नयी दिल्ली: ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री मैल्कम टर्नबुल ने कहा कि उनका देश जितनी जल्दी संभव हो, उतनी जल्दी भारत को यूरेनियम का निर्यात शुरू करने के लिए तैयार है. दोनों देशों ने ढाई साल पहले असैन्य परमाणु समझौता किया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ विस्तृत मुद्दों पर बातचीत के थोड़ी ही देर बाद टर्नबुल ने कहा कि उर्जा क्षेत्र में दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ रहा है और ऑस्ट्रेलिया परमाणु उर्जा के उत्पादन में भारत की मदद करना चाहता है.
उन्होंने कहा, ‘‘हम भारत के असैन्य परमाणु कार्यक्रम के लिए ईंधन की दरकार के लिए अपनी संबंधित जरूरतें पूरी करने के लिए भारत के साथ करीब से काम कर रहे हैं.’’ टर्नबुल ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया भारत को जितनी जल्दी संभव हो, यूरेनियम की आपूर्ति करने के लिए उत्साहित हैं. वहीं मोदी ने कहा कि ऑस्ट्रेलियाई संसद में दोनों दलों के समर्थन से बिल पास होने के साथ ऑस्ट्रेलिया अब भारत को यूरेनियम का एक्सपोर्ट करने को तैयार है.
बातचीत के बाद जारी किए गए एक संयुक्त बयान में कहा गया कि दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय परमाणु सहयोग जारी रखने को लेकर अपना समर्थन दोहराया और उम्मीद जतायी कि भारत को ऑस्ट्रेलियाई यूरेनियम का व्यवसायिक निर्यात जल्द ही शुरू हो सकता है. ऑस्ट्रेलिया के पास दुनिया भर के यूरेनियम भंडार का करीब 40 प्रतिशत है और वह हर साल करीब 70,000 टन यलो केक (यूरेनियम का एक प्रकार) का एक्सपोर्ट करता है. भारत के कुल विद्युत उत्पादन का महज तीन प्रतिशत परमाणु उर्जा से आता है. भारत परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर किए बिना ऑस्ट्रेलिया से यूरेनियम खरीदने वाला पहला देश होगा.
बातचीत के दौरान टर्नबुल ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की सदस्यता का पुरजोर समर्थन किया. ऑस्ट्रेलिया ने ऑस्ट्रेलिया ग्रुप और वास्सेनार अरेंजमेंट में भारत की सदस्यता को लेकर भी अपना समर्थन जताया. सामुद्रिक सहयोग बढ़ाने का संकल्प लेते हुए दोनों प्रधानमंत्रियों ने इस बात को माना कि भारत और ऑस्ट्रेलिया सामुद्रिक सुरक्षा और समुद्री संचार लाइन की सुरक्षा सुनिश्चित करने में आम हित साझा करते हैं.
संयुक्त बयान के अनुसार, ‘‘दोनों नेताओं ने नौपरिवहन और ओवरफ्लाइट, फ्री कानूनी वाणिज्य की स्वतंत्रता और साथ ही अंतरराष्ट्रीय कानून नौपरिवहन और यूएनसीएलओएस (संयुक्त राष्ट्र समुद्र कानून संधि) सहित अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप शांतिपूर्ण तरीकों से समुद्री विवादों के हल के महत्व को माना.’’ टिप्पिणयों को दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती आक्रामकता की तरफ संदर्भ के रूप में देखा जा रहा है.
भारत को जल्द से जल्द यूरेनियम की आपूर्ति करने को तैयार: ऑस्ट्रेलियाई पीएम
एजेंसी
Updated at:
11 Apr 2017 08:19 AM (IST)
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