Exercise RIMPAC : चीन हर किसी देश के काम में टांग अड़ाता है, उसके अड़ियल रवैये से मुकाबला करने के लिए कई देशों ने संधि की है. अब इस साल जून और जुलाई में होने वाले सबसे बड़े नौसेनिक अभ्यास में 26 देश एक साथ आए हैं. इस अभ्यास का नाम एक्सरसाइज रिम ऑफ द पैसिफिक (RIMPAC) है. इसमें ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, कनाडा, चिली, कोलंबिया, डेनमार्क, इक्वाडोर, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इजराइल, जापान, मलेशिया, मैक्सिको, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, पेरू, कोरिया गणराज्य, फिलीपींस, सिंगापुर , श्रीलंका, थाईलैंड, टोंगा, यूके और यूएस की नौसेनाएं शामिल होंगी. ये देश दुनिया का सबसे बड़ा नौसैनिक अभ्यास करेंगे. निक्केई एशिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह कदम  दक्षिण सागर में चीन की बढ़ती आक्रामकता के कारण उठाया जा रहा है. 29वां रिम ऑफ द पैसिफिक अभ्यास इस साल जून और जुलाई में होगा. यह अभ्यास हवाई द्वीप के आसपास के पानी में होगा. ऑस्ट्रेलियन नेवी लेफ्टिनेंट कमांडर टिमोथी गिल का कहना है कि हमारे पास ऐसे और भी राष्ट्र हैं, जो हमारे साथ जुड़ना चाहते हैं, हमारे साथ प्रशिक्षण लेना चाहते हैं. रिमपैक हर 2 साल में हवाई और उसके आसपास होता है, यह दुनिया का सबसे बड़ा नौसैनिक युद्ध अभ्यास माना जाता है0


चीन को दिखाई जाती है ताकत
एक्सपर्ट कहते हैं कि इंडो पैसिफिक की राजनीति में पिछले कुछ वर्षों में काफी बदलाव आया है. दक्षिण सागर में भी चीन की आक्रामकता बढ़ती जा रही है. विभिन्न यूरोपीय देशों ने पहली बार चीन को एक चुनौती के रूप में पहचाना है. जलवायु परिवर्तन और साइबर युद्ध जैसे खतरों के कारण सुरक्षा नीतियों में बदलाव आया है. इन्हीं बदलावों को ध्यान में रखकर ही बाकी देश अपनी ताकत दिखा रहे हैं. वहीं, शोधकर्ता गोराना ग्रिगिक ने बताया कि 2023 में रूसी खतरों के बारे में बढ़ती चिंताओं के बीच यूरोपीय नाटो राज्यों ने कुल हथियार आयात में 65 प्रतिशत की पर्याप्त वृद्धि देखी. इसी तरह इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में हथियारों के आयात में भी वृद्धि हुई, जिसमें ऑस्ट्रेलिया, जापान और दक्षिण कोरिया में सबसे अधिक वृद्धि देखी गई। इससे साबित होता है कि हर देश अपनी सुरक्षा के लिए काफी मजबूती दिखा रहा है.


इस साल यह है रिमपैक की थीम
इस साल रिमपैक 2024 की थीम पार्टनर : इंटीग्रेटेड एंड प्रिपेयर्ड रखी गई है। इसका मतलब है कि रिमपैक न केवल कई देशों को एक साथ लाने के लिए बनाया गया एक अभ्यास है, बल्कि एक ऐसा आयोजन है, जो अपने प्रतिभागियों को प्रत्येक देश की प्रशिक्षण और आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए साझेदारी को विकसित करने का अवसर देता है.