जिनेवा: संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख ने सोमवार को कहा कि म्यांमार में अल्पसंख्यक रोहिंग्या समुदाय के खिलाफ हिंसा और अन्याय, नस्ली सफाए की मिसाल मालूम पड़ती है. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के सत्र को संबोधित करते हुए जैद राद अल हुसैन ने पहले 11 सितंबर 2001 को अमेरिका में हुए आतंकी हमले की बरसी का जिक्र किया और फिर म्यांमार में मानवाधिकार की स्थिति को लेकर चिंता जाहिर की.
जैद ने कहा कि ने बुरूंडी, वेनेजुएला, यमन, लीबिया और अमेरिका में मानवाधिकार से जुड़ी चिंताओं के बारे में बात की. उन्होंने कहा कि हिंसा की वजह से म्यांमार से दो लाख 70 हजार लोग भागकर पड़ोसी देश बांग्लादेश पहुंचे हैं. उन्होंने सुरक्षा बलों और स्थानीय मिलीशिया की तरफ से रोहिंग्या लोगों के गांवों को जलाए जाने और न्याय से इतर हत्याएं किए जाने की खबरों और तस्वीरों का भी जिक्र किया.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख जैद राद अल हुसैन ने कहा, ‘‘चूंकि म्यांमार ने मानवाधिकार जांचकर्ताओं को जाने की इजाजत नहीं दी है, मौजूदा स्थिति का पूरी तरह से आकलन नहीं किया जा सकता, लेकिन यह स्थति नस्ली सफाए का उदाहरण प्रतीत हो रही है.’’ उधर, संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने कहा है कि म्यांमार के रखाइन प्रांत में ताजा हिंसा की वजह से 25 अगस्त से अब तक 313000 रोहिंग्या बांग्लादेश की सीमा में दाखिल हो चुके हैं.
म्यांमार के मध्य हिस्से में एक मुस्लिम परिवार के मकान पर पथराव करने वाली भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने रबर की गोलियां चलाईं. भीड़ ने मागवे क्षेत्र में रविवार रात हमला किया.