टोक्यो: जापान ने शुक्रवार को लगभग दो दशकों में पहली बार चार विवादित द्वीपों का जिक्र ‘रूस द्वारा अवैध रूप से कब्जाए गए क्षेत्र’ के रूप में  किया है. यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद से जापान और रूस के रिश्तों में खटास आ गई है.


दोनों राष्ट्र लंबे समय से द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की संधि पर सहमत होने के प्रयासों में लगे हुए हैं, लेकिन मॉस्को के कब्जे वाले और टोक्यो द्वारा दावा जताए जाने वाले चार द्वीप ऐसा मुद्दा है जिस पर पेंच फंसा हुआ है.


इससे पहले जापान ने 2003 में किया इन शब्दों का इस्तेमाल
जापान के विदेश मंत्रालय ने आखिरी बार 2003 में अपनी एनुअल पॉलिसी रिपोर्ट में इन द्वीपों का वर्णन ‘रूस द्वारा अवैध रूस से कब्जा लिए गए’ क्षेत्र के रुप में किया था. इन द्वीपों को मॉस्को कुरील और टोक्यो उत्तरी क्षेत्र कहता है.


इस साल की डिप्लोमैटिक ब्लूबुक रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब जापान और उसके जी7 भागीदारों ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए गए हैं और साल के अंत में जापान की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में एक महत्वपूर्ण संशोधन होने वाला है.


रिपोर्ट में कहा गया, "जापान और रूस के बीच सबसे बड़ी चिंता उत्तरी क्षेत्र हैं, जापानी क्षेत्रों पर जापान का संप्रभु अधिकार हैं, लेकिन वर्तमान में रूस द्वारा अवैध रूप से कब्जा कर लिया गया है." पिछले वर्षों में इसी तरह की भाषा का इस्तेमाल किया गया था लेकिन "अवैध रूप से कब्जा" वाक्यांश नहीं था.


दोनों देशों के बीच वार्ता लटकी
जापान के विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि यूक्रेन संकट रूस के साथ उसकी संधि वार्ता को रोक देगा. वहीं मॉस्को ने खुले तौर पर शत्रुतापूर्ण रुख अपनाने वाले और हमारे देश के हितों को नुकसान पहुंचाने का प्रयास करने वाले देश के साथ निरंतर चर्चा की "असंभवता" का हवाला देते हुए पिछले महीने वार्ता को छोड़ दिया.


चीन पर जापान का सतर्क रुख
शुक्रवार की रिपोर्ट में चीन पर सतर्क रुख अपनाया, भले ही जापान ने पहले इस क्षेत्र में बीजिंग की बढ़ती समुद्री गतिविधियों के बारे में चिंता व्यक्त की हो. बीजिंग के "पूर्व और दक्षिण चीन सागर में बल द्वारा यथास्थिति को बदलने के प्रयासों" पर चिंता दोहराते हुए, इसने कहा, "एक रचनात्मक और स्थिर जापान-चीन संबंध बनाना महत्वपूर्ण है."


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