भारत में CIA के कई ठिकाने! सीक्रेट फाइलों ने किए कई बड़े खुलासे, जानकर रह जाएंगे हैरान
USA News: राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश के बाद अमेरिका ने कई खुफिया जानकारी सामने आई है. इसमें अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के ठिकानों को लेकर खुलासा हुआ है.

USA News: हाल ही में सार्वजनिक किए गए दस्तावेजों से पता चला है कि 1963 में राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी की हत्या से जुड़े रिकॉर्ड में सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (CIA) द्वारा नई दिल्ली और कोलकाता में गुप्त ठिकाने स्थापित किए जाने की जानकारी शामिल है.
अमेरिकी राष्ट्रीय अभिलेखागार और रिकॉर्ड प्रशासन (US National Archives and Records Administration) द्वारा जारी इन दस्तावेजों में भारत समेत दुनिया के कई अन्य स्थानों पर अमेरिकी खुफिया एजेंसी के गुप्त अभियानों और उनके ठिकानों से जुड़ी जानकारियां भी दर्ज हैं.
भारत में भी बनाए गए थे ठिकाने
सार्वजनिक दस्तावेजों के अनुसार, CIA का न्यूयॉर्क डिवीजन भारत के नई दिल्ली और कोलकाता, पाकिस्तान के रावलपिंडी, श्रीलंका के कोलंबो, ईरान के तेहरान, दक्षिण कोरिया के सियोल और जापान के टोक्यो सहित कई स्थानों पर गुप्त ठिकानों की निगरानी करता था. इनमें से कुछ ठिकाने कानूनी जांच के दायरे में आए हैं, जहां यह आरोप लगाया गया कि बंदियों को बिना किसी औपचारिक आरोप या मुकदमे के हिरासत में रखा गया था.
ट्रंप के आदेश के बाद जारी हुए डाक्यूमेंट्स
यूएस नेशनल आर्काइव्स ने अपनी वेबसाइट पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश के बाद लगभग 2,200 गोपनीय दस्तावेज जारी किए. ये दस्तावेज कैनेडी की हत्या से जुड़े रिकॉर्ड, फोटोग्राफ और अन्य सामग्रियों के छह मिलियन से अधिक पृष्ठों के विस्तृत संग्रह का हिस्सा हैं, जिनमें से अधिकांश पहले ही सार्वजनिक किए जा चुके थे.
रूस के खिलाफ थे सबसे ज्यादा ठिकाने
CIA की गुप्त सुविधाएं या ब्लैक साइट्स निगरानी, जासूसी और कुछ मामलों में संदिग्ध आतंकवादियों की हिरासत और पूछताछ जैसी खुफिया गतिविधियों के लिए उपयोग की जाती रही हैं. CIA पर यूक्रेन सहित यूरोप के कई देशों में ऐसे जासूसी अड्डे स्थापित करने और वहीं से अपने ऑपरेशन संचालित करने के आरोप लगते रहे हैं. माना जाता है कि ये ठिकाने कथित तौर पर रूस के खिलाफ खुफिया अभियानों में इस्तेमाल किए जाते रहे हैं.
चीन के खिलाफ भारत के साथ
बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, भारत का CIA के साथ संबंधों का एक लंबा इतिहास रहा है, विशेष रूप से शीत युद्ध के दौर में. 2013 में एक डी-क्लासिफाइड दस्तावेज से खुलासा हुआ कि 1962 में भारत ने CIA द्वारा संचालित U-2 जासूसी विमानों को चीनी क्षेत्र पर निगरानी मिशनों के दौरान ईंधन भरने की अनुमति दी थी. इसके लिए अमेरिका को ओडिशा के चारबतिया एयरबेस का उपयोग करने दिया गया था.
रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि स्वतंत्रता के बाद भारत ने अपने खुफिया तंत्र को मजबूत करने के लिए अमेरिकी सहयोग की मांग की थी. 1949 में, भारत के खुफिया ब्यूरो के निदेशक टी. जी. संजीवी ने मुख्य रूप से कम्युनिस्ट चीन की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए CIA के साथ सहयोग किया था. 1950 में चीन द्वारा तिब्बत पर कब्जा करने के बाद भारत पर CIA के समर्थन से तिब्बती प्रतिरोध सेनानियों की सहायता करने के भी आरोप लगे. इसके अलावा, 1959 में दलाई लामा के भारत आने में भी CIA की महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है.
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