Nepal New Prime Minister: नेपाल में बीते डेढ़ दशक में 13वीं बार प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण का मंच तैयार हो रहा है. आज (26 दिसंबर) पुष्प कमल दहल नेपाल के 13वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेंगे. आज शाम 4 बजे पुष्प कमल 'प्रचंड' की तीसरी बार ताजपोशी होनी है. नेपाल में इस वक्त सियासत अपने चरम पर है. यह एक ऐसी सरकार बनी है, जिसे तमाम संसाधन जुटाने के बाद बनाया गया है. 6 दलों के गठबंधन ने दहल को एक बड़े समझौता के साथ प्रधानमंत्री के रूप में पेश करने का फैसला किया.
नए गठबंधन में सीपीएन-यूएमएल के 78, माओवादी केंद्र के 32, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के 20, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के 14, जनता समाजवादी पार्टी के 12, जनमत पार्टी के 6, नागरिक उन्मुक्ति पार्टी के चार सांसद और तीन निर्दलीय विधायक पुष्पा के समर्थन में हैं. कमल दहल प्रचंड को अब संसद के 169 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है. यानी की नेपाल की सरकार अब गठबंधन के जोड़-तोड़ के साथ चलने वाली है.
क्या है ढाई साल का समझौता?
सीपीएन-माओवादी केंद्र के प्रमुख पुष्प कमल दहल ने प्रतिनिधि सभा में 138 की बहुमत संख्या से ज्यादा 168 सांसदों का समर्थन हासिल किया है. माना जा रहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के साथ समझौते के तहत शुरुआती ढाई साल तक प्रचंड प्रधानमंत्री रहेंगे. इसके बाद ओली की पार्टी CPN-UML सत्ता संभालेगी. यानी ओली ढाई साल बाद एक बार फिर प्रधानमंत्री बन सकते हैं.
चीन के करीब माने जाते हैं प्रचंड-ओली
बता दें कि, दो साल पहले प्रचंड ओली सरकार का हिस्सा थे. भारत के साथ कालापानी और लिपुलेख सीमा विवाद के बाद उन्होंने अपने सात मंत्रियों से इस्तीफे दिलाए और ओली को कुर्सी छोड़ने पर मजबूर कर दिया था. पुष्प कमल दहल प्रचंड और केपी शर्मा ओली दोनों कम्युनिस्ट पार्टी से हैं और चीन के बेहद करीब माने जाते हैं. यही वजह है कि नेपाल की सरकार इस बार भारत के लिए मुसीबत बन सकती है.
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