भारत के पड़ोस में श्रीलंका आर्थिक बदहाली में डूबा है, तो वहीं पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी राजनीतिक घमासान के साथ-साथ माली संकट की तरफ तेजी से गहरा रहा है. पाक में राजनीतिक स्थिरता का ग्राफ नीचे जा ही रहा है, डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपये की साख भी रसातल पाताल की ओर है. मंगलवार को कारोबार बंद होने तक डॉलर का भाव रिकॉर्ड 183.23 रुपये पर पहुंच गया.
पाकिस्तान के पहले से खस्ताहाल खजाने के लिए डॉलर का चढ़ता भाव बेहद बुरी खबर है. क्योंकि इसका सीधा मतलब है कि पाकिस्तान को अपनी जरूरत का आयात महंगे दामों पर करना पड़ेगा. यानी हालात काफी हद तक श्रीलंका वाले रास्ते पर ही आगे बढ़ रहे हैं.
सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान के स्टेट बैंक के पास अगले केवल 2 महीने के लिए कारोबार जितना विदेशी मुद्रा भंडार बचा है. बताया जाता है कि पाक के खजाने में जहां 12 अरब डॉलर ही बचे हैं वहीं चालू खाते का घाटा भी बढ़ रहा है. साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की ऊंची कीमतों के चलते आयात के लिए भी उसे ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है. जानकारों का मानना है कि यहीं रफ्तार रही तो पाकिस्तान में डॉलर जल्द ही 200 रुपये के पास भी पहुंच सकता है.
डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपए की गिरती साख का आलम यह है कि मार्च 2022 में डॉलर 7.76 पैसे महंगा हुआ है. वहीं बीते साल मार्च के मुकाबले अब तक पाकिस्तान डॉलर 27 रुपये से ज्यादा महंगा हो चुका है. बीते 5 सालों में पाक रुपया 103 रुपये से बढ़कर 185 तक पहुंच चुका है. जो पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था पर भरोसे की कमी को भी दिखता है.
पाकिस्तानी ब्यूरो ऑफ़ स्टैटिसक्स के आंकड़ों के मुताबिक बीते 9 महीनों में पाकिस्तान का व्यापारिक घाटा 35.39 अरब डॉलर हो चुका है. माली हालत सुधारने के कोई ताबड़तोड़ उपाय नहीं किए गए तो अगले तीन महीनों में यह आंकड़ा 45-50 अरब डॉलर के कारोबारी घाटे तक पहुंच जाएगा, जिसकी भरपाई मौजूदा साधन के जरिए करना पाक के लिए मुमकिन नहीं होगा.
ऐसे में होने वाले चुनाव जहां पाकिस्तान के लिए एक अतिरिक्त और बड़ा खर्चा है. वहीं इस बात का भी खतरा है कि पाकिस्तान को सस्ते कर्ज के लिए चीनी साहूकार की शरण में जाना पड़े. साथ ही इसका मतलब होगा कि पाकिस्तान के राजनीतिक और आर्थिक तंत्र पर चीन का और अधिक नियंत्रण. जाहिर है, पड़ोसी के घर आग की यह तस्वीर भारत के लिए भी फिक्र बढ़ाने वाली है. क्योंकि पास-पड़ोस से उठती आग की लपटें और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी की बढ़ती बौखलाहट, भारत के लिए सुरक्षा की चिंताओं में इजाफा ही करेंगी.
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