Global Economy: मंदी में नहीं पड़ेगी पहले जैसी मार, कंपनियों को स्टाफ की जरूरत, रिपोर्ट में दावा
Global Economy: वैश्विक अर्थव्यवस्था, मंदी और रोजगार पर आधारित रिपोर्ट में विशेषज्ञों के हवाले से पूर्वानुमान जताया गया है कि आने वाली मंदी पिछली जो मंदियों के मुकाबले कम पीड़ादायक होगी.
Bloomberg Economics Report: वैश्विक अर्थव्यवस्था (Global Economy) झटके खा रही है और दुनिया की कुछ बड़ी कंपनियां पहले ही हजारों कर्मचारियों को नौकरी से निकाल रही हैं लेकिन उम्मीद की एक हल्की रोशनी टिमटिमा रही है. ब्लूमबर्ग इकोनॉमिक्स की रिपोर्ट कुछ इसी ओर इशारा कर रही है. रिपोर्ट के मुताबिक, इस बार अगर मंदी आती है तो कर्मचारियों के पास अपनी नौकरी पर बने रहने के लिए सामान्य से ज्यादा अवसर होंगे. रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना महामारी की मार के लगभग तीन वर्षों बाद, दुनियाभर में कंपनियां अब भी शिकायत करती हैं कि उन्हें जैसी प्रतिभाओं की जरूरत है, वैसी मिलती नहीं. उन्हें चिंता है कि कर्मियों की कमी महामारी के बाद, अगली मंदी तक बनी रहेगी.
बड़ा कारण है कि आबादी और बसावट में आए बदलावों के चलते उन कर्मियों की फेहरिस्त छोटी हो गई है, जिसमें कंपनियां उन्हें काम पर रखती हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, इसका मलतब है कि माल और सेवाओं की मांग कमजोर पड़ने के बावजूद, कई व्यवसाय कर्मचारियों को नौकरी से निकालने के बजाय उन्हें बनाए रखना चाहते हैं या यहां तक कि स्टाफ बढ़ाना चाहते हैं. उन्हें लगता है कि एक बार फिर से अर्थव्यवस्था में तेजी आने के बाद स्टाफ की जरूरत होगी.
रिपोर्ट में बताए गए ये आंकड़े
रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल में Amazon.com Inc. और Goldman Sachs Group Inc. ने हाई-प्रोफाइल कर्मियों की छंटनी की घोषणाएं कीं लेकिन ये कंपनियां अपवाद हो सकती है. आने वाली आर्थिक मंदी बहुत अलग है और कुछ मायनों में कम पीड़ादायक होगी. आर्थिक शोध प्रदाता ब्लूमबर्ग इकोनॉमिक्स का अनुमान है कि 2024 तक विकसित अर्थव्यवस्थाओं में बेरोजगारों की संख्या करीब 3.3 मिलियन (33 लाख) बढ़ जाएगी. इस अवधि में ज्यादातर विकसित अर्थव्यवस्थाओं के मंदी का सामना करने की आशंका है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2001 में शुरू हुई आर्थिक मंदी में नौकरी खोने वालों के मुकाबले यह संख्या कम है और पिछली दो वैश्विक मंदी के सामने यह बौनी है. ऐसे में ज्यादा क्या है? रिपोर्ट में आर्थिक सहयोग और विकास संगठन के हवाले से बताया गया है कि प्रमुख विकसित अर्थव्यवस्थाओं में सितंबर में बेरोजगारी की दर 4.4 प्रतिशत थी, जो 1980 के दशक की शुरुआत के बाद से सबसे कम है.
वैश्विक स्तर की स्टाफिंग एजेंसी क्या कहती है?
एक वैश्विक स्टाफिंग एजेंसी ManpowerGroup Inc. के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जोनास प्राइजिग कहते हैं कि कारोबार धीमा होने पर भी कंपनियां कर्मचारियों को बनाए रखने की कोशिश कर रही हैं. उन्होंने कहा कि उत्पादों और सेवाओं की मांग में गिरावट के बावजूद कंपनियां कार्यबल को बनाए रखेंगी, वे भर्तियां नहीं करने जा रहीं लेकिन पेरोल स्वस्थ रहने की उम्मीद है.
अमेरिका के ओहायो के क्लीवलैंड फेडरल रिजर्व बैंक के अध्यक्ष लोरेटा मेस्टर ने 10 नवंबर को कहा था कि यह इस अर्थ में एक अच्छी बात होगी कि बेरोजगारी दर उतनी ऊपर नहीं जाएगी. ब्लूमबर्ग के सर्वे के मुताबिक, अर्थशास्त्रियों ने दो लाख नौकरियों के इजाफा होने का पूर्वानुमान जताया है.
ब्रिटेन और यूरो क्षेत्र का हाल
रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्रिटेन पहले से ही मंदी में है, यहां ज्यादातर अर्थशास्त्रियों और सरकार को लगता है कि अगले दो वर्षों में पांच लाख से ज्यादा नौकरियां जा सकती हैं. हालांकि, इससे बेरोजगारी दर बढ़कर केवल 4.9 फीसदी हो जाएगी. यहां 16 नवंबर को सरकार के राजकोषीय निगरानीकर्ता ने अपनी चेतावनी जारी करते हुए अनुमान जताया कि हॉस्पिटैलिटी और रिटेल सेक्टर में कंपनियां कर्मचारियों की कमी से जूझ रही हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि जहां तक यूरो क्षेत्र का सवाल है, एकल मुद्रा के इतिहास में और संभवत: मंदी के दौर में भी बेरोजगारी अब तक के सबसे निचले स्तर पर है. अक्टूबर के अंत में जारी किए गए यूरोपीय संघ के आधिकारिक पूर्वानुमानों से पता चलता है कि रोजगार वृद्धि 2024 तक जारी रहेगी. हालांकि, 2023 में मंदी और बेरोजगारी मामूली रूप से बढ़ रही है.
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