स्टॉकहोम: अर्थशास्त्र को मानवीय चेहरा देने वाले अमेरिकी अर्थशास्त्री रिचर्ड थेलर को इस साल अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिया जाएगा. थेलर ने अपने काम के जरिए यह दिखाया कि आर्थिक और वित्तीय फैसले करने वाले हमेशा तार्किक नहीं होते बल्कि ज्यादातर वे बहुत हद तक मानवीय हदों में बंधे होते हैं.
स्वीडन की विज्ञान अकादमी के सचिव गोएरन हैंसन ने आज यह घोषणा की. उन्होंने कहा थेलर को उनकी ‘अर्थशास्त्र के मनोविज्ञान की समझ’ पर काम के लिए 11 लाख डॉलर राशि का यह पुरस्कार प्रदान किया जाएगा. जहां तक व्यावहारिक अर्थशास्त्र का सवाल है तो यह व्यक्ति और संस्थानों की आर्थिक निर्णय प्रक्रिया से जुड़ा है. यानी यह बताता है कि ये फैसले कैसे किए जाते हैं.
दरअसल थेलर ने अपने काम और अध्ययन के जरिए अर्थशास्त्र और मनोविज्ञान के बीच की खाई को पाटने की कोशिश की. थेलर का शोध व्यावहारिक अर्थशास्त्र पर केंद्रित है जो यह पड़ताल करता है कि वित्तीय और आर्थिक बाजारों में किसी व्यक्ति, व्यक्तियों या समूहों द्वारा किए गए फैसलों पर मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कारकों का क्या असर रहता है. नोबेल ज्यूरी ने थेलर के योगदान को रेखांकित करते हुए कहा है, ‘उन्होंने अर्थशास्त्र को और अधिक मानवीय बनाया.’ ज्यूरी ने थेलर को अर्थशास्त्र और मनोविज्ञान के एकीकरण में अग्रणी करार दिया है.
ज्यूरी ने एक बयान में कहा है, ‘सीमित तर्कसंगतता, सामाजिक वरीयता और स्वनियंत्रण की कमी के परिणामों की पड़ताल करते हुए उन्होंने दिखाया है कि ये मानवीय गुण व्यक्तिगत फैसलों और बाजार परिणामों को किस तरह से प्रणालीगत ढंग से प्रभावित करते हैं.’ उल्लेखनीय है कि अर्थशास्त्र की जटिल गुत्थियों और नियम कायदों की पड़ताल के साथ साथ थेलर 2015 में आई फिल्म ‘द बिग शोर्ट’ में भी एक केमियो भूमिका में नजर आ चुके हैं. यह फिल्म उस कर्ज संकट पर आधारित है जिसके चलते 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट की शुरुआत हुई.
नोबेल समिति ने कहा थेलर का काम दिखाता है कि कैसे मानवीय लक्षण बाजार के परिणामों और व्यक्तिगत निर्णयों को प्रभावित करते हैं.
अकादमी ने थेलर का परिचय देने वाले अपने प्रपत्र में कहा है कि 72 साल के थेलर व्यवहारिक अर्थशास्त्र का अध्ययन करने वाले अग्रणी अर्थशास्त्री हैं. यह शोध का एक ऐसा क्षेत्र है जहां आर्थिक निर्णय निर्माण की प्रक्रिया के दौरान मनोवैज्ञानिक अनुसंधानों का अनुपालन करने का अध्ययन किया जाता है. इससे व्यक्तियों के आर्थिक निर्णय लेते समय सोच और व्यवहार का अधिक वास्तविक आकलन करने में मदद मिलती है.
गौरतलब है कि अल्फ्रेड नोबेल ने जब इन पुरस्कारों की शुरुआत की थी तब अर्थशास्त्र के क्षेत्र में यह पुरस्कार नहीं दिया जाता था. बाद में इसे स्वीडन के राष्ट्रीय बैंक ने अल्फ्रेड नोबेल की याद में देना शुरू किया. पहली बार अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार साल 1969 में दिया गया.