तुर्किए में भूकंप की भविष्यवाणी करने वाले वैज्ञानिक ने भारतीय महाद्वीप के बारे में क्या कहा?
फ्रैंक हूगरबीट्स ने भारतीय उपमहाद्वीप में बड़ा भूकंप आने का दावा किया है. हूगरबीट्स के मुताबिक ये भूकंप हिंद महासागर क्षेत्र पर यानी भारत-पाकिस्तान सहित अफगानिस्तान के आसपास के इलाकों में आ सकता है.

Frank Hoogerbeets: तुर्किए में आया भयानक भूकंप इस समय चर्चा का विषय बना हुआ है. अब तुर्किए में आए भूकंप के साथ डच शोधकर्ता फ्रैंक हूगरबीट्स का भी जिक्र किया जा रहा है. डच शोधकर्ता फ्रैंक हूगरबीट्स ने तुर्किए और उसके पड़ोसी क्षेत्रों में खतरनाक भूकंप के बारे में भविष्यवाणी की थी, बता दें कि तुर्किए में आए भूकंप से अब तक 30,000 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं.
अब फ्रैंक हूगरबीट्स का एक और वीडियो इंटरनेट पर सबका ध्यान अपनी तरफ खींच रहा है. फ्रैंक हूगरबीट्स इस वीडियो में भारतीय उपमहाद्वीप में बड़ा भूकंप आने का दावा कर रहे हैं. फ्रैंक हूगरबीट्स ये भी कह रहे हैं कि ये भूकंप हिंद महासागर क्षेत्र पर यानी भारत-पाकिस्तान सहित अफगानिस्तान के आसपास के कई इलाकों में आ सकता है.
Let me be clear: the purple bands do NOT indicate a potential rupture zone (sic). They mark regions at the time of atmospheric fluctuations relative to the Sun and a larger tremor may occur in or near that band. I explained this multiple times in videos. No room for wild ideas. https://t.co/3kTM6x9p9M
— Frank Hoogerbeets (@hogrbe) February 8, 2023
कौन हैं फ्रैंक हूगरबीट्स?
फ्रैंक हूगरबीट्स सोलर सिस्टम ज्योमेट्री सर्वे यानी SSGEOS के लिए काम करते हैं. फ्रैंक हूगरबीट्स ग्रहों की चाल के आधार पर भूकंप की भविष्यवाणी करते हैं. SSGEOS एक शोध संस्थान है, जो भूकंप की गतिविधि का अनुमान लगाने के लिए आकाशीय पिंडों जैसे ग्रहों की निगरानी करता है.
तुर्किए में आए पर फ्रैंक हूगरबीट्स ने क्या कहा था
फ्रैंक हूगरबीट्स ने तुर्किए में आने वाले भूकंप की भविष्यवाणी की थी. फ्रैंक हूगरबीट्स ने ये भी बताया था कि भविष्यवाणी करने से पहने उन्होंने पूरी रिसर्च की. रिसर्च से उन्हें अनुमान लग गया था कि वहां कुछ भूकंप संबंधी गतिविधियां होने वाली हैं. इसलिए उन्होंने सोचा कि कोई घटना घटित होने से पहले लोगों के लिए चेतावनी जारी की जानी चाहिए.
फ्रैंक के दावों को क्यों माना जा रहा गलत?
सोशल मीडिया पर फ्रैंक के दावों पर कई तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं. इस पर फ्रैंक का ये कहना है कि भूकंप को लेकर भविष्यवाणी को सैद्धांतिक तौर पर सही नहीं माना जाता. वहीं अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण करने वालों का कहना है कि आज तक किसी भी वैज्ञानिक ने किसी भूकंप की भविष्यवाणी नहीं की है. दरअसल वैज्ञानिक भविष्यवाणी करने के लिए जिस विधि का इस्तेमाल किया जाता है उसे लेकर कई तरह के विवाद हैं.
तो क्या फ्रैंक के दावे से डरने की जरूरत है
सोशल मीडिया पर फ्रैंक से भूकंप आने की तारीख और समय को लेकर भी सवाल किया जा रहा है , इस पर फ्रैंक कहते हैं कि वैज्ञानिक केवल साल के भीतर भूकंप आने का अंदाजा लगा सकते हैं. हम तारीख समय और सटीक लोकेशन की जानकारी देने में सक्षम नहीं हैं.
फ्रैंक हूगरबीट्स ने ये कहा कि उनकी संस्था ने इतिहास में आए भीषण भूकंपों के बारे में रिसर्च की है. उनकी संस्था ग्रहों की स्थिति देखकर भूकंप का अंदाजा लगाती है.
फ्रैंक हूगरबीट्स ने कहा कि इतिहास में आए बड़े भूकंपों का अध्ययन करके हम एक पैटर्न ढूंढते हैं जिससे भविष्य में आने वाले बड़े भूकंपों का अनुमान लगाया जा सके. रिसर्चर के मुताबिक यह बहुत अच्छी तरह से काम करता है. वहीं मुख्यधारा के वैज्ञानिक ग्रहों के प्रभाव की वजह से भूकंप आने को गलत मानते हैं.
अफ्गानिस्तान और भारत-पाकिस्तान में आ सकता है भूकंप
फ्रैंक ने अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत के साथ हिंद महासागर क्षेत्र तक शक्तिशाली भूकंप आने की भी भविष्यवाणी की है. फ्रेंक खुद कहते हैं कि ये साफ नहीं है कि अफगानिस्तान से शुरू होकर भूकंप हिंद महासागर तक जाएगा. फ्रैंक ने ये भी साफ किया है कि भविष्यवाणी को लेकर अभी थोड़ा भ्रम की स्थिति है. फ्रैंक ने ये भी बताया कि हो सकता है कि यह भूकंप 2001 की तरह भारत पर अपना असर डाले. लेकिन कुछ भी निश्चित तौर पर कहा नहीं जा सकता है.
भारतीय वैज्ञानिकों के साथ अपना ज्ञान साझा करने को तैयार है फ्रैंक
फ्रैंक का कहना है कि वर्तमान में उनके पास तकनीक के विस्तार को लेकर कोई साधन नहीं है. फ्रैंक ने बताया कि उन्होंने तुर्किए के वैज्ञानिक से संपर्क किया था, कुछ वैज्ञानिकों की इसमें दिलचस्पी हैं. लेकिन ज्यादातर वैज्ञानिकों की इसमें रुचि नही है. फ्रैंक ने कहा कि उन्हें सीरिया से कुछ हद तक पॉजिटिव रिस्पॉन्स मिला है. भारतीय वैज्ञानिकों के बारे में पूछे जाने पर फ्रैंक ने कहा कि अगर भारत सरकार उनसे संपर्क करती है, तो वे अपने ज्ञान को साझा करने के लिए तैयार हैं.
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