ब्रिटेन के पहले भारतीय मूल के प्रधानमंत्री, भगवद गीता पर शपथ लेने वाले पहले कैबिनेट मंत्री, ब्रिटेन का नेतृत्व करने वाले पहले अश्वेत व्यक्ति...ये बातें जिस शख्स के बारे में है वो इन दिनों पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना हुआ है. उस शख्स का नाम है ऋषि सुनक.... ऋषि सुनक के चर्चा में रहने की वजह भी ठोस है. उन्होंने वो कर दिखाया है जो पहले कभी नहीं हुआ था. इतिहास रचते हुए ऋषि सुनक ब्रिटेन के पहले हिंदू प्रधानमंत्री बने हैं. जबसे ऋषि सुनक के प्रधानमंत्री बनना तय हुआ तभी से न सिर्फ ब्रिटेन बल्कि भारत में भी उनके हिन्दू होने को लेकर खूब चर्चा हो रही है.


ऋषि सुनक जो कि भारतीय मूल के हैं, वो भी सात समंदर पार जब 10 डाउनिंग स्ट्रीट में अपने पहले भाषण के दौरान मौजूद थे तो उन्होंने जता दिया कि वो हिन्दू होने पर गर्व की भावना रखते हैं और अपनी धार्मिक पहचान एक क्रिश्चियन बहुल देश में भी जाहिर करने में कतराते नहीं हैं. 10 डाउनिंग स्ट्रीट में अपने पहले भाषण के दौरान उन्होंने जब मौजूद लोगों का अभिवादन किया तो उनके हाथ में पवित्र लाल 'कलावा' देखा गया. 


आपको बता दें कि ऋषि को अपने हिंदू होने और अपनी भारतीय जड़ों पर हमेशा गर्व रहा है. इसीलिए वित्त मंत्री बनने के बाद भी वह अपने आवास 11, डाउनिंग स्ट्रीट के बाहर दिवाली के दीये जलाते नजर आए थे.


हालांकि सवाल उठता है कि क्या ऐसा सिर्फ इसलिए है क्योंकि वो अपनी धार्मिक पहचान पर गर्व महसूस करते हैं...शायद नहीं...इसके अलावा भी कई कारण हैं. राजनीति में कोई भी काम बिना उद्देश्य के नहीं होता है. ऋषि सुनक की भी 'हिन्दू पहचान' के कई मायने हैं. आइए जानते हैं ब्रिटेन में हिन्दू होने का मतलब क्या है? 


ब्रिटेन के हर चार सबसे अमीर लोगों में से तीन हिन्दू


आपको जानकर आश्चर्य होगा कि ब्रिटेन में चार सबसे अमीर लोगों में तीन हिन्दू हैं. संडे टाइम्स रिच लिस्ट 2017 की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया था. इस लिस्ट के मुताबिक श्रीचंद और गोपीचंद 134 अरबपतियों में ब्रिटेन के सबसे ज्यादा अमीर व्यक्ति थे. दोनों भाइयों की अनुमानित संपत्ति: 16.2 बिलियन पाउंड से अधिक थी.


ब्रिटेन में भारतीय लगभग उतना ही कमाते हैं जितना गोरे ब्रिटिश


साल 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले तीन सालों (2017, 2016, 2015) में एकत्र किए गए आंकड़ों के आधार पर इस बात का खुलासा हुआ कि ब्रिटेन के अश्वेत और अल्पसंख्यक जाति (बीएमई) समुदायों में भारतीयों को सबसे अच्छा भुगतान किया जाता है. इसके बाद ब्रिटेन के चीनी समुदाय के लोगों का स्थान आता है.  यह रिपोर्ट रिजॉल्यूशन फाउंडेशन की है.


श्वेत ब्रितानियों की औसत घरेलू आय £25,600 और £27,000 के बीच थी तो वहीं भारतीय समुदाय के लिए औसत लगभग £25,300 थी, जो कि गोरे लोगों के बराबर ही है.


ब्रिटेन में रोजगार दर भी भारतीयों का बेहतर


ब्रिटेन में किसी भी दूसरे देश की महिलाओं के मुकाबले भारतीय महिलाओं का रोजगार दर सबसे बेहतर है. भारतीय मूल की महिलाओं के रोजगार की दर व्यापक श्वेत आबादी की तुलना में तो कम (लगभग 60 प्रतिशत) है, लेकिन अन्य अल्पसंख्यक समूहों के स्तर से काफी ऊपर है. भारतीय मूल के पुरुषों के लिए रोजगार दर भी लगभग 80 प्रतिशत ज्यादा है.


ब्रिटेन में चुनाव और हिन्दुओं का गणित 


ब्रिटेन के चुनाव में हिन्दू वोटर्स का महत्व काफी है. अब ब्रिटिश हिंदुओं को चुनाव में कंजरवेटिव पार्टी का वोटर्स माना जाता है. पहले काफी संख्या में हिन्दूओं का वोट लेबर पार्टी को मिलता था. हिन्दू वोटर्स का शिफ्ट लेबर पार्टी से कंजरवेटिव पार्टी की ओर इसलिए हुआ क्योंकि लेबर पार्टी की ओर से भारत विरोधी बयान दिए गए थे और इसके साथ ही लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कॉर्बिन के हिंदू विरोधी रुख की वजह से भी ब्रिटेन में हिन्दू वोटर्स नाराज थे.


बता दें कि ब्रिटेन संसद में कुल 650 सीटें हैं. यानी किसी भी पार्टी को सरकार बनाने के लिए 326 सीटों की जरूरत होती है. इसमें इंग्लैंड में  533 सीटें हैं, स्कॉटलैंड में 59, वेल्स में 40 और नीदरलैंड में 18 सीटें हैं.


यहां महत्वपूर्ण बात यह है कि ब्रिटेन में कुल 40 सीटें ऐसी हैं जहां सीधे तौर पर हिन्दूओं का प्रभाव है. यानी भारतीय मूल के लोग इन 40 सीटों पर वोट कर किसी भी पार्टी की किस्मत बदलने का दम रखते हैं.


ब्रिटेन में भारतीय मूल के 15 लाख से ज्यादा लोग
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट )2022) के मुताबिक भारतीय मूल के कम से कम 1.5 मिलियन लोग इंग्लैंड और वेल्स में रहते हैं, जो उन्हें गोरे ब्रिटेन के बाद वहां का सबसे बड़ा जातीय समूह बनाते हैं.


हिन्दुओं की ब्रिटेन में संख्या और राजनीति में प्रभाव ही है कि सुनक एक मजबूत नेता के तौर पर उभरे हैं. सुनक लगातार इस बात को जानते थे और उन्होंने इसलिए ही अपने आप को एक हिन्दू के तौर पर पेश किया. कम से कम अपनी भेषभूसा और भाषा से तो ऐसा उन्होंने किया. जब उन्होंने संसद के सदस्य के रूप में पद की शपथ ली, तो उन्होंने हिंदू शास्त्र की एक पुस्तक गीता की कसम खाई. राजकोष के चांसलर के रूप में, उन्होंने 11 डाउनिंग सेंट में अपने आधिकारिक निवास के बाहर दिवाली मनाई और जब प्रधानमंत्री के तौर पर संबोधन दिया तो कलावा पहन जता दिया कि वो एक 'भारतीय हिन्दू' हैं.