नई दिल्ली: रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने 2020 में भौतकी के लिए नोबेल प्राइज का एक हिस्सा रोजर पेनरोज को और दूसरे हिस्से को संयुक्त रूप से रेनहार्ड गेंजेल और ऐंड्रिया गेज को देने का फैसला किया है. रॉजर पेनरोज ने यह बताया था कि ब्लैक होल फॉर्मेशन से जनरल थिअरी ऑफ रिलेटिविटी को प्रिडिक्ट किया जा सकता है. वहीं, रेनहार्ड और ऐंड्रिया ने हमारी गैलेक्सी के केंद्र में मौजूद विशाल द्रव्यमान (supermassive) के कॉम्पैक्ट ऑब्जेक्ट की खोज की थी.
रॉयल स्वीडिश अकैडमी ऑफ साइंसेज के सेक्रटरी जनरल होरान हैनसन ने पुरस्कार का ऐलान किया. इस पुरस्कार में गोल्ड मेडल के साथ 11 लाख डॉलर से ज्यादा कैश प्राइज मिलता है. स्वीडिश इन्वेन्टर अल्फ्रेड नोबेल के नाम पर यह पुरस्कार दिया जाता है.
इससे पहले कल यानी सोमवार को साल 2020 का चिकित्सा में नोबेल पुरस्कार हार्वे जे अल्टर, माइकल ह्यूटन और चार्ल्स एम राइस को "हेपेटाइटिस सी" की खोज के लिए दिया गया. नोबेल पुरस्कार समिति ने ट्विटर पर कहा, "रक्त-जनित हेपेटाइटिस, विश्व भर के लोगों में सिरोसिस और यकृत कैंसर का कारण बनता है. इसके खिलाफ लड़ाई में इन तीनों ने निर्णायक योगदान दिया. नोबेल कमेटी के प्रमुख थॉमस पर्लमैन ने स्टॉकहोम में इसकी घोषणा की
बता दें कि यह अवॉर्ड नोबेल फाउंडेशन द्वारा दिया जाता है. यह स्वीडन के वैज्ञानिक अल्फ्रेड बनार्ड नोबेल की याद में दिया जाता है. अल्फ्रेड बनार्ड नोबेल ने अपनी मृत्यु से पहले अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा एक ट्रस्ट के लिए सुरक्षित रख दिया था. उनकी इच्छा थी कि इन पैसे के ब्याज से हर साल उन लोगों को सम्मानित किया जाए तो मानव जाति के लिए बेहतरीन काम करते हैं. अल्फ्रेड बनार्ड नोबेल की राशि स्वीडिश बैंक में जमा है और इस पर जो ब्याज बनता है उससे हर साल नोबेल फाउंडेशन नोबेल प्राइज देता है. पहला नोबेल शांति पुरस्कार 1901 में शांति के लिए दिया गया था.
क्या है नोबेल फाउंडेशन
इसकी स्थापना 29 जून 1901 में हुई थी. इस फाउंडेशन का उद्देश्य नोबेल प्राइज का आर्थिक संचालन करना है. इस फाउंडेशन में कुल पांच लोग होते हैं. इस फाउंडेशन के मुखिया का चयन स्वीडन का किंग ऑफ काउंसिल करता है. हर साल अक्टूबर में नोबेल पुरस्कार का ऐलान होता है. नोबेल प्राइज जीतने वाले लोगों को पुरस्कार और धन राशि 10 दिसंबर को दिया जाता है. बता दें कि 10 दिसंबर को अल्फ्रेड नोबेल की पुण्यतिथि होती है.
नोबेल प्राइज विजेता को कितना पैसा मिलता है ?
नोबेल पुरस्कार जीतने वाले व्यक्ति को एक नोबेल पदक और डिप्लोमा के साथ पुरस्कार राशि भी दी जाती है. 2019 के नोबेल पुरस्कार पाने वाले विजेताओं को 9 मिलियन स्वीडिश क्राउन (SEK) दी जाएगी. भारतीय रुपये में इस राशि को कनवर्ट करें तो यह राशि लगभग 6.45 करोड़ रुपये होगी. बता दें कि यह राशि बढ़ती-घटती रहती है. दरअसल साल 2017 से पहले तक नोबेल पुरस्कार जीतने वालों को 8 मिलियन स्वीडिश क्राउन मिलते थे पर साल 2017 में इसे बढ़ाकर 9 मिलियन स्वीडिश क्राउन (1.12 मिलियन यूएस डॉलर) कर दिया गया है. अगर किसी क्षेत्र में दो या इससे अधिक व्यक्तियों को संयुक्त रूप से नोबेल प्राइज दिया जाता है तो उनके बीच राशि का बराबर बंटवारा किया जाता है.
नोबेल के लिए कैसे भरे नामांकन और क्या है चयन प्रक्रिया
नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकन किसी भी व्यक्ति द्वारा जो नामांकन मानदंडों को पूरा करे वह भर सकता है. नामांकन भरने के लिए निमंत्रण पत्र की जरूरत नहीं है. नामांकन करने वाले व्यक्ति की जानकारी 50 साल बाद तक भी गुप्त रखी जाता है. नोबेल समिति नामांकन किए गए लोगों में से नोबेल शांति पुरस्कार विजेताओं का चयन करती है.
सितंबर महीने से नामांकन भरने की प्रक्रिया शुरू होती है. 1 फरवरी से पहले नामांकन भेजा जा सकता है. इसके बाद समिति इन नामों पर चर्चा करती है और फरवरी से मार्च महीने के बीच एक लिस्ट तैयार की जाती है. इसके बाद इसे मार्च से अगस्त तक एडवाइजर रिव्यू के लिए भेजा जाता है. अक्टूबर में समिति नाम का चयन करती है. चयन, समिति के सभी सदस्यों के वोटिंग के आधार पर होती है. इसके बाद विजोताओं के नाम की घोषणा होती है. दिसंबर में उन्हें पुरस्कार दिया जाता है.
नोबेल पुरस्कार से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य जो आपको जानने चाहिए
1-शांति के लिए दिए जाने वाला पुरस्कार ओस्लो में जबकि बाकी सभी अवार्ड स्टॉकहोम में दिए जाते हैं.
2-किसी एक क्षेत्र में एक साल में अधिकतम 3 लोगों को अवार्ड दिया जा सकता है.
3-अगर एक ही पुरस्कार 2 व्यक्तियों को सांझा रूप से मिला है तो धनराशि दोनों में बांटी जाएगी.
किन भारतियों को मिला है अब तक नोबेल पुरस्कार
भारत में अहिंसा की बदौलत आजादी दिलाने वाले महात्मा गांधी को 5 बार नामांकन मिला लेकिन उन्हें शांति का नोबेल पुरस्कार कभी नहीं मिला. जिन भारतीय लोगों को नोबेल पुरस्कार मिला उनके नाम हैं- रविंद्रनाथ टैगोर, हरगोविंद खुराना, सीवी रमण, वीएएस नायपॉल, वेंकट रामाकृष्णन, मदर टेरेसा, सुब्रमण्यम चंद्रशेखर, कैलाथ सत्यार्थी, आरके पचौरी और अमर्त्य सेन.