Nepal's New PM Oath: पुष्प कमल दहल प्रचंड नेपाल के नये प्रधानमंत्री बन गये हैं. उन्होंने नेपाल के प्रधानमंत्री के तौर पर तीसरी बार पद और गोपनियता की शपथ ली है. राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने सोमवार (26 दिसंबर) शाम 4  उनको पीएम पद की शपथ दिलाई. 


रविवार (25 दिसंबर) को सीपीएन-माओइस्ट सेंटर के अध्यक्ष प्रचंड (68) ने सदन के 169 सदस्यों का समर्थन पत्र राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी को सौंपा था जिसके बाद राष्ट्रपति ने उनको नेपाल को नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया था.


30 दिनों में साबित करना होगा बहुमत
भारी बहुमत से प्रधानमंत्री नियुक्त होने के बावजूद प्रचंड को नेपाल के संविधान के अनुच्छेद 76 (4) के मुताबिक 30 दिन के भीतर निचले सदन में विश्वास मत साबित करना होगा. संवैधानिक वकील मोहन आचार्य के मुताबिक गठबंधन सरकार के प्रधानमंत्री को यह साबित करना होगा कि उनको सदन में विश्वास मत हासिल है.


अगर वह सदन में विश्वास मत साबित करने में नाकाम रहते हैं तो सरकार गठन की नयी प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. प्रचंड के शपथ लेते ही पिछले माह हुए आम चुनावों में किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिल पाने के कारण देश में जारी राजनीतिक अनिश्चितता समाप्त हो गई है.


कितने दलों का मिला है समर्थन?
प्रचंड को 275-सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में 168 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है, जिनमें सीपीएन-यूएमएल के 78, सीपीएन-एमसी के 32, आरएसपी के 20, आरपीपी के 14, जेएसपी के 12, जनमत के छह, नागरिक उन्मुक्ति पार्टी के तीन सदस्य और तीन निर्दलीय शामिल हैं.


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