अमेरिकी राजनयिकों की हत्या की साजिश रच रहे थे सुलेमानी- अमेरिकी एनएसए
जनरल सुलेमानी ईरान के अल-कुद्स बल के प्रमुख थे. शुक्रवार को बगदाद अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा से रवाना हुए उनके काफिले पर किए गए अमेरिकी ड्रोन हमले में वह मारे गए. हमले में ईरान के शक्तिशाली हशद अल-शाबी अर्द्धसैनिक बल के उप प्रमुख और कुछ अन्य ईरान समर्थित स्थानीय मिलिशिया भी मारे गए.
वाशिंगटन:अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के एक शीर्ष राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा कि पिछले हफ्ते अमेरिकी ड्रोन हमले में मारे गए ईरान के शक्तिशाली रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स जनरल कासिम सुलेमानी अमेरिकी प्रतिष्ठानों पर हमला करने और अमेरिकी राजनयिकों की हत्या करने की साजिश रच रहे थे.
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओ ब्रायन ने मंगलवार को व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से कहा, ‘‘वह अमेरिकी प्रतिष्ठानों और राजनयिकों पर हमला करने की साजिश रच रहे थे, उन प्रतिष्ठानों में सैनिक, नाविक, एयरमैन और मरीन थे.
उन्होंने हालांकि कहा कि सुलेमानी के मारे जाने से अमेरिका के खिलाफ खतरा टला नहीं है.
ब्रायन ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा,‘‘जब तक दुनिया में बुरे लोग हैं तब तक अमेरिकियों के लिए हमेशा खतरा है और ईरानी लोग पिछले कई दिनों से अमेरिका के लिए खतरे पैदा कर रहे हैं।’’ ओ ब्रायन ने कहा,‘‘हम उन लोगों को गंभीरता से लेते हैं और हम उन्हें देख रहे हैं और उन पर निगाह रख रहे हैं. राष्ट्रपति ने अपने संदेश में बहुत स्पष्ट कहा है और हम आशा करते हैं कि वे डरें और वे अमेरिका और उसके हित पर हमला करने से पहले दो बार सोचें.’’
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का दावा अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि अमेरिकी ड्रोन हमले में मारे गए ईरान के शीर्ष कमांडर कासिम सुलेमानी की ‘‘नई दिल्ली और लंदन तक में आतंकवादी षडयंत्रों’’ को रचने में भूमिका थी. ट्रंप ने सुलेमानी को निशाना बनाकर हमला करने के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि आतंकवाद का शासनकाल खत्म हो गया.
बता दें कि ईरान के मिलिट्री कमांडर कासिम सुलेमानी की अमेरिकी हमले के बाद मौत हो गई थी. जिसके बाद मिडिल ईस्ट में भी तनाव देखा जा रहा है. अमेरिका के इस कदम से अब इराक भी सहमा हुआ है. अमेरिका की इस कार्रवाई के बाद इराक में संसद का विशेष सत्र बुलाया गया. जिसमें पीएम अबदुल मेहदी ने कहा कि देश में मौजूद विदेशी सेना को बाहर निकालने का प्रस्ताव सदन में रखा जाए. उन्होंने सुलेमानी की मौत को राजनीतिक हत्या करार दी. साथ ही कहा कि अमेरिकी सेना को इराक में किसी भी तरह की सैन्य कार्रवाई करने का कोई अधिकार नहीं है. वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि अगर इराक ने अमेरिकी सेना को वापस भेजा तो सख्त कार्रवाई की जाएगी.
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