Racism In Singapore: 'गो बैक इंडिया', नस्लवादी टिप्पणी करते हुए टैक्सी ड्राइवर ने भारतीय को गाड़ी में बैठाने से किया इनकार
Singapore Racist Case With Indian: सिंगापुर में भारतीयों के खिलाफ अचानक नस्लभेदी हमले बढ़ गए हैं. ताजा मामले में एक टैक्सी ड्राइवर ने एक भारतीय के ऊपर नस्लवादी टिप्पणी की है.

Racism In Singapore: सिंगापुर में बीते कुछ महीनों से भारतीयों के साथ लगातार नस्ली भेद के कई मामाले सामने आ रहे हैं. ताजा मामला एक कैब ड्राइवर और एक यात्री से जुड़ा हुआ है, जिसमें सिंगापुर में राइड-हेलिंग कंपनी जांच कर रही है. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट में दावा है कि एक ड्राइवर ने एक यात्री के खिलाफ नस्लवादी टिप्पणी की और उस व्यक्ति से 'भारत वापस जाने' के लिए कहा.
द स्ट्रेट्स टाइम्स की शुक्रवार (22 दिसंबर) की रिपोर्ट के अनुसार, यात्री ने गुरुवार को इंस्टाग्राम अकाउंट 'sgfollowsall' पर राइड-हेलिंग कंपनी ग्रैब के ड्राइवर के साथ हुई घटना का डिटेल और स्क्रीनशॉट शेयर किया. बहस की शुरुआत ड्राइवर से हुई, जिसने कहा कि वह पास में सड़क के काम के कारण पिकअप प्वाइंट तक नहीं पहुंच पा रहा है. इस दौरान ड्राइवर ने यात्री को इंतजार नहीं करने के लिए कहा.
टैक्सी ड्राइवर ने कहा- भारत वापस जाओ
इसके बाद यात्री ने ड्राइवर से कहा कि अगर वह नहीं आ रहा है तो राइड कैंसिल कर दे. जिस पर ड्राइवर ने जवाब देते हुए पूछा कि क्या आप भारतीय हो ? फिर ड्राइवर ने यात्री से कहा, "भारत वापस जाओ." 10 वर्षों तक सिंगापुर में रहने और काम करने के बाद यात्री ने इस घटना को घोर नस्लवाद बताया. ऐसे में यात्री के शिकायत के बाद राइड-हेलिंग कंपनी मामले की जांच कर रही है.
भारतीयों के साथ हो रहा भेदभाव
अखबार ने यात्री के हवाले से कहा, " यह मेरे लिए सिंगापुर का अब तक का सबसे ख़राब अनुभव है, मुझे अभी तक समझ नहीं आ रहा है कि मेरे साथ ऐसा क्यों हुआ ? खैर इस घटना के बाद बहुत से लोग मुझे सांत्वना दे रहे हैं लेकिन मेरा दुख कम नहीं हो रहा है."
सिंगापुर में राइड-हेलिंग कंपनी के प्रवक्ता ने इस घटना पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि कंपनी ड्राइवर-साझेदारों से निष्पक्ष रहने और यात्रियों के साथ किसी भी तरह का भेदभाव नहीं करने की उम्मीद करती है लेकिन यह घटना दुर्भाग्यपूर्ण है और हम इसके लिए माफी मांगते हैं. बता दें कि सिंगापुर में भारतीयों के साथ इस तरह की घटनाएं बढ़ गई हैं. कई बार ऐसे घटनाएं आती हैं, जब उन्हें वहां टैक्सी में नहीं बिठाया जाता है. बस स्टैंडों पर ‘इंडियन गो बैक होम’ के नारे लिखे मिलते हैं.
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