अंटार्कटिका: वैजानिकों ने चेतावनी देते हुए कहा कि पृथ्वी की औसत सतह के तापमान को बढ़ाकर एक और ड्रिग्री सेल्सियस अंटार्कटिका से समुद्र के 2.5 मीटर की उंचाई पर जा पहुंचेगा. और तीन ड्रिग्री जमे हुए महाद्वीप लिफ्ट महासागरों को 6.5 मीटर तक दिखेगा.


वैश्विक जलरेखा में ये विनाशकारी वृद्धि- मुंबई से मियामी में तटीय शहरों को बर्बाद करने में और लाखों लोगों को बेघर होने पर मजबूर कर देता है. उन्होंने नेचर जर्नल को सूचना दी कि मानव निर्मित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन जो इस बात की गारंटी देता है कि सालो में मापी गई घड़ी पर होने वाले ट्रैक पर हैं.


अध्ययन के मुताबिक सबसे खतरनाक नतीजा ये है कि अंटार्कटिक बर्फ की चादर के विघटन के कारण समुद्र के स्तर में बढ़ोतरी हुई है. जो महासागरों को 58 मीटर तक बढ़ावा देने के लिए काफी है. हर एक डिग्री वार्मिंग के साथ बेहद खतरनाक होता जाएगा उदाहरण के लिए समुद्र के स्तर में वृद्धि, पूर्व-औद्योगिक स्तरों के उपर पहले दो डिग्री में से प्रत्येक के लिए औसतन 1.3 मीटर होगी.


19वीं दशक के उत्तरार्ध से धरती की औसत सतह का तापमान पहले ही डिग्री बढ़ चुका है. जो घातक हीटवेव, सूखे और चक्रवातों की गंभीरता को बढ़ाने के लिए पर्याप्त रहा है. वैज्ञानिकों का कहना है कि, उस बेंचमार्क के उपर 2c से 6c तक, समुद्र के स्तर में वृद्धि 2.4 डिग्री प्रति वार्मिंग से दोगुना होगा. साथ ही उस सीमा के उपरी छोर पर, जलवायू परिवर्तन सभ्यता को नष्ट कर देगा. और दुनिया तटरेखाओं के नक्शे को फिर से तैयार करेगा.


पॉट्सडैम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च के एक वैज्ञानिक का कहना है कि आखिर में कोयले और तेल का जलना है जो अंटार्कटिका में महत्पूर्ण तापमान सीमा को पार कर सकता है.


अगर बर्फ को नुकसान लंबे समय तक होता है तो संबंधित कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर पहले से निकट भविष्य में पहुंच सकता है. माना जा सकता है कि वेस्ट अंटार्कटिका के उपर की बर्फ की चादर सबसे पहले जाएगी.


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