मुसलमानों की पहली मस्जिद: आज जब देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट में ये बहस हो रही है कि इस्लाम में नमाज पढ़ने को लेकर मस्जिद की अनिवार्यता है या नहीं, तो आइए इस मौके पर हम आपको बता दें कि पैगम्बर-ए-मोहम्मद के दौर में पहली मस्जिद कब बनी, कहां बनी और इस्लाम के एलान के कितने साल बाद बनी. आपको बता दें कि पैगम्बर मोहम्मद की पैदाईश 570 इस्वी में हुई और 40 साल की उम्र में यानि 610 इस्वी में उन्होंने ने खुद को इस्लाम का नबी या पैगम्बर घोषित किया. इसका सीधा मतलब ये हुआ कि इस्लाम की शुरुआत 610 इस्वी से होती है.
इस्लाम के एलान के 12 साल बाद बनी पहली मस्जिद
इस्लाम के एलान के दो साल बाद नमाज़ को जरूरी करार दिया गया, लेकिन पहली मस्जिद के लिए मुसलमानों को करीब 12 साल का इंतजार करना पड़ा. पैगंबर मोहम्मद ने इस्लाम का एलान आज के सऊदी अरब के मक्का शहर में किया, लेकिन मक्का में उन्हें वो समर्थन नहीं मिला जैसी उम्मीद थी, लेकिन उन्हें मक्का से करीब 400 किलोमीटर दूर मदीना शहर से खूब समर्थन मिला. मक्का में पैगंबर मोहम्मद को डराया, धमकाया गया. ऐसे हालात में पैगम्बर मोहम्मद और उनके साथियों ने मक्का शहर छोड़कर मदीना जाने का फैसला किया.
इस्लाम के एलान के 12 साल बाद पैगम्बर मोहम्मद ने मक्का छोड़कर मदीना जाने का फैसला किया. जब वह मदीना जा रहे थे तब मदीना से पहले मुसलमानों की पहली मस्जिद की बुनियाद पड़ी. जिस मस्जिद का नाम मस्जिद-ए-कुबा है. यानि मुसलमानों को अपनी पहली मस्जिद के लिए करीब 12 साल इंतजार करने पड़े.
प्रवास यात्रा के दौरान हुआ था मस्जिद का निर्माण
इस मस्जिद का निर्माण मोहम्मद साहब के प्रवास यात्रा के विश्राम के दौरान किया गया. हुआ ये था कि पैगम्बर मोहम्मद साहब जब मक्का से मदीना प्रवास पर आए थे तो वो मदीना से तीन किलोमीटर दूर कुबा नाम के स्थान पर रुके थे. उसी प्रवास के दौरान मोहम्मद साहब ने अपने अनुयायियों के साथ मस्जिद का निर्माण शुरू किया. ऐसा कहा जाता है कि कुबा मस्जिद के निर्माण में उन्होंने खुद भी हाथ बटाया था.
इस्लाम में दूसरी मस्जिद जो पैगंबर मोहम्मद के दौर में बनी उसका नाम 'मस्जिद ए नबवी' है, जो मदीना शहर में है. यहां ये बात ध्यान देने की है कि मक्का स्थति काबा को मुसलमान अपनी पहली मस्जिद मानते हैं, और वो ये मानते हैं कि इस मस्जिद का निर्माण दुनिया के पहले शख्स पैगंबर आदम ने किया था. इस मस्जिक को पैगंबर इब्राहीम और इस्माइल ने दोबारा तामीर की.
कुबा मस्जिद अपनी बनावट के लिए काफी मशहूर है. इस मस्जिद में नमाज पढ़ने वालों के लिए एक बड़ा सा प्रार्थना सभागार है. मस्जिद की खास बात ये है कि इसके एक भाग को सिर्फ महिलाओं के लिए रिजर्व रखा गया है. मस्जिद में प्रवेश के लिए 7 बड़े और 12 छोटे प्रवेश द्वार बनाए गए हैं. इससे एक साथ मस्जिद में कई लोगों को जाने- आने में कोई कठिनाई नहीं होती है.
सौंदर्यीकरण के बावजूद मस्जिद की बनावट आज भी वैसी ही
समय के साथ मस्जिद में कई बार सौंदर्यीकरण का काम किया गया है लेकिन कभी भी मस्जिद की प्राचीन बनावट से छेड़छाड़ नहीं की गई है. मस्जिद का उजला गुंबद आज भी वैसा ही जैसा की इसे शुरुआत में बनाया गया था. कुबा मस्जिद अपने भव्य रूप में बहुत ही आकर्षक है और इसकी सुंदरता देखते ही बनती है. मस्जिद इतना भव्य है कि इसमें 56 गुंबद और चार मीनार हैं.
कुबा मस्जिद के विशालकाय होने का अंदाजा कोई इसी से लगा सकता है कि इसके अंदर 20 हजार से अधिक लोग एक साथ बैठकर अल्लाह ताला से प्रार्थना कर सकते हैं.