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बैंकिंग, इन्वेस्टमेंट शरिया के हिसाब से, घूमेंगे वहीं जहां हलाल मीट हो, ताजा सर्वे में जानें क्या सोचते हैं साउथ-ईस्ट एशिया के मुसलमान
Survey On Muslims: न्यू मुस्लिम कंन्ज्यूमर रिपोर्ट के मुताबिक 250 मिलियन में से सिर्फ 21 प्रतिशत मुस्लिमों का कहना है कि वो अपने माता-पिता की तुलना में कम धार्मिक हैं.
![बैंकिंग, इन्वेस्टमेंट शरिया के हिसाब से, घूमेंगे वहीं जहां हलाल मीट हो, ताजा सर्वे में जानें क्या सोचते हैं साउथ-ईस्ट एशिया के मुसलमान Religious Faith is Growing one in three muslims consider themselves more religious in Southeast asia बैंकिंग, इन्वेस्टमेंट शरिया के हिसाब से, घूमेंगे वहीं जहां हलाल मीट हो, ताजा सर्वे में जानें क्या सोचते हैं साउथ-ईस्ट एशिया के मुसलमान](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/09/22/f5883b32174905e4b3824d135b4da5fc1663853448009426_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Southeast Asia Muslims: एक सर्वे (Survey) में पता चला है कि दक्षिणपूर्व एशिया (Southeast Asia) में तीन में से एक मुसलमान (Muslim) अपने माता-पिता (Parents) की तुलना में खुद को ज्यादा धार्मिक (Religious) मानता है. ये लोग अपना घूमना-फिरना, खाना-पीना, निवेश, बैंकिंग, पहनावा और पढ़ाई अपने धर्म के हिसाब से करते हैं. बुधवार को जारी न्यू मुस्लिम कंन्ज्यूमर रिपोर्ट के मुकाबिक, 250 मिलियन में से सिर्फ 21 प्रतिशत मुस्लिमों का कहना है कि वो अपने माता-पिता की तुलना में कम धार्मिक हैं. जबकि 45 प्रतिशत खुद को अपने माता-पिता के बराबर ही धार्मिक मानते हैं.
वंडरमैन थॉम्पसन इंटेलिजेंस और वीएमएलवाई एंड आर मलेशिया की रिपोर्ट के अनुसार, 91 प्रतिशत दक्षिणपूर्व एशियाई मुसलमानों के लिए स्वास्थ्य और परिवार के पहले ईश्वर के साथ एक मजबूत रिश्ता जीवन में सबसे महत्वपूर्ण है. इंडोनेशिया और मलेशिया में 1,000 उपभोक्ताओं के साक्षात्कार के आधार पर रिपोर्ट में बताया गया है कि केवल 34 प्रतिशत मुसलमान ऐसे हैं, जो पैसे को तवज्जो देते हैं, 28 प्रतिशत अपने जुनून और 12 प्रतिशत अपनी ख्याति या प्रसिद्धि को महत्व देते हैं.
धार्मिक आस्थाओं का रखते हैं ध्यान
बढ़ती धार्मिक आस्था और पश्चिमी सभ्यता के प्रसार ने इनके रहन सहन, पहनावे, खाने पीने पर ज्यादा असर नहीं डाला है. वंडरमैन थॉम्पसन इंटेलिजेंस के एशिया पैसिफिक निदेशक चेन मे यी का कहना है कि मुसलमान चीजें खरीदतते समय अपनी धार्मिक आस्थाओं का भी ध्यान रखते हैं. वो ऐसा लगातार कर रहे हैं. इस रिपोर्ट के मुताबिक मुसलमान खरीदारी करते समय इस बात का ध्यान रखते हैं कि ये चीज हलाल की है कि नहीं. ऐसा 91 प्रतिशत लोग मानते हैं और कहते हैं कि वो इस चीज का ध्यान रखते हैं. हलाल होना पैसा, क्वालिटी और प्राइज से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है.
इस्लाम को देते हैं तवज्जो
इस रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि 60 प्रतिशत से अधिक मुसलमान इन्वेस्टमेंट और बैंकिंग भी इस्लामी कानून के मुताबिक महत्वूपूर्ण मानते हैं. जबकि 77 प्रतिशत मुसलमान अपने घूमने के लिए ऐसी जगहों का चुनाव करते हैं, जहां पर हलाल खाना मिल सके. इसके अलावा अधिकतर परिवार पुरुष प्रधान हैं और काम करने वाली महिलाएं बहुत कम हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, 42 प्रतिशत महिलाओं ने कहा है कि वो सबसे ज्यादा फाइनेंसियल हेल्प करती हैं इसके मुकाबले 70 प्रतिशत पुरुष खुद को ज्यादा हेल्प करने वाला बताते हैं.
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