Russia-France News: अफ्रीकी देशों में एक वक्त फ्रांस का बहुत ज्यादा प्रभाव रहा. लेकिन इन दिनों इस क्षेत्र में रूस ने उसकी जगह लेना शुरू कर दिया है. रूस से जुड़े हुए वैगनर ग्रुप और फ्रांस के बीच अफ्रीका में एक अजीबोगरीब युद्ध चल रहा है. ये युद्ध हथियारों और बमों से नहीं लड़ा जा रहा है, बल्कि ये युद्ध सूचनाओं से जुड़ा है. अफ्रीका में चल रहे इस 'इंफोर्मेशनल वॉर' यानी सूचनाओं के युद्ध में फ्रांस को पिछड़ना भी पड़ा है, क्योंकि उसके प्रभाव वाले कई देशों में तख्तापलट हुए हैं. 


डेली एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, रूस से जुड़ा वैगनर ग्रुप अफ्रीका के लोकतांत्रिक देशों में पश्चिमी मुल्कों के खिलाफ भड़काऊ सूचनाएं फैला रहा है. मुख्य तौर पर इन सूचनाओं के जरिए फ्रांस को निशाना बनाया जा रहा है. साहेल और पश्चिमी अफ्रीका में ज्यादातर ऐसे मुल्क हैं, जो फ्रांस की पूर्व कॉलोनी थे. यहां की आबादी के भीतर फ्रांस के खिलाफ जहर भरा जा रहा है. गरीबी और असुरक्षा के बीच जी रहे इन देशों के लोगों ने अब अपनी परेशानियों के लिए फ्रांस को जिम्मेदार ठहराना भी शुरू कर दिया है. 


फ्रांस के खिलाफ हुए छह देश 


पिछले तीन सालों में पश्चिमी अफ्रीका में छह ऐसे देशों में तख्तापलट हुआ है, जो पहले फ्रांस की कॉलोनी थीं. इन छह देशों में गिनी, माली, बुर्किना फासो, सूडान, चाड, नाइजर शामिल हैं. यहां की जनता तख्तापलट के समर्थन में रही है. इसके पीछे की वजह ये है कि वैगनर ग्रुप लगातार इन देशों में पहुंच बनाए हुए है और लोगों को भड़का रहा है. इन देशों में फ्रांस की दखलअंदाजी थी. यहां पर फ्रांस के सैनिक भी तैनात थे.  हालांकि, अब रूस समर्थक लोगों ने फ्रांस को बाहर निकालने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया है. 


क्यों लोगों में है फ्रांस के खिलाफ गुस्सा? 


वर्ल्ड बैंक के अर्थशास्त्री बोउबोउ सीसे के मुताबिक, नाइजर में युवाओं के पास उतना ज्यादा ज्ञान नहीं है, जितना जॉब मार्केट में नौकरी के लिए जरूरी है. यहां पर शिक्षा का स्तर बेहद ही खराब है. वह बताते हैं कि जलवायु परिवर्तन की वजह से देश में सूखा पड़ता है, जिसे कृषि सेक्टर में भी जॉब मुश्किल है. ऊपर से आबादी भी बढ़ती जा रही है. उनका कहना है कि ये हालात सिर्फ नाइजर के नहीं हैं, बल्कि पश्चिमी अफ्रीका के हर देश की यही कहानी है. फ्रांस यहां लंबे समय से मौजूद रहा है, मगर हालात नहीं सुधरे हैं. इसलिए लोगों में और भी ज्यादा नाराजगी है. 


कैसे फैलाई जा रही नफरत? 


वैगनर ग्रुप का अफ्रीका में एक ब्रांच है, जिसे 'कॉमनवेल्थ ऑफ ऑफिसर्स फॉर इंटरनेशनल सिक्योरिटी' (COIS) के तौर पर जाना जाता है. ये ब्रांच सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक देश में मौजूद है. सोशल मीडिया पर वीडियो और आर्टिकल के जरिए लोगों तक फ्रांस और पश्चिम विरोधी एजेंडा फैलाने का काम COIS के पास ही है. COIS ऐसे वीडियो शेयर कर रही है, जिसमें फ्रांस को 'आतंकवादी' करार दिया जा रहा है और रूस को 'मुक्तिदाता' बताया जा रहा है. इन वीडियो को देखकर लोग आक्रोशित हो रहे हैं. 


जब नाइजर में तख्तापलट हुआ तो लोगों को वैगनर ग्रुप और रूस के झंडे के साथ देखा गया. COIS के अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से इन तस्वीरों को खूब शेयर किया गया. लोगों को इस बात का एहसास कराया गया कि किस तरह से अफ्रीका की जनता रूस का समर्थन करती है. लंदन में मौजूद थिंक टैंक चैथम हाउस के अफ्रीका प्रोग्राम के डायरेक्टर डॉ एलेक्स वाइंस का कहना है कि वैगनर ग्रुप इस रणनीति के जरिए फ्रांस के खिलाफ लोगों के मन में नफरत के बीज बो रहा है. लोगों को एक तरह से बहकाया जा रहा है. 


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