Talibani Punishment: काबुल के दक्षिण में स्थित लोगार प्रांत के गवर्नर के कार्यालय ने लोगार के पुल आलम शहर के स्टेडियम में "माननीय विद्वानों, मुजाहिदीन, बुजुर्गों, आदिवासी नेताओं और स्थानीय लोगों" को आमंत्रित किया. बुधवार की सुबह 9 बजे के कार्यक्रम के लिए निमंत्रण सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को दिए गए थे. लोगों के स्टेडियम में आने के बाद बुधवार की सुबह सैकड़ों दर्शकों के सामने तीन महिलाओं और नौ पुरुषों पर कोड़े बरसाए गए. इससे पता चलता है कि तालिबानी शरिया कानून फिर वापस आ गया है.


अफगानिस्तान में पहले 11 नवंबर को फिर 23 नवंबर को इस तरह की सार्वजनिक रूप से सजा दी गई जो धार्मिक चरमपंथी समूह की क्रूर सजा को फिर से शुरू करने का संकेत देता है जो 1990 के दशक में उनके शासन की पहचान थी.


चोरी और व्यभिचार के आरोप में दी गई तालिबानी सजा


चोरी और व्यभिचार के लिए एक स्थानीय अदालत में दोषी ठहराए जाने के बाद तीन महिलाओं और नौ पुरुषों में से प्रत्येक को हजारों लोगों के सामने 21 से 39 कोड़े मारने की सजा दी गई. गवर्नर के कार्यालय में एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि ऐसी सजा दी गई है. उन्होंने बताया कि मीडिया को इस सजा को कवर करने या इसके वीडियो या तस्वीरें लेने पर पाबंदी लगा दी गई थी.  


अधिकारी ने बताया कि इस तालिबानी सजा को देखने के लिए स्टेडियम में सैकड़ों लोग शामिल हुए थे लेकिन इसकी तस्वीरें और वीडियो लेने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था.


90 के दशक में सरेआम दी जाती थी फांसी


1996 से 2001 तक तालिबान शासन की पहली अवधि के दौरान, जब अमेरिका के नेतृत्व वाले आक्रमण में उग्रवादियों को खदेड़ दिया गया था, इस तरह के सार्वजनिक दंड, साथ ही कथित अपराधों के लिए सार्वजनिक फांसी और पत्थरबाज़ी की सजा आम बात थी. 20 साल के विद्रोह के बाद, तालिबान अगस्त 2021 में सत्ता में लौट आया, जिसके बाद अफगानिस्तान से अमेरिका और अन्य विदेशी सैनिकों की वापसी हो गई.


अफगानिस्तान के अपने दूसरे अधिग्रहण के तत्काल बाद, तालिबान ने अधिक उदार होने और महिलाओं और अल्पसंख्यक अधिकारों के लिए अनुमति देने का वादा किया था, लेकिन, उन्होंने महिलाओं के अधिकारों और स्वतंत्रता को प्रतिबंधित कर दिया है, जिसमें छठी कक्षा के बाद लड़कियों की शिक्षा पर प्रतिबंध भी शामिल है.


पिछले साल के तालिबान के अधिग्रहण के बाद से पहली बार तालिबानी सजा की तरह सार्वजनिक कोड़े मारने की सजा 11 नवंबर को दी गई थी, जब 19 पुरुषों और महिलाओं को कथित चोरी, व्यभिचार और घर से भागने के लिए 39-39 कोड़े मारे गए थे. 


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