What does overturn of Roe v Wade mean: अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of the United States) ने शुक्रवार को गर्भपात (Right To Abortion) के संवैधानिक अधिकार वाले पुराने कानून को खत्म कर दिया है. अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने 1973 के उस ऐतिहासिक फैसले को पलट दिया है जिसमें महिलाओं को गर्भपात का संवैधानिक अधिकार दिया गया था. दरअसल अमेरिका में 'रो बनाम वेड केस' (Roe vs Wade Case) के बाद पूरे देश में गर्भपात को (नियमों के साथ) वैध कर दिया गया था.


अब अमेरिकी SC के इस फैसले के बाद दुनियाभर के देशों में एबॉर्शन कानून को लेकर एक बार फिर चर्चा शुरू हो गई है. हर तरफ चर्चा है कि क्या एक महिला को गर्भपात कराने का अधिकार है? यह विषय सामाजिक बहस के केंद्र में है.




अलग-अलग देशों में इस फैसले को लेकर अलग-अलग तरह की प्रतिक्रिया जाहिर की जा रही है. आइए समझते हैं कि आखिर पांच दशक पहले का 'रो बनाम वेड केस' क्या था जिस केस के फैसले को अब पलट दिया गया है?


कौन हैं जेन रो और वेड


जब आप 'रो बनाम वेड केस' पढ़ते हैं तो आपके दिमाग में यह प्रश्न आता होगा कि आखिर ये दोनों कौन हैं और क्या हुआ था 1971 के उस ऐतिहासिक केस में... तो चलिए आपको बताते हैं....


जेन रो का जन्म साल 1947 में लुइसियाना में हुआ था. उनका बचपन काफी तनाव भरा बीता. दरअसल जेन रो की मां सिंगल पेरेंट थीं.  जेन रो का असली नाम नोरमा मैक्कार्वी है. वो काफी कम उम्र से शराब पीने लगीं. जानकारी के मुताबिक महज 16 साल की थीं जब उनकी शादी हो गई. वो प्रेग्नेंट हुईं लेकिन पहले बच्चे को जन्म देती इससे पहले की पति से तलाक हो गया. पहले बच्चे को उन्होंने जन्म के बाद अपनी मां को सौंप दिया. इसके बाद जब जेन 20 साल की हुईं तो दूसरी बार प्रेगनेंट हुईं. इस बार उन्होंने बच्चे को अडॉप्शन के लिए दे दिया, मगर जब वो  22 की उम्र में तीसरी बार प्रेगनेंट हुईं तो वो इस बार बच्चा नहीं चाहती थीं. 


जेन रो ने अबॉर्शन कराने का फैसला किया. हालांकि सबसे बड़ी चुनौती थी कि अमेरिका के टेक्सस में अबॉर्शन की इजाज़त कुछ विषेश परिस्थितियों को छोड़ कर नहीं थी. अब जेन रो के पास सिर्फ कोर्ट जाने का विकल्प था. उन्होंने कोर्ट का दरबाजा खटखटाया लेकिन कोर्ट जब तक इस मामले में फैसला सुनाता जेन अपने तीसरे बच्चे को जन्म दे चुकी थीं. हालांकि अपने तीसरे बच्चे को भी उन्होंने अडॉप्शन के लिए दे दिया.




जेन द्वारा कोर्ट में गर्भपात-विरोधी कानून को चुनौती देने के बाद 1970 में टेक्सस की एक निचली अदालत ने इस कानून को असंवैधानिक करार दिया. हालांकि टेक्सस सरकार को निचली अदालत का यह फैसला पसंद नहीं आया और उसने इसके ख़िलाफ़ उच्च अदालत में अपील की.


यहीं से कहानी में होती है हेनरी वेड नाम के शख्स की एंट्री. हेनरी वेड उस दौर में टेक्सस के डलास काउंटी के डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी हुआ करते थे. यानी सरकार का पक्ष इस मामले में रख रहे थे. इसी वजह से इस केस को 'रो वर्सेस वेड' के नाम से जाना गया.


दो साल कोर्ट में चली बहस
'रो वर्सेस वेड' केस पर दो सालों तक सुनवाई चलती रही. 1973 में इस केस में ऐतिहासिक फैसला आया. इस केस की सुनवाई 9 जजों की बेंच कर रही थी, जिसमें से सात जजों ने जेन रो के पक्ष में फैसला सुनाया जबकि दो जज टेक्सस सरकार के पक्ष में थे.


क्या कहा गया था उस ऐतिहासिक फैसले में ?
'रो वर्सेस वेड' केस में 1973 में आए फैसले में अबॉर्शन यानी गर्भपात को तीन हिस्सों में बांटा गया था. फैसले के मुताबिक, पहले तीन महीनों में गर्भपात की पूरी आज़ादी थी तो वहीं तीसरे से लेकर छठवें महीने तक कुछ हेल्थ रेगुलेशंस के साथ गर्भपात की इजाज़त दी गई. इसके बाद छठवें से लेकर नौवें महीने में अपवाद को छोड़कर गर्भपात पर रोक लगा दी गई थी.


अब यहां यह जान लेना महत्वपूर्ण है कि अमेरिका के संविधान के तहत राज्यों के पास अपने अलग कानून बनाने की इजाजत है. ऐसे में इस कानून को लेकर अमेरिका का कोई भी राज्य बाध्य नहीं था..हालांकि धीरे-धीरे इसे कई राज्यों में लागू किया गया और अमेरिकी महिलाओं को गर्भपात का संवैधानिक अधिकार मिला.


साल 1992 में कानून में हुआ संशोधन


अमेरिकी महिलाओं को गर्भपात का संवैधानिक अधिकार वाले इस कानून में साल 1992 में कुछ बदलाव किए गए. सुप्रीम कोर्ट ने  तीन तिमाही वाले सिस्टम को हटाकर प्रेग्नेंसी के शुरुआती 24 हफ़्ते तक अबॉर्शन कराने की पूरी आजादी दी.




अब फिर मामला कैसे पहुंचा SC


दरअसल, साल 2018 में अमेरिका के मिसीसिपी राज्य ने महिलाओं के गर्भपात को लेकर एक नया कानून बनाया. मिसीसिपी राज्य के नए कानून के मुताबिक प्रेग्नेंसी के 15 हफ़्ते के बाद अबॉर्शन को बैन कर दिया. 


अब मिसीसिपी राज्य का ये फैसला विवादों में आ गया. इसका कारण ये था कि ये फैसला 1973 और 1992 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के ख़िलाफ़ था. इसी वजह से जैक्सन वीमेंस हेल्थ ऑर्गेनाइज़ेशन ने इस फैसले के खिलाफ याचिका डाली. 


फिर एक बार गर्भपात के अधिकार का मामला कानूनी पचड़ो में फंसा. नवंबर 2018 में डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने मिसीसिपी राज्य के कानून को पलट दिया. इसके बाद 15 हफ़्ते वाला केस सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया. और अब इस पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है.


अब क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने


सुप्रीम कोर्ट (US Supream Court) ने अब 1973 के उस 'रो बनाम वेड केस' (Roe vs Wade Case) के ऐतिहासिक फैसले को पलट दिया है. अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने फैसला मिसीसिपी राज्य (Mississippi) सरकार के पक्ष में दिया है. कोर्ट ने 'रो बनाम वेड केस' के फैसले को असंवैधानिक करार दिया है. खबरों के मुताबिक 9 में से 5 जजों ने रो वर्सेस वेड केस का फैसला बदलने की सिफारिश की.