QUAD Nations on Suspicious Cyber Activities: क्वॉड (QUAD) के सदस्य देशों ने राज्य प्रायोजित दुर्भावनापूर्ण साइबर गतिविधियों के खिलाफ चेतावनी देते हुए कहा कि वे क्षेत्रीय साइबर अवसंरचना (Regional Cyber Infrastructure) की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक-दूसरे का सहयोग करेंगे. बता दें क्वॉड के सदस्य देशों में भारत (India), अमेरिका (America), ऑस्ट्रेलिया (Australia) और जापान (Japan) शामिल हैं.


भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर, ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री पेन्नी वोंग, जापान के विदेश मंत्री हयाशी योशिमासा और अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने न्यूयॉर्क में आयोजित संयुक्त राष्ट्र महासभा के वार्षिक सत्र से इतर बैठक की. उन्होंने एक संयुक्त बयान जारी कर देशों से उनके क्षेत्र से संचालित रैनसमवेयर गतिविधियों से निपटने के लिए उचित कदम उठाने का आह्वान किया.


क्वॉड देशों के विदेश मंत्रियों ने साझा बयान में ये कहा


क्वॉड देशों के विदेश मंत्रियों ने कहा, ‘‘हम रैनसमवेयर सहित अन्य दुर्भावनापूर्ण साइबर गतिविधियों से अहम साइबर अवसंरचना पर मंडरा रहे खतरों से निपटने में एक-दूसरे का सहयोग करने को प्रतिबद्ध हैं.’’ संयुक्त बयान में इस दिशा में कार्रवाई करने का आह्वान किया गया.


विदेश मंत्रियों ने कहा कि क्वॉड देश साइबर जगत के खुले, सुरक्षित, स्थिर, वहनीय और शांतिपूर्ण इस्तेमाल को लेकर प्रतिबद्ध हैं और वे साइबर जगत में जिम्मेदाराना व्यवहार के लिए संयुक्त राष्ट्र के मसौदे को लागू करने की दिशा में देशों की क्षमता बढ़ाने से जुड़ी क्षेत्रीय पहलों का समर्थन करेंगे. उन्होंने कहा, ‘‘हमारा दृढ़ विश्वास है कि हिंद-प्रशांत देशों की साइबर क्षमता बढ़ाने पर केंद्रित पहलों से क्षेत्रीय साइबर अवसंरचना की सुरक्षा और लचीलापन सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी.’’


संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की बात कही


क्वॉड समूह के देशों ने 15 सदस्यीय परिषद को स्थायी और गैर-स्थायी, दोनों श्रेणियों में विस्तार देने की प्रतिबद्धता भी जताई. संयुक्त बयान में क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने का भी आह्वान किया गया. जाहिर है कि इसका इशारा चीन की तरफ था.


बयान में कहा गया, “हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के एक समग्र एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. इसमें सुरक्षा परिषद की स्थायी और गैर-स्थायी सीटों को बढ़ाना शामिल है ताकि वर्तमान वैश्विक चुनौतियों का सामना किया जा सके और भौगोलिक रूप से अधिक विविधता वाले दृष्टिकोण को अपनाया जा सके.”


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