China-Saudi Arab Relations: पिछले कुछ सालों से चीन मध्य पूर्वी देशों से रिश्ते मजबूत कर रहा है. यहां तक कि उनके बुनियादी ढांचे के सौदों में भी भारी निवेश कर रहा है. पिछले महीने यानी नवंबर में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) ने संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नहयान (Sheikh Mohammed bin Zayed Al Nahyan) से मुलाकात की थी. यह मुलाकात बाली में G-20 शिखर सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर हुई थी.
चीन बीजिंग क्षेत्रीय शक्तियों के साथ आर्थिक संबंधों का विस्तार करने और अरब दुनिया के साथ व्यापक रणनीतिक साझेदारी बनाने की कोशिशों पर जोर दे रहा है. इसके साथ ही चीन उनके बुनियादी ढांचे के सौदों में भी भारी निवेश कर रहा है. इसके साथ ही सऊदी अरब ने सऊदी-चीनी शिखर सम्मेलन के लिए चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मेजबानी की है. बीजिंग की विदेश नीति ने चीन को मध्य पूर्व के साथ अपने रिश्तों को गहरा करने में सक्षम बनाया है.
सऊदी अरब और चीन के बीच 34 समझौते
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की सऊदी अरब की तीन दिन की यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच कई समझौतों पर साइन हुए हैं, जिसमें चीन की बड़ी टैक कंपनी ख़्वावे भी शामिल है. दोनों देशों ने मिलकर निवेश के 34 समझौतों का एलान किया. इसमें हाइड्रोजन एनर्जी भी शामलि है. इस बीच अब अमेरिका की फिक्र बढ़ना लाजमी है.
क्या है चीन की साजिश?
चीन ने हाल के वर्षों में ईरान के साथ अपने सहयोग में बढ़ोतरी की है. अब सवाल यह उठ रहा है कि आखिर क्यों चीन मध्य पूर्वी देशों में इतनी दिलचस्पी ले रहा है. अब तक इन देशों में हमेशा से ही अमेरिका का दबदबा रहा है. ऐसे में माना जा रहा है कि अमेरिका चीन की जगह लेना चाहता है और इन देशों के लिए मदद का हाथ बढ़ाकर अपना दबदबा बढ़ाना चाहता है. सऊदी अरब ने सऊदी-चीनी शिखर सम्मेलन के लिए चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मेजबानी की है. मध्य पूर्व में बढ़ता चीनी प्रभाव संयुक्त राज्य अमेरिका और सऊदी संबंधों की पृष्ठभूमि के खिलाफ है.
ये भी पढ़ें:
Sri Lanka: श्रीलंका में बीफ-मटन के ट्रांसपोर्टेशन पर रोक क्यों लगी, यहां जानिए वजह