 2.5 अरब डॉलर उत्तर-दक्षिण पाइपलाइन में और बाकी की रकम का इस्तेमाल अंडरग्राउंड रिज़र्व बनाने में किया जाएगा.
पाकिस्तान और रूस की सरकारी कंपनियों ने 10 अरब डॉलर की लागत से तैयार होने वाली पाइपलाइन परियोजना की रिसर्च के लिये बुधवार को करार पर हस्ताक्षर किया. इसका निर्माण तीन से चार साल में पूरा होने का अनुमान है. आपको बता दें कि रूस के अलावा यूएई और दुबई जैसे देशों ने भी बेलआउट की कगार पर पहुंचे पाकिस्तान की भारी आर्थिक मदद की है जिसकी वजह से उसकी अर्थव्यवस्था को काफी बल मिला है. वहीं, इंटरनेशनल मॉनीटरी फण्ड यानी आईएमएफ भी पाकिस्तान को बेलआउट पैकेज देने को तैयार हो गया है जिसकी वजह से इस देश को आतंकियों को पनाह देने में मदद मिलती है.
पिछले साल भारत ने रूस के साथ ख़रबों का रक्षा समझौता किया. इस समझौते के तहत एस- 400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की ख़रीद हुई थी. इस सौदे को अमेरिका और रूस के बीच तालमेल बिठाने के भारत के प्रायसों के तौर पर देखा गया था. लेकिन सवाल ये है कि भारत का ये सबसे पुराना मित्र बातों में तो देश के साथ खड़ा नज़र आता है. लेकिन इसने पाकिस्तान में निवेश से लेकर उसके डिफेंस हार्डवेयर बेचने के जो फैसले लिए हैं वो भारतीय हितों के ख़िलाफ़ हैं. ऐसे में देखने वाली बात होगी कि तेज़ी से पाकिस्तानी की ओर छिटकते इस मित्र की बातें सिर्फ बातें ही हैं या इनके एक्शन में भी उन बातों की झलक नज़र आएगी.
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