यूक्रेन में जंग से रूस की अर्थव्यवस्था पड़ रही कमजोर, क्या कंपनियों को व्यापार बंद करने की मजबूरी है या पुतिन का हो रहा विरोध?
यूरोपीय संघ, अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम ने रूस पर सख्त आर्थिक प्रतिबंध लगाकर रूस के धनकुबेरों और नेताओं के साथ-साथ बैंकों और व्यापार को भी टारगेट किया है.
रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है. इस जंग की वजह से रूस की अर्थव्यवस्था पर काफी प्रभाव पड़ रहा है. यूक्रेन पर हमले के लिए रूस को वैश्विक निंदा का सामना करना पड़ रहा है. अमेरिका समेत कई देशों ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं. इसके साथ-साथ कंपनियों ने मास्को और दूसरे रूसी शहरों में अपने आउटलेट बंद कर दिए हैं. येल स्कूल ऑफ मैनेजमेंट के मुताबिक, पिछले दो हफ्तों में 300 से ज्यादा कंपनियां रूस छोड़ चुकी हैं. रूस में व्यापार गतिविधियों को रोकने वाली कंपनियों में लग्जरी वॉच ब्रांड रॉलेक्स कंपनी भी शामिल हो गई है. मैकडॉनल्ड्स, पिज्जा हट और पेय पदार्थ निर्माता कोका-कोला जैसे फास्ट-फूड दिग्गज पहले ही रूस में अपने परिचालन को निलंबित करने की घोषणा कर चुके हैं, जिससे रूस की अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पहुंच रहा है. रूस से कच्चे तेल और पेट्रोलियम उत्पादों के आयात पर बाइडेन की ओर से प्रतिबंध लगाने की घोषणा के बाद रूस की अर्थव्यवस्था और चरमरा सकती है.
कई प्रतिबंधों से कमजोर हो रही रूस की अर्थव्यवस्था
यूक्रेन में हमले के खिलाफ कई देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं. यूरोपीय संघ, अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम ने रूस पर सख्त आर्थिक प्रतिबंध लगाकर रूस के धनकुबेरों और नेताओं के साथ-साथ बैंकों और व्यापार को भी टारगेट कर रहे हैं. जापान ने रूस और बेलारूस के 30 से ज्यादा धनकुबेरों और अधिकारियों की संपत्तियों को फ्रीज कर दिया. इसके साथ ही रूस को भेजे जाने वाले रिफाइनरी इक्विपमेंट्स के निर्यात पर भी बैन है. इन प्रतिबंधों के कारण देश की अर्थव्यवस्था पर काफी बुरा असर पड़ा है. जंग के प्रभाव से रूस की मुद्रा रूबल के मूल्य में काफी गिरावट दर्ज की गई है. अमेरिकी डॉलर और भारतीय रुपये की तुलना में रूबल 30 फीसदी से ज्यादा कमजोर हुआ है. रूबल में गिरावट होने की वजह से रूस में भारी मुद्रास्फीति का सामना करना पड़ सकता है. इसका असर शेयर बाजार पर भी पड़ रहा है.
आयात और निर्यात को लेकर बाधा
रूस में महंगाई बढ़ने से लोगों का बजट गड़बड़ा सकता है. इसके अलावा स्विफ्ट अंतर्राष्ट्रीय भुगतान प्रणाली से कई रूसी बैंकों को काट देने से व्यापार को लेकर बड़ी रूकावट आई है. देश में आयात और निर्यात को लेकर बड़ी बाधा पैदा हो सकती है. जिसका सीधा असर आम लोगों की जिंदगी पर पड़ने वाला है. ऐसे में सवाल ये भी उठ रहा है कि रूस में कंपनियों को व्यापार बंद करने की मजबूरी है या फिर वो पुतिन की यूक्रेन के प्रति युद्ध नीति का विरोध कर रहे हैं.
मैकडॉनल्ड्स के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) क्रिस केम्पचिंस्की ने कर्मचारियों को भेजे एक पत्र में कहा है कि हमारे सिद्धांतों के अनुसार, हम यूक्रेन में लोगों को हो रही अनावश्यक पीड़ा को नजरअंदाज नहीं कर सकते. हालांकि एक्सपर्ट ये भी मानते हैं कि प्रतिबंधों की वजह से कंपनियों को व्यापार करने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और कहीं न कहीं रूस की नीति का विरोध करने के साथ साथ उनके सामने व्यापार को बंद करने की मजबूरी भी है.
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